चांदी की कीमत और मांग जिस तेजी से बढ़ रही है, उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि ये साल कमोडिटीज के दबदबे वाला साल रहा है. खासतौर पर चांदी सबसे अच्छा परफॉर्मर बनकर उभरी है. इसने साल-दर-साल (YTD) 120% की शानदार बढ़त हासिल की है. इस तेजी ने शुक्रवार को घरेलू बाजार में कीमतों को पहली बार 200000 रुपये के पार पहुंचा दिया और चांदी को 1979 के बाद से अपने सबसे अच्छे सालाना परफॉर्मेंस के लिए तैयार कर दिया, जो 46 साल का माइलस्टोन है. हालांकि,अभी ये फुल स्टॉप नहीं है. आगे चांदी में अभी और तेजी देखने को मिलेगी. क्योंकि विश्लेषकों को ये उम्मीद है कि अगले साल कीमतें 240000 से 250000 के स्तर को छू सकती हैं.
माइक्रोसॉफ्ट को पीछे छोड़ा
मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से चांदी ऑफिशियली माइक्रोसॉफ्ट को पीछे छोड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी एसेट बन गई है, जो इस कीमती धातु के लिए एक ऐतिहासिक पल है. पहली बार $63 प्रति औंस से ऊपर जाने के बाद, चांदी की कुल मार्केट वैल्यू लगभग $3.593 ट्रिलियन हो गई, जो माइक्रोसॉफ्ट की $3.59 ट्रिलियन वैल्यूएशन से थोड़ा ज्यादा है.
कुछ महीनों पहले तक चांदी एक स्थिर कमोडिटी थी और अब ये कुछ ही महीनों में स्थिर कमोडिटी से दुनिया के सबसे कीमती और सबसे ज्यादा देखे जाने वाले एसेट्स में से एक बन गई है. इस प्रोसेस में ग्लोबल मार्केट लीडरबोर्ड को फिर से बदल दिया है. दिसंबर में फेडरल रिजर्व के रेट कट की नई उम्मीदों ने सेंटिमेंट को बढ़ावा दिया है. कम इंटरेस्ट रेट चांदी जैसे नॉन-यील्डिंग एसेट्स को रखने की अपॉर्चुनिटी कॉस्ट को कम करते हैं, जिससे यह इन्वेस्टर्स के लिए ज्यादा आकर्षक हो जाती है.
इस रैली का एक बड़ा कारण दिसंबर में फेडरल रिजर्व के इंटरेस्ट रेट कट की नई उम्मीद है. कम इंटरेस्ट रेट चांदी जैसे ऐसे एसेट्स को रखने की अपॉर्चुनिटी कॉस्ट को कम करते हैं जो यील्ड नहीं देते, जिससे वे स्टेबिलिटी या महंगाई से सुरक्षा चाहने वाले इन्वेस्टर्स के लिए ज्यादा आकर्षक हो जाते हैं.










