Neeyat Review: सस्पेंस और थ्रिलर से भरपूर है ‘नीयत’, पढ़ें रिव्यू
Neeyat Film Review
नवीन सिंह भारद्वाज: जब भी हम किसी से धोखा खाते हैं तो उसके लिए सबसे पहले एक ही लफ्ज ज़ुबान पर आता है “तुम्हारी नीयत समझ में आ गई” या फिर कहते हैं कि “तुम्हारी नीयत ही खराब थी”।
अपने करीब के लोगों की बुरी नीयत का शिकार हम अक्सर बन जाते है। इंसानी फितरत है कि किसी की नीयत तब ही समझ आती है, जब आपके साथ कुछ बुरा हो चुका होता है।
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Neeyat रिव्यू
बिल्कुल ऐसा ही कुछ अनु मेनन अपनी फिल्म नीयत के जरिए दिखाना चाहती हैं। साथ ही पूरे 4 साल के बाद अनु मेनन के साथ एक बार फिर बड़े पर्दे पर वापसी कर रहीं हैं विद्या बालन।
कहानी
कहानी की शुरुआत स्कॉटलैंड से होती है जहां अपने लक्जरी महल जैसे घर में मुंबई का सबसे बड़ा इंडस्ट्रियलिस्ट आशीष कपूर अपना आलीशान जन्मदिन मानना चाहता है। इस मौके को खास बनाने के लिए आशीष अपने करीबी दोस्तों और फैमिली को इन्वाइट करता है।
गेस्ट लिस्ट
इन गेस्ट लिस्ट में आशीष कपूर की गर्लफ्रेंड लिजा (शहाना गोस्वामी), असिस्टेंट- कामिनी डे (अमृता पूरी), साला- जमशेद उर्फ जिम्मी (राहुल बोस), टैरो कार्ड रीडर और हीलर- जारा (निक्की वालिया), उसका सौतेला बेटा रायन (शशांक अरोड़ा) और उसकी गर्लफ्रेंड जीजी (प्रजक्ता कोली), दोस्त संजय सूरी (नीरज कबी) और उसका परिवार शामिल हैं। घर में एक इवेंट मैनेजर- तनवीर (दानिश रजवी) भी होता है, जो जन्मदिन की तैयारी कर रहा है।
ऑफिसर मीरा राव की एंट्री
पार्टी की शुरुआत में ही घर पर सीनियर सीबीआई ऑफिसर मीरा राव (विद्या बालन) की एंट्री हो जाती है। पार्टी में आए जितने भी गेस्ट हैं, वो किसी ना किसी वजह से आशीष के सहारे हैं।
सरेंडर करना चाहता है आशीष
स्कॉटलैंड में इस मौके पर मीरा की मौजूदगी की वजह है कि आशीष पर भारत से 20 हजार करोड़ की रकम का लोन ले कर भागने का आरोप है। इसी के चलते आशीष अपनी पूरी प्रॉपर्टी के साथ अब सरेंडर करना चाहता है। मगर पार्टी के बीच आशीष की नोंक-झोंक उसके सौतेले बेटे रायन से होती है।
आशीष कपूर को किसने मारा?
जिसके बाद वो कैसेल से बाहर निकलता है, जहां मिस्टीरियस हालात में वो मरा हुआ मिलता है। अब चूंकि इन हालात में सीबीआई ऑफिसर मीरा वहां है तो उसका मिशन है राज पता लगाने का कि आखिर आशीष कपूर को किसने मारा?
