अश्वनी कुमार: ईद पर भाईजान की वापसी हुई है और ये पहली बार है कि पहली बार सलमान का नाम फिल्म में ही भाईजान है। यानी हीरोइन भी कन्फ्यूज है कि वो सलमान को भाई कहे की जान कहे।
जानते हैं कि इसके पीछे लॉजिक क्या है, वो ये है कि किसी का भाई किसी की जान में भाईजान को लोग कभी- बे, कभी- ओए कहकर बुलाते थे और तीन भाईयों को गोद लेने के बाद वो भाई बनकर और अपने भाईयों की जान बन गया और भाईजान उसका नाम पड़ गया।
कॉमेडी, मस्ती और धुंआधार एक्शन
बिना नाम वाले इस हीरो की कहानी में जैसे कोई लॉजिक नहीं है। वैसे ही किसी का भाई, किसी जान की पूरी कहानी में कोई लॉजिक नहीं है, लेकिन क्या आप सलमान की फिल्में लॉजिक के लिए देखते हैं? नहीं ना, तो फिर उसे तलाश क्यों रहे हैं, क्योंकि एंटरटेनमेंट, सलमान स्टाइल की आशिकी, कॉमेडी, मस्ती और धुंआधार एक्शन…. मतलब, जो वायदा सलमान ने किया था, वो इस फिल्म में पूरा है।
कहानी
तो कहानी दिल्ली के एक मोहल्ले की है, अब किस मोहल्ले की ये मत पूछिएगा? क्योंकि वो मोहल्ला आपको, मुंबई के महबूब स्टूडियो में ही मिलेगा। खैर इस मोहल्ले को इलाके का एमएलए कब्जाना चाहता है, जिसके लिए वो गुंडो को भेजता है, लेकिन उसी मोहल्ले में, भाईजान, अपने भाईयों लव, इश्क और मोह के साथ रहता है।
छत से सीधे सड़क पर एंट्री मारते हैं भाईजान
अब जिस मोहल्ले में भाईजान रहते हों, उस मोहल्ले में किसी गुंडे की चलेगी, कतई नहीं। तो सलमान, ओह नहीं, भाईजान, मोहल्ले भर की सीटियों के बीच छत से सीधे सड़क पर एंट्री मारते हैं और बिना एक हाथ उठाए सारे गुंडों की पैंट गिली कर देते हैं। बीच में एक्शन होता है, लेकिन सारे गुंडों के सपनों में।
सलमान खान के एक्शन, डांस, स्वैग को देखकर लोगों ने मारी सीटियां
किसी का भाई, किसी की जान की एक खूबी है कि इसमें 50 परसेंट एक्शन, सिर्फ ख्यालों में होता है। अब जिस फिल्म में ख्यालों में एक्शन हो, वहां स्क्रीनप्ले में परफेक्शन की डिमांड बेमानी है। मगर इन सबके बावजूद सलमान खान के एक्शन, डांस, स्वैग की इस फिल्म में इतनी डोज है कि आप सीटियां मारते रहेंगे।
भाईजान के भाई- लव, इश्क और मोह
कहानी पर लौटते हैं, भाईजान के भाई लोग, यानी लव, इश्क और मोह को मोहल्ले की ही तीन खूबसूरत लड़कियों चाहत, सुकून और मुस्कान से प्यार है। अब ये लड़कियां कौन हैं, इनकी फैमिली कौन हैं ? इन सवालों के जवाब के लिए आपको सीबीआई जांच की मांग करनी होगी या फिर लॉजिक की डिमांड करना छोड़ना होगा।
हैदराबाद से आई भाग्यलक्ष्मी
खैर, मुश्किल ये है कि भाईजान ना तो खुद शादी कर रहे हैं और ना ही भाईयों को शादी करने दे रहे हैं। फिर मोहल्ले में हैदराबाद से आई भाग्यलक्ष्मी की एंट्री होती है और इसी के साथ ख़्यालों से प्यार निकलकर, कहानी में आ जाता है। साथ ही गुंडों के अटैक भाईजान पर शुरु हो जाते हैं।
फुल ऑन एक्शन
भाग्यलक्ष्मी का भाई गुंडामनेनी, जो हैदराबाद में शांतिप्रिय तरीके से रहने वाला फैमिली मैन है, जो किसी जिला जितनी बड़ी फैमिली के साथ रहता है। गुंडामनेनी की एक ही शर्त है, कि उसकी बहन भाग्यलक्ष्मी की जिससे शादी हो, वो वायलेंस से दूर रहे, लेकिन भाईजान का तो पूरा मिजाज ही दूसरा है। खैर ट्विस्ट आएगा, गुंडामनेनी और गुंडों का कनेक्शन दिखेगा, फुल ऑन एक्शन दिखेगा।
भाईजान ने लिखे फिल्म के सीन्स
