Hindi Medium MBBS Program: मध्यप्रदेश में इस बार 30% स्टूडेंट्स ऐसे थे, जिन्होंने हिंदी मीडियम MBBS प्रोग्राम का ऑप्शन चुना है। बता दें कि इस प्रोग्राम की शुरुआत 2022 में की गई थी। जहां एमपी में स्टूडेंट्स ने सबसे ज्यादा इस प्रोग्राम को चुना है। वहीं अन्य राज्यों ने भी इस प्रोग्राम में अपनी रुचि दिखाई है। राजस्थान, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने इस पैटर्न को फॉलो करना शुरू कर दिया है। आइये इसके बारे में जानते है।
प्रोग्राम शुरू करने में हो रही परेशानी
बता दें कि इस प्रोग्राम को लागू करने में एमपी को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। अब ऐसी ही कुछ इन राज्यों को भी सहना पड़ रहा है। इसमें सबसे बड़ी समस्याओं में बाई-लिंगुअल टेक्स्ट बुक को लाना और हिन्दी में मेडिकल टर्मिनोलॉजी रही, ताकि स्टूडेंट्स इसे अच्छे से समझ सके।
एमपी ने अक्टूबर 2022 में फर्स्ट ईयर मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए तीन टेक्स्ट बुक का हिंदी ट्रांसलेशन किया, जिसमें एनाटॉमी, बायोकेमिस्ट्री और फिजियोलॉजी शामिल हैं। फिलहाल केवल फर्स्ट और सेकंड ईयर के स्टूडेंट्स के पास हिंदी मेडिकल टेक्स्टबुक हैं। अधिकारियों को उम्मीद है कि अन्य टेक्स्ट बुक्स जल्द ही तैयार हो जाएंगी क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल को मेडिकल टेक्स्टबुक्स के ट्रांसलेशन का काम सौंपा गया है।
एक्सपर्ट के बीच बहस
एमपी के इस कदम ने कई एक्सपर्ट के बीच बहस छेड़ दी है और ये एक्सपर्ट हिंदी मीडियम MBBS के पक्ष और विपक्ष में बट गए हैं। मध्य प्रदेश में हिंदी एमबीबीएस की शुरुआत एक अहम कदम है, जिसके कारण ये हिंदी मीडियम MBBS की शुरुआत करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 16 अक्टूबर, 2022 को भोपाल में इस पहल की शुरुआत की। ग्रामीण और हिंदी भाषा के छात्रों के लिए मेडिकल करिकुलम को आसान बनाने के लिए टेक्स्ट बुक को हिंदी में अनुवाद किया गया।
एक साल पहले हिंदी एमबीबीएस शुरू करने वाले ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज (GRMC) के डीन डॉ. आरकेएस धाकड़ ने बताया कि हिंदी मीडियम के स्कूलों से आने वाले केवल 30-40% छात्रों ने हिंदी MBBS का ऑप्शन चुना है।
स्टूडेंट्स को मिलेगी मदद
वहीं मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा निदेशालय (DME) के एक अधिकारी ने बताया कि एमबीबीएस करिकुलम को पूरी तरह हिंदी में पढ़ाना प्रेक्टिकल नहीं है। हिंदी भाषा के छात्र अक्सर पारंपरिक हिंदी शब्दों जैसे Bone के लिए ‘अस्थि’ या Stomach के लिए ‘अमाशय’ को पसंद नहीं करते। इसके बजाय वे अंग्रेजी के शब्द से अधिक परिचित लगते हैं और वे हिंदी और अंग्रेजी को मिलाकर यानी ‘हिंग्लिश’ को प्राथमिकता देते हैं।
उनका कहना है कि अंग्रेजी माध्यम के बैकग्राउंड वाले लगभग 70% छात्रों को अंग्रेजी लेक्चर से कोई परेशानी नहीं होती। हालांकि, बाई-लिंगुअल की शुरुआत ने हिंदी मीडियम वाले 30% छात्रों की काफी मदद की है और वे उसे बेहतर ढंग से समझने का दावा करते हैं।
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