Madhya Pradesh Assembly Election Result 2023: मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे वोटों की काउंटिंग आगे बढ़ती जा रही है, राज्य में भाजपा पार्टी अपना परचम लहराती जा रही है। इस बीच भाजपा के कार्यकर्ताओं ने नाच-गाकर जश्न मनाना शुरू कर दिया है। अभी तक के रुझानों के मुताबिक, बीजेपी ने 230 सीटों वाली विधानसभा में 166 सीटें हासिल की हैं। बता दें कि भाजपा ने राज्य में बहुमत के आकड़े को प्राप्त कर लिया है। पिछली बार भाजपा ने यहां 109 विधानसभा सीटें जीती थीं।
राज्य में नतीजे, एग्जिट पोल के विपरीत हैं, जिसमें कड़ी टक्कर की भविष्यवाणी की गई थी कुछ एग्जिट पोलों में तो भाजपा को राज्य से बाहर के रास्ता दिखाने तक की बात कही गई थी। नौ में से चार एग्जिट पोल ने भाजपा को मौका दिया था।
सीएम शिवराज बड़ा फैक्टर
हम बात करते हैं मध्य प्रदेश में भाजपा के उन फैक्टर्स की, जिन्होंने प्रदेश की सत्ता में लाने के लिए मदद की है। प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की अहम छवि मानी जाती है। प्रदेश के अलावा वह पार्टी की और से दिल्ली में आयोजित बैठकों में शामिल होते रहे हैं, यह बड़ी वजह है, जिससे शिवराज सिंह चौहान की वापसी हो पाई है। हालांकि वह इस बार पार्टी के अभियान का चेहरा नहीं थे – ऐसी आशंका थी कि सत्ता विरोधी भावनाएं उनके खिलाफ काम करेंगी।
MP के लोगों को क्यों भाए मामा ?
चार बार मुख्यमंत्री रहे, मामा के नाम से मशहूर चौहान ने राज्य में काम करना जारी रखा और मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए अपनी विनम्र छवि का इस्तेमाल किया। वह जनता के सामने अपनी भावनाओं को प्रदर्शित करने से भी नहीं डरते थे। चुनाव प्रचार के दौरान अक्सर देखा गया कि वह अपने आप को ‘राज्य का बेटा’ कहते थे। इतना ही नहीं, वह कई रैलियों में भावुक भी हुए, उन्होंने प्रचार के दौरान कई बार आंसू बहाए।
महिलाओं के मुद्दे पर किया फोकस
शिवराज सिंह ने अपना प्रचार अभियान महिलाओं पर भी फोकस किया; वह अपनी सरकार के ‘द लाडली शो’ के स्टार थे, जहां उन्होंने लड़कियों से सवाल पूछे। पार्टी में अंदरूनी कलह के बावजूद, चौहान कायम रहे। उन्होंने वसुंधरा राजे के विपरीत, अपनी नाराजगी शांत रखी और कभी भी केंद्रीय नेतृत्व के प्रति अपनी नाराजगी का संकेत नहीं दिया। यही कुछ कारण हैं, जिसकी वजह से प्रदेश में भाजपा की वापसी हो पाई है।