विमल कौशिक, नई दिल्लीCyber Crime Digital Arrest Explainer: आपके फोन पर किसी अनजान नम्बर से कॉल आ रहा है तो सावधान हो जाएं, क्योंकि आप साइबर ठगों का शिकार हो सकते हैं। ठग आपको गिरफ्तार भी कर सकते हैं, वो भी डिजिटल तरीके से, जी हां ठगों ने ठगी का नया तरीका खोज निकाला है, डिजिटल अरेस्ट, लेकिन हम आपको साफ बता दें कि कानून की नजर में ऐसा कोई कॉन्सेप्ट ही नहीं है। ठगों ने इसे पैसा ठगने का जरिया बनाया है। दिल्ली, फरीदाबाद और नोएडा में डिजिटल अरेस्ट के 3 मामले सामने आए हैं, जिसमें डिजिटली अरेस्ट करके जमानत देने के नाम पर लाखों की ठगी की गई। गाजियाबाद में फेक वीडियो या वॉइस नॉट के जरिये पूर्व पुलिस अधिकारी के नाम से एक बुजुर्ग को चूना लगाया गया। साइबर ठग किसी न किसी बहाने से आधार नम्बर हासिल करेंगे और फिर कहेंगे कि आप एक मामले में आरोपी हैं। आपको गिरफ्तार करने के लिए बाकायदा कोर्ट का आदेश है। यह सुनकर लोग उनके जाल में फंस जाते हैं और फिर शुरू होता है ठगने का सिलसिला।
गिरफ्तारी का डर दिखाकर 8 घंटे अरेस्ट में रखा
गाजियाबाद कवि नगर के ACP अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि रिटायर्ड IPS अधिकारी के नाम से फेक वीडियो बनाकर बुजुर्ग को धमकी दी गई कि अगर वह पैसा नही देगा तो उसके खिलाफ कई फेक केस दर्ज करके जेल भेज दिया जाएगा। वीडियो में कोई और नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड IPS अधिकारी का चेहरा नजर आ रहा था। पुलिस ने मामले में FIR दर्ज करके वीडियो को जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेजा दिया है। ठगी के 2 मामले फरीदाबाद और नोएडा में सामने आए, जहां 2 अलग-अलग लड़कियों के नंबर पर कॉल करके उनके कूरियर आने की बात कही गई, जिसमें कुछ दस्तावेज होने का हवाला दिया गया और आधार नंबर मांगा गया। इसके बाद लड़कियों को बताया गया कि उनके खिलाफ अपराध का संगीन मामला दर्ज है। उनकी गिरफ्तारी के आदेश हैं। पुष्टि करने के लिए पुलिस थाने का सीन बनाकर फोन किया जाता है, फिर बाद में कॉल कथित CBI अधिकारी को ट्रांसफर की जाती है, जो गिरफ्तारी से बचने के लिए जमानत लेने का कहता है। इसकी ऐवज में मोटी रकम मांगी जाती है। फरीदाबाद में रहने वाली छात्रा ने झांसे में आकर ढाई लाख रुपये दे दिए। नोएडा वाली पीड़ित 11 लाख रुपये गंवा बैठी। ठगों ने उसे बाकायदा 8 घंटे डिजिटल अरेस्ट रखा।
क्या होता है डिजिटल अरेस्ट, कैसे किया जाता है?
कानून की भाषा मे डिजिटल अरेस्ट नाम की कोई चीज नहीं, लेकिन साइबर एक्सपर्ट की मानें तो डिजिटल अरेस्ट मे किसी व्यक्ति को उनके मोबाइल फोन पर डाउनलोड ऐप से लगातार जुड़े रहने को मजबूर किया जाता है। ऐप पर लगातार चैटिंग, ऑडियो-वीडियो कॉल करके उसे ऐप से लॉग आउट नहीं होने दिया जाता है। डरा धमकाकर रुपये भी ऐंठे जाते हैं। उपरोक्त दोनों मामलों में ठगों ने जैसे ही पीड़िता को जमानत लेने के लिए कहा और पैसे मांगे तो पीड़िता ने इंतजाम करने के लिए समय मांगा, लेकिन ठगों ने आसानी से पीड़िता को जाने नहीं दिया और कहा कि जब तक आप रेगुलर जमानत नहीं लेतीं, आपको डिजिटली अरेस्ट किया जा रहा है। हर समय कैमरे की नजर में उनसे कनेक्ट रहना होगा। यहां तक कि पीड़िता इंजीनियर से एक confidential फॉर्म भी भरवाया गया, जिसका मतलब था कि वह यह बात किसी को भी नहीं बताएगी। अगर उसने ऐसा किया तो गिरफ्तारी के लिए घर पुलिस भेजी जाएगी। फिर क्या था बेचारी सारे काम छोड़कर 8 घंटों तक ठगों के कनेक्शन में रही और 11 लाख रुपये भी ट्रांसफर कर दिए।
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