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विकसित भारत बनने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास जरूरी, अडानी यूनिवर्सिटी में विशेषज्ञों ने साझा किए विचार

Adani University: अडानी यूनिवर्सिटी में कई विशेषज्ञों ने सस्टेनेबल डवलपमेंट पर अपनी बात रखी। यूनिवर्सिटी में दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया।

Edited By : Pushpendra Sharma | Updated: Dec 13, 2024 16:51
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adani university
अडानी यूनिवर्सिटी में कार्यक्रम।

Adani University: सस्टेनेबल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास, ग्रीन ट्रांजिशन और फाइनेंसिंग (ICIDS) में उभरती चुनौतियों पर अडानी यूनिवर्सिटी में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में शिक्षा जगत के दिग्गज शामिल रहे। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, सरकारी एजेंसियों के प्रतिनिधियों और इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने सस्टेनेबल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास पर अपनी बात रखी।

पर्यावरण की चुनौतियों पर चर्चा 

इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत और दुनियाभर के शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को एक साथ लाना है। सम्मेलन में इकोनॉमिक डवलपमेंट, सामाजिक समानता और पर्यावरण की चुनौतियों जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। ताकि इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में राष्ट्रीय और वैश्विक स्थिरता एजेंडे 2030 को आकार दिया जा सके। अडानी विश्वविद्यालय के प्रोवोस्ट प्रोफेसर रवि पी. सिंह ने इन्फ्रास्ट्रक्चर और एनर्जी के क्षेत्र में पिछले कुछ सालों में भारत की अविश्वसनीय प्रगति पर जोर दिया।

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यूनिवर्सिटी में 5 साल का इंटीग्रेटेड करिकुलम

उन्होंने बताया कि भारत में वर्तमान में लगभग 450 गीगावाट ऊर्जा क्षमता है। जिसमें से लगभग 50% नॉन फॉसिल फ्यूल से आता है। भारत का लक्ष्य 2030 तक 500 गीगावाट ऊर्जा उत्पादन तक पहुंचने का है। यूनिवर्सिटी एनर्जी इंजीनियरिंग और एनर्जी मैनेजमेंट में 5 साल का इंटीग्रेटेड करिकुलम भी पेश कर रहा है। जिसमें भारत के एनर्जी फ्यूचर में योगदान देने के लिए दुनियाभर से छात्रों की भर्ती की जा रही है।

कई आयामों पर विचार करने की जरूरत

इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड सस्टेनेबिलिटी (ICIDS) में द रॉयल ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया के प्राप्तकर्ता और अडानी विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष प्रोफेसर अरुण शर्मा ने भारत और वैश्विक समुदाय के सामने आने वाली गंभीर चुनौतियों पर बात की। उन्होंने कहा कि भारत जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, वे देश के लिए अनोखी नहीं हैं, बल्कि एशिया के अधिकांश हिस्सों में साझा की गई हैं। उन्होंने कहा कि हमें कई आयामों पर विचार करने की जरूरत है। इसके लिए वैश्विक स्तर पर समाधान तलाशे जाने चाहिए।

रतीय और चीन की सभ्यताओं का जिक्र

रिसर्च सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड इनोवेशन, स्कूल ऑफ ग्लोबल स्टडीज, थम्मासैट यूनिवर्सिटी, थाईलैंड से प्रोफेसर भरत दहिया ने भारत और एशिया में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए प्रमुख चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की। ‘एशियाई शताब्दी’ की अवधारणा पर बात करते हुए उन्होंने एशिया में सांस्कृतिक एकता पर जोर दिया। उन्होंने इसकी प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण पांच आयामों को रेखांकित किया। ओकाकुरा काकुजो को उद्धृत कर उन्होंने भारतीय और चीनी सभ्यताओं की साझा विरासत का जिक्र किया। उन्होंने कहा- ”एशिया एक है।” सभी एक्सपर्ट्स ने ऊर्जा परिवर्तन और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में भविष्य के विकास के लिए रोडमैप पेश किया। सम्मेलन के पहले दिन 250 से अधिक उद्योग प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं ने हिस्सा लिया। सम्मेलन के दूसरे दिन दुनिया भर के रिसर्च स्कॉलर्स की ओर से संबंधित क्षेत्रों में 50 से ज्यादा रिसर्च पेपर पत्र प्रस्तुत किए गए।

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Edited By

Pushpendra Sharma

First published on: Dec 13, 2024 04:51 PM

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