नई दिल्ली: भारत में जश्न का माहौल है क्योंकि आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं। भारत की अच्छी बात यह रही है कि वह अपने इतिहास को नहीं भूलता है। ऐसे ही खास अवसर पर बीती उन कुछ पॉलिसी व डिसीजन को भी याद किया जाता है जो आत्मनिर्भर, मजबूत, समृद्ध और सुरक्षित भारत की नींव है। पिछले महीने के अंत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शुरू होने के दो साल पूरे होने के अवसर पर केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शिक्षा और कौशल विकास संबंधी कई पहलों का शुभारंभ किया।
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत स्कूलों व कॉलेजों में होने वाली शिक्षा की नीति तैयार की जाती है। भारत सरकार ने नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 को लागू कर दिया है। इसके अंतर्गत सरकार ने एजुकेशन पॉलिसी में काफी सारे मुख्य बदलाव किए हैं। केंद्र की तरफ से दो साल पहले लागू की गई नीति को अब धीरे-धीरे राज्य लागू कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 29 जुलाई 2020 को नई शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दी।
34 साल पुरानी शिक्षा नीति में बदलाव
इस नीति को 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 को बदलने के लिए मंजूरी दी गई थी और इसके तहत ‘मानव संसाधन और विकास मंत्रालय’ का नाम बदलकर अब ‘शिक्षा मंत्रालय’ कर दिया गया था। नई नीति का उद्देश्य 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% जीईआर के साथ पूर्व-विद्यालय से माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा के सार्वभौमिकरण करना है।
10+2 को 5+3+3+4 से बदला गया
पहले 10+2 का पैटर्न फॉलो किया जाता था, लेकिन अब नई शिक्षा नीति के अंतर्गत 5+3+3+4 का पैटर्न फॉलो किया जाएगा। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2014 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल थी।
एनईपी 2020 प्रतिभाशाली नागरिक बनाएगा
अमित शाह ने कहा कि यह एनईपी 2020 प्रतिभाशाली नागरिक बनाने के मूल विचार के साथ तैयार किया गया है। उनका कहना है कि यह नई शिक्षा नीति आत्मनिर्भर, मजबूत, समृद्ध और सुरक्षित भारत की नींव है और यह शिक्षा नीति हर बच्चे तक पहुंचने और उसके भविष्य को आकार देने का एक साधन है। उन्होंने कहा, ‘स्वतंत्रता के बाद आई सभी शिक्षा नीतियों में पीएम मोदी द्वारा लाई गई एनईपी-2020 एकमात्र ऐसी शिक्षा नीति है, जिसे किसी विरोध का सामना नहीं करना पड़ा।’
इस नीति के 5 मुख्य स्तंभ क्या हैं?
सरकार के मुताबिक, शिक्षा नीति, क्षमता में वृद्धि, पहुंच, गुणवत्ता, निष्पक्षता और जवाबदेही जैसे स्तंभों पर तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 केवल एक नीति दस्तावेज नहीं है, बल्कि भारत के शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाले सभी विद्यार्थियों, शिक्षाविदों और नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है।
स्नातक डिग्री 4 साल की होगी
इस नीति के तहत, स्नातक डिग्री 4 साल की होगी। स्नातक में आपको कई मौके भी मिलेंगे, जब आप कोर्स से एग्जिट ले सकते हैं। अगर आप एक साल तक कोई कोर्स कर चुके हैं और फिर उसको छोड़ना चाहते हैं तो आपको उस क्षेत्र में 1 वर्ष पूरा करने का प्रमाण पत्र दिया जाएगा। दो साल के कोर्स के बाद डिप्लोमा दिया जाएगा।