फरहाद सामजी ने स्पर्श खेत्रपाल और ताशा भाम्बरा के साथ मिलकर ये कहानी लिखी है, वैसे भाईजान ने फिल्म के कई सारे सीन्स खुद लिखे हैं, लेकिन उसके लिए कोई क्रेडिट नहीं लिया है, क्योंकि कहानी का क्रेडिट लेने की जगह, इसे लिखने वाली की मेरिट चेक होनी चाहिए।
भाग्यश्री को बताई शादी ना करने की वजह
वैसे इस फिल्म में भाईजान ने अपने फैन्स का खुद ख्याल रखा है। मैंने प्यार किया वाला स्पेशल ट्विस्ट डाला गया है, जिसमें सलमान भाई की शादी ना करने की वजह भाग्यश्री को बताया गया है। साथ ही भाग्यश्री, उनके पति हिमालय और एक्टर बेटे अभिमन्यू दसानी का स्पेशल कैमियो भी प्लान कर दिया गया। जो कहानी के हिसाब से अटपटा भले लगे, लेकिन भाईजान के फैनडम के लिए किसी ट्रीट से कम नहीं।
मस्त है ख्यालों में एक्शन वाला सेक्वेंस
हां, ये बात और है कि फिल्म के कॉमिक सीन्स कमाल लिखे गए हैं। जोक्स में वैसे भी फरहाद सामजी को महारत हासिल है, लेकिन किसी का भाई किसी की जान में उन्होंने स्क्रीनप्ले में लॉजिक को छोड़कर टाइमिंग पर काम किया है, जो काम भी कर गया है। ख्यालों में एक्शन वाला सेक्वेंस, सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन देखने में मजा आता है।
बहुत शानदार है भाग्याश्री और भाईजान के बीच का रोमांटिक ट्रैक
भाग्याश्री और भाईजान के बीच का रोमांटिक ट्रैक शानदार है। एक्शन डायरेक्शन कमाल का है। रवि बसुर का बैकग्रांउड स्कोर अच्छा है। दरअसल फिल्म में नैयो लगदा, येतम्मा और बिल्ली-बिल्ली के अलावा किसी गाने की जरूरत नहीं थी। इन तीनों गानों को फिल्माया भी अच्छा गया है। बल्ले-बल्ले, बाथुकम्मा, और लेट्स डांस छोटू-मोटू फिल्म की लंबाई बेवजह बढ़ाते हैं।
सलमान की फिटनेस और एक्शन को देखकर हर कोई हैरान
परफॉरमेंस पर आइएगा, तो ये सलमान खान की फिल्म है और उनका एक्शन है, उनके खुद के ऊपर जोक्स है अपनी ही शादी के ऊपर मजाक है। 57 की उम्र को सलमान छिपाते नहीं है, लेकिन क्लाइमेक्स में जब वो फुल शेव कराकर बिल्ली-बिल्ली पर थिकरते हैं तो आप इस सुपरस्टार के फिटनेस और एक्शन को देखकर हैरान हो जाते हैं।
पूजा हेगड़े ने किया कमाल
भाग्यलक्ष्मी बनी पूजा हेगड़े ने वाकई कमाल काम किया है, पूजा की कॉमिक टाइमिंग इस फिल्म में कमाल है। जो सलमान के साथ मिलकर वो साउथ के लोगों के इमोशन के बारे में बताती हैं, तो आपको पता चलता है, तो थियेटर में हंसी गुंजने लगती है। सलमान के साथ पूजा की केमिस्ट्री भी अच्छी है।
शहनाज पर टिकी सबकी नजरें
भाईयों के किरदार में सिद्दार्थ निगम, जस्सी गिल और राघव जुयाल ने अच्छा काम किया है, लेकिन बाजी सिद्धार्थ ने मारी है। उनकी गर्लफ्रैंड के रोल में आपकी नजरें सिर्फ शहनाज पर टिकी रहती है, लेकिन शहनाज को थोड़ा और स्पेस मिलना चाहिए था। पलक तिवारी बस नामके लिए ही फिल्म में हैं।
जगपति बाबू ने किया शानदार काम
वेंकटेश कमाल एक्टर हैं, इमोशन्स में भी और एक्शन में भी। जगपति बाबू का भी स्क्रीन अपीयरेंस अच्छा है, लेकिन उनका कैरेक्टर अच्छे से गढ़ा नहीं गया, ये कमी बॉक्सर विजेन्दर सिंह के साथ भी है, हांलाकि विजयेन्दर ने क्लाइमेक्स में एक्शन कमाल किया है।
किसी का भाई किसी की जान को 3 स्टार
भूमिका चावला और भाग्यश्री यानी सलमान की दो हीरोइन्स को फिल्म में भाभियों का कैरेक्टर निभाते देखकर थोड़ा अजीब लगता है। ईद पर सलमान खान की ये फिल्म खास भाईजान के फैन्स के लिए है। बस लॉजिक और ज्यादा उम्मीदें मत पालिए… एंटरटेनमेंट और एक्शन के लिए सलमान स्टारर फिल्म देखकर मजा आएगा, किसी का भाई, किसी की जान को 3 स्टार।