मुंबई में 2008 में हुए 26/11 आतंकी हमले के मुख्य आरोपियों में से एक, तहव्वुर हुसैन राणा को आखिरकार भारत लाया जा चुका है। इस महत्वपूर्ण प्रत्यर्पण अभियान की कमान राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के दो वरिष्ठ अधिकारियों – आईजी आशीष बत्रा (IG Ashish Batra) और डीआईजी जया रॉय (DIG Jaya Roy) ने संभाली। दोनों अधिकारियों ने न केवल अमेरिका से कानूनी प्रक्रिया को पूरा किया, बल्कि राणा की हिरासत लेकर उसे भारत भेजने की कार्रवाई को भी अंजाम दिया।
अमेरिका में कार्रवाई और प्रत्यर्पण की प्रक्रिया
NIA की यह स्पेशल टीम रविवार को अमेरिका पहुंची थी। सूत्रों के अनुसार, मंगलवार शाम को लॉस एंजिल्स में डीआईजी जया रॉय ने तहव्वुर राणा की हिरासत को औपचारिक रूप से लेने के लिए ‘सरेंडर वारंट’ पर हस्ताक्षर किए। इसके तुरंत बाद बुधवार सुबह एक विशेष विमान के जरिए राणा को भारत भेज दिया गया। इस गोपनीय ऑपरेशन में तीन अन्य खुफिया एजेंसियों के अधिकारी भी शामिल थे, जिन्होंने NIA की टीम को लॉजिस्टिक्स और सुरक्षा में सहयोग दिया।
IG आशीष बत्रा: मिशन के मजबूत स्तंभ
NIA में IG के पद पर कार्यरत आशीष बत्रा 1997 बैच के IPS अधिकारी हैं और झारखंड कैडर से आते हैं। उनकी NIA में नियुक्ति साल 2019 में पांच वर्षों के लिए हुई थी, जिसे अब 15 सितंबर 2024 के बाद दो साल और बढ़ा दिया गया है। बत्रा इससे पहले झारखंड की जगुआर यूनिट (जो एक स्पेशल एंटी-नक्सल फोर्स है) के IG के रूप में कार्यरत थे। साथ ही उन्होंने प्रवक्ता और IG अभियान की अतिरिक्त जिम्मेदारियां भी संभाली थीं।
उनका करियर बेहद बेहतरीन रहा है। उन्होंने जहानाबाद में असिस्टेंट SP, कोयल कारो और हजारीबाग में SP, रांची में सिटी SP (19 महीने) और राज्यपाल सुरक्षा में डेढ़ साल तक सेवाएं दी हैं। उनके पास ऑपरेशनल और प्रशासनिक दोनों तरह का मजबूत अनुभव है।
DIG जया रॉय: साइबर क्राइम की धाकड़ अफसर
2011 बैच की आईपीएस अधिकारी जया रॉय, जो झारखंड कैडर से हैं, वर्तमान में NIA में डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG) के पद पर हैं। साल 2019 में उन्हें चार वर्षों के लिए NIA में SP के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था, और अब वह वरिष्ठ पद पर कार्यरत हैं।
उनकी सबसे प्रसिद्ध पोस्टिंग झारखंड के जामताड़ा में रही है, जो साइबर अपराध के गढ़ के रूप में जाना जाता है। वहां उन्होंने साइबर अपराधियों पर बड़ी कार्रवाई की थी, जिसकी देशभर में सराहना हुई। इतना ही नहीं, इस ऑपरेशन को लेकर एक वेब सीरीज भी बनाई गई है, जिससे उनकी नेतृत्व क्षमता की लोकप्रियता और बढ़ गई।
कानूनी प्रक्रिया और कूटनीतिक संवेदनशीलता
तहव्वुर राणा को भारत लाने की प्रक्रिया अमेरिका और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत पूरी की गई। NIA की टीम ने अमेरिकी एजेंसियों के साथ समन्वय कर यह सुनिश्चित किया कि भारत को राणा की हिरासत मिल सके। यह मिशन न केवल कानूनन जटिल था, बल्कि राजनयिक और आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कौन है तहव्वुर राणा?
64 वर्षीय तहव्वुर हुसैन राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। उस पर 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों में भागीदारी का गंभीर आरोप है। NIA के अनुसार, राणा ने अपने बचपन के दोस्त और सह-अभियुक्त डेविड कोलमैन हेडली को भारत में हमले की योजना बनाने में मदद की थी। इसके लिए उसने एक फर्जी इमिग्रेशन फर्म के जरिए वीजा और अन्य डॉक्यूमेंट्स उपलब्ध कराए थे।
गौरतलब है कि 26 नवंबर 2008 को हुए इन हमलों में 166 लोगों की जान गई थी, जिनमें छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। भारत में अब राणा से पूछताछ की जा रही है और उसकी भूमिका की गहराई से जांच की जाएगी।
भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण भारत की आंतरिक सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी अभियान और न्याय दिलाने की प्रक्रिया में एक ऐतिहासिक और निर्णायक कदम माना जा रहा है। NIA की यह सफलता न केवल एजेंसी की कार्यकुशलता को दर्शाती है, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी कार्रवाई करने की क्षमताओं को भी दिखाती है।