How to Change ITR Regime : हर सैलरीड पर्सन को 31 जुलाई तक इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना है। मार्च से पहले ही जहां जॉब कर रहे होते हैं, उस कंपनी को बताना होता है आप किस रिजीम के अनुसार ITR फाइल करेंगे? पुरानी रिजीम के अनुसार या नई रिजीम के अनुसार। जॉब करने वाला कोई भी शख्स अपनी मर्जी से कोई भी रिजीम चुन सकता है। कंपनी उसी के अनुसार आपकी सैलरी से टैक्स काटती है। अगर सैलरीड पर्सन मार्च तक कोई रिजीम नहीं चुनता है तो इसे बाय डिफॉल्ट नया रिजीम मान लिया जाता है। अगर आपने भी कोई टैक्स रिजीम नहीं चुना है या नया चुन लिया है और पुराने रिजीम के अनुसार ITR फाइल करना चाहते हैं तो टैक्स रिजीम स्विच कर सकते हैं। आप हर साल किसी भी समय नए से पुराने या पुराने से नए रिजीम में स्विच कर सकते हैं।
पहले जानें कि दोनों रिजीम में क्या अंतर है
पुरानी रिजीम: यह उन सैलरीड पर्सन के लिए ठीक है जो होम लोन की ईएमआई दे रहे हैं या कहीं इंश्योरेंस/हेल्थ इंश्योरेंस या किसी दूसरी टैक्स सेविंग स्कीम में इन्वेस्ट करते हैं।
नई रिजीम: यह उनके लिए ठीक है जिनकी नई जॉब लगी है। होम लोन या ब्याज की देनदारी नहीं है। कहीं कोई इन्वेस्टमेंट नहीं है। अगर पुराने एम्प्लॉई हैं और किसी भी प्रकार का इन्वेस्टमेंट नहीं किया है और न ही कोई लोन है।
यह है स्विच करने का तरीका
31 जुलाई से पहले जब आप ITR फाइल कर रहे होंगे तो नए रिजीम की जगह पुराने रिजीम को चुन सकते हैं। हालांकि अगर आप अभी रिजीम बदलवाना चाहते हैं ताे इसके लिए अपनी कंपनी के HR से बात करें। अगर HR परमिशन देता है तो रिजीम बदल सकते हैं। अगर नहीं देता है तो चिंता न करें। जब ITR फाइल करें तो पुरानी व्यवस्था चुन लें। अगर टैक्स की कोई देनदारी बनती है तो पहले उसे चुका दें और बाद में क्लेम कर सकते हैं।
बाय डिफॉल्ट है नई टैक्स रिजीम
अगर आपने ITR फाइल करने की कोई व्यवस्था नहीं चुनी है तो इनकम टैक्स विभाग इसे बाय डिफॉल्ट नई टैक्स रिजीम मान लेगा। यानी विभाग को लगेगा कि आप नई टैक्स व्यवस्था के अनुसार ITR फाइल करना चाहते हैं। ऐसे में आपका TDS नए रिजीम के अनुसार ही कटेगा।
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