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FD सही या Gold Purchase Scheme? किसमें इन्वेस्ट करने से है फायदा?

Gold Purchase Scheme Vs Fixed Deposit: देश में आम आदमी अपनी इनकम से बचत तो कर लेता है लेकिन इन्वेस्टमेंट का सही ऑप्शन ढूंढने में काफी टाइम लग जाता है। यहां लोग कहीं गोल्ड में इन्वेस्ट करना ज्यादा पसंद करते हैं। यहां जानिए इन्वेस्टमेंट फिक्स्ड डिपॉजिट में करनी चाहिए या गोल्ड परचेज स्कीम में।

Edited By : Prerna Joshi | Updated: Feb 25, 2024 13:44
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Gold Purchase Scheme Vs FD
Gold Purchase Scheme Vs FD

Gold Purchase Scheme Vs Fixed Deposit: भारत एक ऐसा देश है जहां लोग गोल्ड खरीदने को सबसे सुरक्षित इन्वेस्टमेंट मानते हैं। इसमें अगर कोई सबसे ज्यादा इन्वेस्ट करता है तो वह है ग्रामीण इलाकों वाले या कम इनकम वाले लोग। इन्वेस्ट करने के लिए ऑप्शन काफी सारे हैं जैसे म्यूचुअल फंड, सोना, फिक्स्ड डिपॉजिट, सेविंग्स अकाउंट, आदि शामिल हैं।

जनता के मन में अक्सर यह सवाल आता है कि उन्हें इन्वेस्ट करने के लिए सोने की खरीद योजनाओं की तरफ जाना चाहिए या एफडी का ऑप्शन चुनना चाहिए? ऐसे में चलिए आपको समझाते हैं।

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हाल ही में, लोगों ने अपनी सेविंग्स को इन्वेस्ट करने लिए सोना खरीदना ज्यादा शुरू कर दिया है। सोने की खरीद योजनाओं में निवेश करने के लिए पहले उनकी बारीकियों को समझना और छान-बीन करना काफी जरुरी है।

फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी)

फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) का मतलब है वह इन्वेस्टमेंट ऑप्शन जो मैच्योरिटी होने के बाद निश्चित ब्याज दर की गारंटी देता है। जनता इसे किसी भी निजी या सरकारी बैंक या एनबीएफसी में खुल सकती है।

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जनता अपनी एफडी बैंकों, वित्तीय संस्थानों और निगमों के साथ करवा सकते हैं जो अलग-अलग ब्याज दरों और अवधियों का ऑप्शन देते हैं। यह कम जोखिम वाले और विश्वास रखने लायक इंटरेस्ट हैं, जो मैच्योरिटी पर ब्याज के साथ एक सुनिश्चित राशि देते हैं, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए क्योंकि उन्हें ज्यादा ब्याज दरें मिलती हैं, जिससे उन्हें उनके खर्चों को पूरा करने में मदद मिलती है।

  • रिटर्न

एफडी रिटर्न तो डिपॉजिट के समय या ये कहें कि अवधि पर निर्भर करता है। आपको बता दें कि बचत खाते पर जहां ब्याज दर 4% होती है वहीं प्रचलित ब्याज दरें इससे ज्यादा मतलब 5% से 7% तक की होती हैं।

एफडी पर ब्याज पर टैक्स देना होता है, लोगों को एक्रुअल बेसिस आधार पर ‘अन्य स्रोतों से आय’ हैडिंग के तहत कर का भुगतान करना पड़ता है।

गोल्ड परचेज स्कीम

गोल्ड परचेज स्कीम यानी जीपीएस हर महीने लोगों को पैसे डिपॉजिट करने से भविष्य में सोना खरीदने की परमिशन देती है। फिलहाल कोई भी संस्था इसे रेगुलेट नहीं कर रही, इसलिए, पॉपुलर ज्वेलरी हाउसेस जो ऐसी योजनाएं चलाते हैं उन सबकी मैच्योरिटी पर रिटर्न अलग-अलग होते हैं।

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  • रिटर्न

मैच्योरिटी पर खरीद के समय दर में किसी भी उतार-चढ़ाव को मैनेज किया जा सकता है। उदाहरण से समझें तो अगर जीपीएस की शुरुआत में सोने का रेट 5,500 रुपये पर ग्राम है और मैच्योरिटी पर 6,000 रुपये पर ग्राम है, तो इन्वेस्टर 5,500 रुपये की शुरुआती दर पर खरीद सकता है। इससे इन्वेस्टर एक फिक्स्ड रेट पर ज्यादा सोना रख सकता है।

  • टैक्स नहीं देना होता

क्योंकि जीपीएस एक एसेट-परचेस इन्वेस्टमेंट है और भुगतान नकद में नहीं मिलता इसलिए इसपर टैक्स नहीं भरा जाता। जबकि अनुसूची एएल में आभूषणों की रिपोर्ट करने की जरुरत है (अगर टोटल इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा है)।

इन्वेस्टर को एक्स्ट्रा बेनिफिट भी मिलते हैं क्योंकि ज्वेलरी पर मेकिंग चार्ज माफ कर दिया जाता है या छूट दी जाती है। साथ ही एक महीने की किश्त भी दी जाती है।

गोल्ड का रेट चाहे कितना भी कम हो या कितना भी ज्यादा हो भारत में सोना हर त्योहारों से लेकर शादी-ब्याह और खुशी के मौके पर खरीदा जाता है।

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Edited By

Prerna Joshi

First published on: Feb 25, 2024 01:44 PM

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