Dr Manmohan Singh: देश को आर्थिक आजादी कब मिली? इस सवाल के सबके अपने अलग जवाब हो सकते हैं, लेकिन इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति का मानना है कि देश को सही मायनों में ‘आर्थिक आजादी’ 1991 में ही मिली। पिछले साल एक पॉडकास्ट में नारायण मूर्ति ने मनमोहन सिंह की तारीफ करते हुए कहा था कि हमें राजनीतिक आजादी जरूर 1947 में मिली, लेकिन आर्थिक आजादी 1991 में ही मिली पाई।
नरसिम्हा राव की तारीफ
नारायण मूर्ति ने यह भी कहा था कि देश डॉ. मनमोहन सिंह, मोंटेक सिंह अहलूवालिया और पी चिदंबरम की नीतियों के कारण आई ‘आर्थिक आजादी’ के लिए हमेशा उनका ऋणी रहेगा। मूर्ति ने उस वक्त प्रधानमंत्री रहे पी.वी नरसिम्हा राव की भी तारीफ की, उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव का पूरा समर्थन प्राप्त था, इसलिए आर्थिक सुधारों की गाड़ी तेजी से दौड़ पाई।
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पहला सबसे बड़ा बदलाव
2023 के इस पॉडकास्ट में इंफोसिस फाउंडर ने कहा था कि डॉ. मनमोहन सिंह, मोंटेक सिंह अहलूवालिया और पी चिदंबरम – ये तीन लोग थे जिन्होंने भारत को आर्थिक आजादी दिलाई। हम सभी को उनका आभारी होना चाहिए। मूर्ति ने कहा कि 1991 के आर्थिक सुधारों ने तीन-चार प्रमुख काम किए, हाई टेक जैसे कुछ क्षेत्रों में लाइसेंस राज से मुक्ति मिली, जिससे कॉर्पोरेट लीडर्स नॉर्थ ब्लॉक के गलियारों में इंतजार करने के बजाय अपने बोर्डरूम में बैठकर निर्णय लेने और रणनीति बनाने में सक्षम बन पाए।
दूसरा सबसे बड़ा बदलाव
मूर्ति के अनुसार, दूसरा सबसे बड़ा बदलाव यह हुआ कि मार्केट से जुड़े फैसलों में सिविल सर्वेंट के रोल को खत्म कर दिया, जिसे IPO और बाजार की कोई जानकारी नहीं थी। इसी तरह, करेंट अकाउंट कन्वर्टिबिलिटी की शुरुआत भी एक अच्छा कदम था। इससे यात्रा करने की मंज़ूरी से पहले आरबीआई में आवेदन करके 10-12 दिनों तक इंतजार करने की जरूरत खत्म हो गई।
इस तरह आसान हुई राह
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि इन सुधारों से देश में विदेशी निवेश बढ़ा और कंपनियों के लिए भारत में बिजनेस करना आसान हो गया। इंफोसिस के संस्थापक ने यह भी कहा कि आर्थिक आजादी के रचनाकारों ने हमें अपनी इच्छानुसार यात्रा करने, अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड रखने, गुणवत्तापूर्ण सलाहकार नियुक्त करने तथा कुछ मायनों में कंपनियों का अधिग्रहण करने की भी अनुमति दी।