खैर, इतनी कहानी का अंदाजा तो आपको ट्रेलर से मिल गया होगा। आपको उनके नाम और थोड़ा कहानी का बेस बताया है बाकी की कहानी तो फिल्म देखकर पता चलेगी मगर फिल्म कैसी है ये हम आपको अभी बता देंगे।
डायरेक्शन और राइटिंग
शकुंतला देवी के बाद विद्या बालन के साथ एक बार फिर ‘नीयत’ के जरिए अनु मेनन वापस आई हैं। अनु ने फिल्म के डायरेक्शन की कमान के साथ-साथ, इसकी कहानी को गढ़ने का काम भी किया है और इसमें उनका साथ कौसर मुनीर, प्रिया वेंकटरमन, अद्वैत काला, गिरवानी धयानी ने दिया है।
कहानी में एक्शन
दरअसल, नीयत की कहानी में खोट नहीं है, बल्कि इसके ट्रीटमेंट में थोड़ा ढीलापन जरूर है। दरअसल फिल्म का फर्स्ट हॉफ इसके बिल्ड-अप में ही निकल जाता है, जिसमें आपको कैरेक्टर्स और उनके बीच के रिलेशनशिप को समझते-समझते, उनके बीच का ड्रामा देखते-देखते बेसब्र होने लगते हैं कि असल हादसा कब होगा, इन्वेस्टीगेशन कब होगा, कहानी रफ्तार कब पकड़ेगी? ये इंतज़ार बहुत लंबा है, इंटरवल के बाद कहानी में एक्शन शुरू होता है और हां क्लाइमेक्स बहुत ही सरप्राइजिंग है।
मीरा का कैरेक्टर
मीरा के कैरेक्टर को दिलचस्प बनाने के चक्कर में राइटर और डायरेक्टर बहुत ज़्यादा ही एक्सपेरीमेंट कर बैठे हैं। जैसे सीबीआई ऑफिसर मीरा, कुत्ते को देखकर घबराकर भागती है। अपनी घबराहट में टॉफियां खाती रहती है। बड़ी से बड़ी हिंदुस्तानी फैमिली हो लेकिन किसी अपने के मरने का दुख तो सभी को होता है। इस फैमिली में ये पूरी तरह से मिसिंग है। दूसरे फिल्म में दमदार डाययलॉग्स की कमी, कौसर मुनीर पूरी नहीं कर पाए हैं।
एक्टिंग
ओटीटी स्पेस पर 3 बेहतरीन प्रोजेक्ट्स के बाद विद्या बालन चार साल के बाद बड़े पर्दे पर वापसी कर रहीं हैं और ‘बॉबी जासूस’ के बाद एक बार फिर विद्या जासूसी के फेर में पड़ी है। विद्या अमेज़िग बालन इस बार भी अपने किरदार में शानदार है।
‘नीयत' के बाक़ी के अहम किरदार जैसे राम कपूर, शहाना गोस्वामी, प्राजक्ता कोली, राहुल बोस, नीरज कबी, अमृता पूरी, निक्की वालिया और शशांक अरोड़ा ने भी अपने किरदार में कहीं कोई कमी नहीं छोड़ा है। अच्छी कास्ट को डायरेक्टर अनु मेनन ने पूरा स्क्रीन स्पेस भी दिया है। क्लाइमेक्स को रिवील ना करते हुए ये बताना बेहद जरूरी है कि शेफाली शाह की एंट्री फिल्म की जान भी है और सबसे बड़ी हाईलाइट भी।
टेक्निकल
नीयत की एक बड़ी कमज़ोरी इसका बैकग्राउंड स्कोर है। मिक्की मैक्लियरी ने मर्डर मिस्ट्री वाले सस्पेंस और इंटेस मूड में कॉमिक एक्सपेरीमेंट करके इसका मज़ा किरकिरा किया है। नीयत की एडीटिंग भी कमजोर है। दूसरी फिल्म इतनी डार्क है कि अंधेरे थियेटर में भी ये अंधेरा आपको वाकई चिढ़ाएगा और साथ सीन्स में डायलॉगबाज़ी को फिट करने के चक्कर में उसे कई बार कुछ ज़्यादा ही खींच दिया गया है।
क्यों देखें
रोमांटिक फिल्मो की बाढ़ में एक्शन फिल्मों की आड़ में अगर कुछ मर्डर मिस्ट्री जैसा कटेंट देखने का मन करें तो नीयत देख सकते हैं। विद्या की परफॉरमेंस के लिए इसे देख सकते हैं मगर इससे ज़्यादा उम्मीद ना रखिए और हां, नीयत का ट्रैक- Knives Out, Murder On Orient Express, और Death On The Nile से जुदा है। इस नीयत को 2 स्टार।
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