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RBI की बैठक में ब्याज दरें घटने के कितने चांस? आम आदमी की जिंदगी पर क्या असर

रिजर्व बैंक की आज से शुरू हो रही बैठक पर सभी की निगाह है। तीन दिनों तक चलने वाले इस बैठक में तय होगा कि रेपो रेट में कटौती होगी या नहीं? मौद्रिक नीति समिति की पिछली बैठक में RBI ने पांच साल के लंबे अंतराल के बाद रेपो रेट पर कुछ राहत दी थी।

Author Edited By : Neeraj Updated: Apr 7, 2025 08:02

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक आज से शुरू हो रही है। इस तीन दिवसीय बैठक में तय होगा कि आपके लोन की EMI कम होगी या नहीं। दरअसल, नए वित्तीय वर्ष की इस पहली बैठक में रेपो रेट में कटौती पर फैसला लिया जाएगा। 9 अप्रैल को सुबह 10 बजे आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा इस बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा करेंगे।

कटौती की है उम्मीद

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में हुई पिछली बैठक में रेपो रेट में 0.25% कटौती करके इसे 6.25% किया गया था। करीब पांच साल के लंबे इंतजार के बाद यह कटौती हुई थी। इससे पहले RBI ने महंगाई को नियंत्रित करने के नाम पर कई बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की, जिससे कर्ज महंगे होते चले गए और लोगों पर EMI का बोझ भी बढ़ गया। इस समय महंगाई में नरमी है, लिहाजा माना जा रहा है कि इस बार भी RBI से रेपो रेट में कुछ राहत की खबर आ सकती है।

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कब-कब होती है बैठक?

RBI मौद्रिक नीति की समीक्षा के लिए हर दो महीने के अंतराल में यह बैठक करता है। मौद्रिक नीति समिति (MPC) में कुल 6 सदस्य होते हैं, जिसमें से 3 आरबीआई के होते हैं, जबकि बाकी केंद्र द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। तीन दिनों तक चलने वाली इस बैठक में रेपो रेट सहित कई मुद्दों पर चर्चा होती। तीसरे दिन ही सुबह बैठक के निर्णयों की जानकारी साझा की जाती है। आरबीआई गवर्नर खुद बताते हैं कि MPC में किन मुद्दों पर सहमति बनी है। RBI MPC की अगली बैठक 4-6 जून को होगी।

आप पर कैसे होगा असर?

रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। ऐसे में जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो बैंकों के लिए कर्ज महंगा हो जाता है और वो ग्राहकों के कर्ज को भी महंगा कर देते हैं। इसके उलट जब रेपो रेट में कटौती होती है, तो लोन सस्ते होने का रास्ता खुल जाता है और आपकी EMI का बोझ कुछ कम होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए RBI MPC की बैठक पर सबकी निगाह रहती है।

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क्या है RBI की जिम्मेदारी?

आरबीआई को केंद्र की तरफ से खुदरा महंगाई दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनाए रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। 2022-23 में RBI को महंगाई के मुद्दे पर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। अब तक के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब RBI को महंगाई नियंत्रित न करने पाने के लिए केंद्र सरकार को स्पष्टीकरण देना पड़ा। बता दें कि रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत अगर महंगाई के लिए तय लक्ष्य को लगातार तीन तिमाहियों तक हासिल नहीं किया जाता, तो RBI को सरकार के समक्ष स्पष्टीकरण देना होता है। उसे बताना होता है कि महंगाई नीचे क्यों नहीं आई और उसकी तरफ से क्या कदम उठाए गए हैं।

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First published on: Apr 07, 2025 08:02 AM

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