नई दिल्ली: नीट में 99.90 परसेंटाइल अंक लाकर मेडिकल इंस्टीट्यूट जिपमेर में एडमिशन लेने वाले केरल के एक छात्र का दाखिला मेडिकल काउंसिल कमेटी ने रद्द कर दिया है। छात्र का नाम नजीह सरफराज खालिद है। उनका एडमिशन दो राज्यों में मूल निवासी होने का दावा करने के चलते रद्द कर दिया गया है।
ये है पूरा मामला
खालिद ने नीट 2022 में शानदार प्रदर्शन किया था और 99 प्रतिशत अंक लाए थे। इसके बाद वे किसी भी कॉलेज में एडमिशन ले सकते थे लेकिन उन्होंने मेडिकल इंस्टीट्यूट जिपमेर को चुना। उन्होंने इस कॉलेज में मूल निवासी कोटे के तहत दाखिला प्राप्त किया।
उनके एडमिशन के खिलाफ इंस्टीट्यूट के एक अन्य छात्र सामीनाथन एस ने इंस्टीट्यूट की एडमिशन अथॉरिटी से शिकायत की और बताया कि खालिद ने एप्लीकेशन फॉर्म में झूठी जानकारी देकर एडमिशन लिया है। खालिद ने रेजिडेंसी कोटा (मूल निवासी) से जिपमेर में दाखिला लिया था।
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इसके बाद जांच में पाया गया कि उसी साल खालिद ने पुडुचेरी के साथ-साथ केरल में भी मूल निवास का दावा किया था। जब संस्थान ने सामीनाथन एस की शिकायत पर कार्रवाई नहीं की तो उसने खालिद का दाखिला रद्द करने के लिए नवंबर में मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
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मद्रास हाईकोर्ट ने एमसीसी पर छोड़ दिया था निर्णय लेने का फैसला
इस मामले पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने पुडुचेरी सरकार और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से उनके प्रवेश पर “उचित निर्णय” लेने को कहा था। हाईकोर्ट ने कहा था कि ‘ कॉलेज के मैनेजमेंट ने ही उन्हें एडमिशन दिया था ऐसे में उन पर सही निर्णय भी प्रशासन ही लेगा। कोर्ट ने ये भी कहा था कि पब्लिक सर्वेंट को समझाइश देना कोर्ट का काम नहीं है।
वहीं इस पर बाद में एमसीसी ने निर्णय ले लिया और खालिद का एडमिशन रद्द कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के माने तो उनकी जगह सामीनाथन एस को एडमिशन दिया जा चुका है। नियमों के मुताबिक कोई छात्र मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए आवेदन करते समय एक शैक्षणिक वर्ष में एक से अधिक राज्यों में मूल निवास स्थान का दावा नहीं कर सकता।
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