अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल से लागू होने जा रहे रेसिप्रोकल टैरिफ से पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। उन्होंने PM मोदी को एक अच्छा दोस्त और स्मार्ट व्यक्ति करार दिया है। अपने पहले कार्यकाल में भी ट्रंप भारत के करीब थे और अक्सर PM मोदी की तारीफ किया करते थे। हालांकि, तब और अब में काफी फर्क है, क्योंकि बीच में टैरिफ आ गया है। इसलिए ट्रंप की तारीफ से मायने भी बदल गए हैं।
क्या बोले डोनाल्ड ट्रंप?
व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हाल ही में अमेरिका आए थे। हम हमेशा से बहुत अच्छे दोस्त रहे हैं। वह (मोदी) बहुत स्मार्ट हैं और मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। उन्होंने PM मोदी को महान प्रधानमंत्री भी करार दिया। हालांकि, इन सबके बीच ट्रंप यह जताना भी नहीं भूले कि भारत दुनिया के सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश पर अधिक टैरिफ लगाना सख्त फैसला तो है, लेकिन भविष्य में इसके बेहतर परिणाम आएंगे।
मन में व्यापारिक हित
इसमें कोई दोराय नहीं है कि PM मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच अच्छे रिश्ते हैं, लेकिन मौजूदा समय व्यापारिक हितों को साधने का है, इसलिए रेसिप्रोकल टैरिफ से ठीक पहले ट्रंप के तारीफ भरे शब्दों में दोस्ती वाले भाव से ज्यादा कूटनीतिक और रणनीतिक अहसास अधिक महसूस होता है। ट्रंप का यह कहना कि भारत बहुत ज्यदा टैरिफ लगाता है और PM मोदी स्मार्ट हैं, कहीं न कहीं भारत को मोलभाव के लिए प्रेरित करता है। यूएस प्रेसिडेंट शायद यह कहना चाहते हैं कि भारत के स्मार्ट प्रधानमंत्री अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ कम करके अपनी समझदारी का परिचय दें और रेसिप्रोकल टैरिफ के बड़े नुकसान से बचें।
मनोवैज्ञानिक दबाव
इसके अलावा, अपने प्यार और सम्मान वाले शब्दों से उन्होंने भारत पर एक तरह का अप्रत्यक्ष दबाव बनाने की कोशिश की है कि नई दिल्ली अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ कोई जवाबी कार्रवाई न करे। कह कहकर कि भारत जैसे देश पर अधिक टैरिफ लगाना सख्त फैसला है, ट्रंप ने दर्शाने का प्रयास किया है कि उन्हें न चाहते हुए भी ऐसा करना पड़ रहा है। इसे मनोवैज्ञानिक दबाव भी कहा जा सकता है। भविष्य में अगर भारत अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने का कोई निर्णय लेता है, तो उसे ट्रंप की मजबूरी याद आ सकती है।
गौर करने वाली बात
डोनाल्ड ट्रंप ऑटो टैरिफ के बाद जल्द ही फार्मा टैरिफ का भी ऐलान करने वाले हैं। फार्मा एक्सपोर्ट में भारत की स्थिति मजबूत है। भारत दुनिया में सबसे ज्यादा जेनरिक दवाओं का एक्सपोर्ट करने वाले देशों में शुमार है। अमेरिका फार्मास्युटिकल्स उत्पादों के आयात पर जीरो ड्यूटी लगाता है, जबकि भारत में अमेरिकी फार्मा आयात पर करीब 10% फीसदी ड्यूटी है। रेसिप्रोकल टैरिफ के हिसाब से अमेरिका भी 10% टैरिफ लगा सकता है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि ट्रंप के फैसले से अमेरिकियों पर भी तो असर होगा। टैरिफ की वजह से जब कंपनियां अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने को विवश हो जाएंगी, तो यूएस में उन उत्पादों के ज्यादा दाम चुकाने होंगे। ट्रंप भी इससे वाकिफ हैं, इसलिए वह भारत पर शब्दों में प्यार लुटाकर बीच का कोई रास्ता चाहते हैं।
काम नहीं आए कड़े शब्द
ट्रंप इस बार कूटनीति के माहिर खिलाड़ी के तौर पर पेश आए हैं। वह जानते हैं कि जो काम डर से नहीं हो सकता, उसे प्यार से करवाया जा सकता है। भारत की तारीफ करके वह अपनी बातें मनवाने का एक आधार तैयार कर रहे हैं। ट्रंप भारत को टैरिफ किंग और ट्रेड अब्यूजर जैसे शब्दों से संबोधित करते रहे हैं, लेकिन इन शब्दों ने उन्हें मनमाफिक परिणाम नहीं दिए। इसलिए अब उन्होंने तारीफ के सहारे एक तरह से भारत को नरम करने की कोशिश की है, ताकि उनकी मांगों पर विचार की संभावना बढ़ जाए।