अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘खास’ एलन मस्क का बिजनेस फ्रंट कमजोर हो रहा है। भले ही दुनिया के सबसे रईस का ताज अभी भी उनके सिर हो, लेकिन उसकी पकड़ ढीली हुई है। इसकी वजह दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला के शेयरों में आई गिरावट है। एलन मस्क की इस कंपनी की बिक्री के आंकड़े भी निराशाजनक बने हुए हैं।
ऑटो पार्ट्स करती है आयात
अब डोनाल्ड ट्रंप ने विदेशी वाहनों और ऑटो पार्ट्स के आयात पर 25% टैरिफ लगाकर अपने दोस्त एलन मस्क की मुश्किलों में इजाफे वाला काम किया है। भले ही मस्क की टेस्ला अपनी कारों को अमेरिका में ही बनाती है, लेकिन उन कारों में लगने पार्ट्स के लिए वह भी कुछ हद तक विदेशों कंपनियों पर निर्भर है। ऐसे में टैरिफ से कंपनी की लागत बढ़ेगी। मौजूदा वक्त में जब कंपनी की बिक्री गिर रही है, बढ़ी हुई लागत उसकी आर्थिक परेशानियों में बढ़ोतरी कर सकती है।
Today, Trump introduced a 25% tariff on ALL vehicles not made in the United States. This tariff will go into effect on April 2nd. About 40% of all new cars sold in the US are imported, so this tariff is a big deal.
This is a breakdown of where cars sold in the US are made:
•… pic.twitter.com/4afYiJvtph---विज्ञापन---— Sawyer Merritt (@SawyerMerritt) March 26, 2025
टेस्ला कोई अपवाद नहीं
एलन मस्क शायद खुद भी ट्रंप के फैसले खुश नहीं हैं। इसलिए जब सोशल मीडिया पर टैरिफ की चर्चा हुई, तो उन्होंने भी अपना पक्ष रख डाला। उन्होंने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित ऑटो टैरिफ से टेस्ला भी प्रभावित होगी। मस्क ने लिखा, ‘यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस मामले में टेस्ला कोई अपवाद नहीं है’। टेस्ला के लिए अमेरिका के बाद चीन सबसे बड़ा बाजार है। वहां कंपनी को BYD से कड़ी टक्कर मिल रही है। BYD चीन की दिग्गज EV कंपनी है। यूरोप में भी टेस्ला की बिक्री में लगातार गिरावट आई है।
इन भारतीय कंपनियों से रिश्ता
ब्लूमबर्ग सप्लायर के आंकड़ों के अनुसार, कम से कम 8 भारतीय कंपनियां पहले से ही टेस्ला के साथ काम कर रही हैं। माना जाता है कि टेस्ला भारत से एक से दो अरब डॉलर मूल्य के ऑटो पार्ट्स खरीदती है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने 2023 में कहा था कि टेस्ला ने साल 2022 में भारत से लगभग एक अरब डॉलर के ऑटो पार्ट्स खरीदे और 2023 में खरीदारी दोगुनी करने की योजना है। टेस्ला का भारत की संवर्धन मदरसन इंटरनेशनल, सुप्रजीत इंजीनियरिंग, सोना बीएलडब्ल्यू, प्रिसिजन फोर्जिंग्स, वैरोक इंजीनियरिंग और बॉश लिमिटेड के साथ रिश्ता है। इनके अलावा, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, गुडलक इंडिया और वैलिएंट कम्युनिकेशन भी टेस्ला के ग्लोबल ईकोसिस्टम का हिस्सा हैं।
यूरोप में गिर रही बिक्री
एलन मस्क को लेकर लोगों में बड़े पैमाने नाराजगी है। खासकर, यूरोप में उन्हें लेकर गुस्सा काफी बढ़ गया है और टेस्ला के बहिष्कार को लेकर अभियान भी चलाये जा रहे हैं। यूरोपीयन ऑटोमोबाइल एसोसिएशन के अनुसार, पिछले साल की तुलना में इस साल के पहले दो महीनों में ही टेस्ला के रजिस्ट्रेशन में 49% की गिरावट आई है। जबकि इस दौरान यूरोप में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में 28% से ज्यादा की तेजी दर्ज की गई है। जाहिर है, लोग टेस्ला खरीदना पसंद नहीं कर रहे।
इस वजह से नाराजगी
दरअसल, अमेरिकी सरकार का हिस्सा बनने के बाद से एलन मस्क लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। उनके बयानों से यूरोप में सबसे ज्यादा गुस्सा है और यही वजह है कि यूरोपीय देशों में टेस्ला की बिक्री लगातार गिर रही है। कुछ दिन पहले टेस्ला की गाड़ियों में आग भी लगाई गई थी। अमेरिका में भी टेस्ला को लेकर प्रदर्शन हुए हैं। चीन में कंपनी की बिक्री पहले से ही कम हुई है। भले ही टेस्ला दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी है, लेकिन अगर ऐसे ही बिक्री घटती रही तो उसके भविष्य पर संकट खड़ा हो जाएगा।
शेयर लुढ़के, दौलत घटी
ट्रंप के ऑटो टैरिफ की खबर से टेस्ला के शेयरों में भी बड़ी गिरावट आई है। 26 मार्च को कंपनी के शेयर 5% से अधिक के नुकसान के साथ 272.06 रुपये पर बंद हुए। इस साल अब तक गिरावट का आंकड़ा 28.27% पहुंच चुका है। इस शेयर का 52 वीक का हाई लेवल 488.54 डॉलर है, जो वर्तमान कीमत से काफी अधिक है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कंपनी कितनी बड़ी मुश्किल का सामना कर रही है। शेयरों में गिरावट के चलते पिछले 24 घंटों में ही मस्क 11.4 अरब डॉलर गंवा चुके हैं। जबकि इस साल अब तक उनकी दौलत में से 96.2 अरब डॉलर कम हुए हैं। मस्क की नेटवर्थ 336 अरब डॉलर हो गई है, जो कुछ समय पहले तक 400 अरब डॉलर के पार थी।
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