Income Tax Relief: दिग्गज बिजनेसमैन और ‘शार्क टैंक इंडिया’ के जज अनुपम मित्तल बयानबाजी में यकीन नहीं रखते। सोशल मीडिया पर भी वह ऐसा कुछ कहने या शेयर करने से बचते हैं, जिस पर बवाल या बहस की संभावना हो। हालांकि, आम बजट में इनकम टैक्स के मोर्चे पर मिडिल क्लास को मिली राहत पर वह अपनी फीलिंग जाहिर करने से खुद को नहीं रोक पाए। मित्तल ने इस संबंध में लिंक्डइन पर एक पोस्ट शेयर की है।
मिला उम्मीद से ज्यादा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को पेश बजट में इनकम टैक्स पर बड़ी घोषणा की। उन्होंने 12 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री कर दिया है और वेतनभोगियों को राहत थोड़ी और ज्यादा मिली है। बजट में इनकम टैक्स में कमी की उम्मीद पहले से लगाई जा रही थी। तमाम एक्सपर्ट्स को उम्मीद थी कि वित्त मंत्री टैक्स के मोर्चे पर कुछ राहत देंगी, लेकिन यह किसी ने नहीं सोचा था कि 12 लाख तक की इनकम को टैक्स फ्री कर दिया जाएगा। इस तरह, इनकम टैक्स पर मिडिल क्लास को उम्मीद से ज्यादा मिला है।
प्रणालीगत सुधार बताया
शादी डॉट कॉम के संस्थापक अनुपम मित्तल ने बजट की घोषणा पर रियेक्ट करते हुए इसे कर कटौती के बजाए प्रणालीगत सुधार करार दिया है। उन्होंने कहा कि एक समृद्ध अर्थव्यवस्था मजबूत मध्यम वर्ग पर आधारित होती है न कि अत्यधिक बोझ से दबे मध्यम वर्ग पर। मित्तल ने एक तरह से इस कदम की सराहना की और साथ ही यह भी दर्शा दिया कि मिडिल क्लास को यह राहत पहले ही मिल जानी चाहिए थी।
अब तक निचोड़ते रहे हैं
भारत के मध्यम वर्ग की तुलना अमेरिका और चीन से करते हुए उन्होंने कहा कि खर्च और निवेश को बढ़ावा देने के बजाए, हम अपने सबसे अधिक उत्पादक करदाताओं यानी वेतनभोगी वर्ग को निचोड़ते रहे हैं। मिडिल क्लास प्रोफेशनल भारत के पंचिंग बैग रहे हैं। बजट 2025 इसमें बदलाव वाला साबित हुआ है। अधिक व्यय योग्य आय के साथ, उम्मीद है कि वेतनभोगी पेशेवर अंततः अपनी जीवनशैली को बेहतर करने, अपनी अतिरिक्त जरूरतों को पूरा करने या सेवानिवृत्ति के लिए अधिक बचत करने में सक्षम हो सकते हैं।
इस तरह मिलेगा फायदा
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए अनुपम मित्तल ने कहा कि अधिक व्यय योग्य आय = अधिक खपत = अधिक आर्थिक विकास। आप लोगों को गरीब महसूस कराकर अर्थव्यवस्था का निर्माण नहीं करते। आप उन्हें अधिक अमीर बनाकर अर्थव्यवस्था का निर्माण करते हैं। गौरतलब है कि इनकम टैक्स में बड़ी छूट को मिडिल क्लास के लिए बड़ा तोहफा माना जा रहा है। क्योंकि इससे उसके हाथ में कुछ अतिरिक्त पैसे बच सकेंगे, जिससे वह अपनी जरूरतों को पूरा कर पाएगा। साथ ही इससे खपत बढ़ेगी, जो अर्थव्यवस्था को सहारा देगी।
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