‘सालो: और द 120 डेज ऑफ सोडोम’- ये नाम सुनते ही सिनेमा प्रेमियों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। साल 1975 में बनी इस इटालियन फिल्म को अब तक की सबसे विवादित फिल्म कही जाती है। न सिर्फ इसकी कहानी बल्कि इसमें दिखाई गई क्रूरता, नग्नता और यौन यातनाओं के कारण ये फिल्म दुनियाभर के सिनेप्रेमियों और समीक्षकों के बीच बहस का विषय बन गई।
फिल्म ने कई लोगों को किया असहज
70 के दशक में जब यूरोपीय सिनेमा एक्सपेरिमेंट के चरम पर था, तभी इस फिल्म ने सीमाओं को लांघते हुए इंसानी क्रूरता और सत्ता की विकृत मानसिकता को पर्दे पर उतारा। निर्देशक पियर पाओलो पासोलिनी द्वारा निर्देशित इस फिल्म की कहानी चार अमीर और भ्रष्ट नेताओं के इर्द-गिर्द घूमती है, जो फासीवादी शासन के दौरान युवाओं को अगवा कर उनके साथ अमानवीय अत्याचार करते हैं। फिल्म में शारीरिक हिंसा, मानसिक यातना और यौन शोषण के दृश्य इतने ग्राफिक थे कि इसे देखना कई लोगों के लिए असहनीय हो गया।
रिलीज होते ही फिल्म का हुआ विरोध
फिल्म को रिलीज होते ही भारी विरोध का सामना करना पड़ा। पेरिस फिल्म फेस्टिवल में इसकी स्क्रीनिंग के बाद इटली में कुछ दिनों के लिए इसे रिलीज किया गया, लेकिन जल्द ही जनवरी 1976 में इस पर रोक लगा दी गई। भारत, ऑस्ट्रेलिया, यूके और न्यूज़ीलैंड सहित करीब 100 देशों ने इस फिल्म को बैन कर दिया। अमेरिका में 1977 में इसे रिलीज किया गया, लेकिन वहां भी इसे अश्लीलता और समाजविरोधी सामग्री के तहत कानूनी पचड़ों में घसीटा गया।
इस फिल्म को लेकर दर्शकों और आलोचकों की राय बंटी रही। कुछ ने इसे सत्ता और राजनीति के अंधकारमय पक्ष को दर्शाने वाला ‘आर्ट फिल्म’ माना, वहीं कई लोगों ने इसे एक क्रूर और अमानवीय अनुभव बताया। न्यूयॉर्क टाइम्स के विंसेंट कैनबी ने इस फिल्म की आलोचना करते हुए कहा था कि इसे देखना आत्मा को कुचलने जैसा अनुभव है। रॉजर एबर्ट जैसे समीक्षक ने तो इसे कभी देखा ही नहीं।
फिल्म के डायरेक्टर की हत्या
इस पूरी फिल्म को और भी रहस्यमय बना दिया इसके निर्देशक पासोलिनी की निर्मम हत्या ने। फिल्म की रिलीज से कुछ ही हफ्ते पहले नवंबर 1975 में पासोलिनी की बेरहमी से हत्या कर दी गई। उनकी बॉडी पर गाड़ी चढ़ाई गई थी, हड्डियाँ टूटी हुई थीं और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनके जननांगों तक को कुचले जाने की पुष्टि हुई थी। हत्या के पीछे कभी गैंगस्टर, कभी आर्थिक दुश्मनी तो कभी राजनीतिक कारण बताए जाते हैं, लेकिन आज भी ये मामला अनसुलझा है।
आज के दौर में ‘सालो: और द 120 डेज ऑफ सोडोम’ को एक ‘कल्ट क्लासिक’ माना जाता है। IMDb पर इसकी रेटिंग 5.8 है और रॉटेन टोमैटोज पर 70% स्कोर है, लेकिन इसके बावजूद ये फिल्म आज भी कई देशों में प्रतिबंधित है।
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