पिछले कुछ सालों में लोन लेने वालों की संख्या में कमाल की ग्रोथ देखी गई है। लोन लेने के लिए सबसे पहले बैंक या फिर NBFC सबसे पहले क्रेडिट स्कोर यानी CIBIL स्कोर को चेक करते हैं। इस स्कोर से पता चलता है कि ग्राहक के पिछले लोन की स्थिति क्या रही है। इससे बैंक रिस्क के बारे में पता करता है। अगर CIBIL स्कोर अच्छा रहता है तो बैंक आसानी से लोन दे देता है। वहीं अगर स्कोर डाउन है तो लोन मिलने में समस्या का सामना करना पड़ता है। ये तो हो गई CIBIL की बात, अब लोगों के दिमाग में एक बात ये रहती है कि अगर टाइम से लोन चुकाएंगे तो स्कोर मेंटेंन रहेगा। पर ऐसा नहीं है।
दरअसल आपके CIBIL स्कोर को बनाने के लिए कई फैक्टर्स काम करते हैं। जिसमें लोन की पूछताछ से लेकर कितने लोन लिए हुए हैं, ये सारी बातें भी इफैक्ट डालती हैं। चलिए आपको बताते हैं उन सभी फैक्टर्स के बारे में।
1. लोन के बारे में ज्यादा पूछताछ
अगर आप ज्यादा लोन की इंक्वायरी करते हैं, या फिर अप्लाई करते हैं तो इसका नेगेटिव इफैक्ट भी आपके CIBIL स्कोर पर पड़ता है। इसलिए जब बहुत जरूरी हो तभी लोन के लिए इंक्वायरी या फिर अप्लाई करें।
2. लोन का अमाउंट
दूसरा फैक्टर है कि लोन का अमाउंट कितना है। अगर लोन छोटी राशि का है तो ज्यादा रिस्क बैंक के लिए नहीं होता है। वहीं अगर 1 लाख से ऊपर का लोन लिया है तो कहीं ना कहीं इसका इफैक्ट CIBIL स्कोर पर पड़ता है। हालांकि इसका असर नॉमिनल होता है।
3. एक साथ कई लोन ले लेना
अगर आपके नाम कई लोन एक साथ चल रहे हैं तो इसका नेगेटिव असर आपके स्कोर पर होता है। इसलिए कोशिश करें कि जरूरत के हिसाब से ही लोन लें। भले ही आप समय से इन लोन को चुका रहे होते हैं फिर भी CIBIL स्कोर कम होता हुआ दिखाई देता है।
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4. NBFC से लोन ना लेना
ये समस्या बहुत आम है, दरअसल कई लोग ऑफर के लालच में कई छोटी कंपनी से लोन ले लेते हैं, जिसके पास RBI के NBFC का लाइसेंस तक नहीं होता है। ऐसे में अगर एक EMI भी अगर 2 या 3 दिन के लिए मिस हो जाती है तो ये कंपनी आपके CIBIL स्कोर को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं। इसलिए कोशिश करें कि बैंक के साथ किसी NBFC से ही लोन के लिए अप्लाई करें।