किसी ने सच ही कहा है “कौन कहता है कि आसमान में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों!” यह पंक्तियां आईपीएस ऑफिसर पूनम दलाल दहिया की जिंदगी पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। उनके हौसले, मेहनत और जज्बे ने यह साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मंजिल नामुमकिन नहीं है।
शुरुआत एक साधारण परिवार से
पूनम का जन्म दिल्ली में हुआ, लेकिन उनका मूल निवास हरियाणा के झज्जर जिले में है। वे एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से आती हैं। साल 2002 में 12वीं पास करने के बाद उन्होंने जेबीटी (JBT) कोर्स किया और दिल्ली के एमसीडी स्कूल, रोहिणी में टीचर के रूप में कार्य करना शुरू किया। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन भी पूरी की।
बैंकिंग और सरकारी नौकरी का सफर
टीचिंग के बाद पूनम ने बैंकिंग क्षेत्र की ओर रुख किया और अपनी मेहनत के दम पर SBI PO परीक्षा पास की। SBI में कार्य करते हुए उन्होंने SSC CGL की भी तैयारी की और सफल होकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में नौकरी पा ली। इन दोनों कठिन परीक्षाओं में सफलता ने उनके आत्मविश्वास को नई उड़ान दी और उन्होंने UPSC की तैयारी का फैसला किया।
शादी के बाद भी नहीं रुके कदम
साल 2007 में पूनम की शादी असीम दहिया से हुई, जो दिल्ली में कस्टम एंड एक्साइज डिपार्टमेंट में पदस्थ हैं। असीम ने पूनम को न सिर्फ समझा बल्कि उनका पूरा साथ भी दिया। शादी के बाद भी पूनम ने अपने करियर और सपनों से समझौता नहीं किया।
हरियाणा PCS के जरिए बनीं DSP
पहली बार UPSC देने पर उन्हें RPF (Railway Protection Force) मिला, जिससे वे संतुष्ट नहीं थीं। दोबारा प्रयास किया तो IRPS (Indian Railway Personnel Service) मिला। इसी दौरान उन्होंने हरियाणा PCS परीक्षा भी पास की और DSP (Deputy Superintendent of Police) के रूप में पुलिस सेवा जॉइन की।
आखिरी मौका, सबसे बड़ा इम्तिहान
2011 में उनका आखिरी UPSC प्रयास भी असफल रहा। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। भारत सरकार ने 2015 में एक निर्णय लिया कि 2011 के उम्मीदवारों को एक अतिरिक्त प्रयास मिलेगा। यह पूनम के लिए एक आखिरी मौका था, जिसे उन्होंने पूरी ताकत से अपनाया।
प्रेगनेंसी के दौरान दी UPSC परीक्षा
यह मौका उनके लिए आसान नहीं था। वे हरियाणा पुलिस में DSP के रूप में फुलटाइम ड्यूटी कर रही थीं और उसी समय वे गर्भवती भी थीं। प्रीलिम्स परीक्षा उन्होंने 9वें महीने की प्रेगनेंसी में दी, और मेंस परीक्षा उस समय दी जब उनका बच्चा केवल 3 महीने का था। इतनी मुश्किल परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी।
IPS बनने तक का सफर
कड़ी मेहनत, अनुशासन और अपने परिवार के सहयोग से पूनम ने UPSC में 897 अंक प्राप्त कर 308वीं रैंक हासिल की और IPS अधिकारी बन गईं। उनका यह सफर हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है जो जीवन की कठिनाइयों से डरकर अपने सपनों से समझौता कर लेता है।
पूनम दलाल की कहानी बताती है कि जब इरादे बुलंद हों और लक्ष्य साफ हो, तो हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, सफलता मिलकर ही रहती है। वे आज सिर्फ एक IPS अधिकारी नहीं हैं, बल्कि लाखों महिलाओं और युवाओं के लिए एक जीती-जागती प्रेरणा हैं।