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China के रक्षा बजट में इजाफा दुनिया के लिए कितनी बड़ी टेंशन, किसे होगा सबसे ज्यादा फायदा?

China Defense Budget: चीन का अपने रक्षा बजट में इजाफा करना केवल अमेरिका ही नहीं बल्कि भारत के लिए चिंता का विषय है। भारत और चीन के रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। गलवान घाटी हिंसा के बाद से संबंधों में कड़वाहट ज्यादा आ गई है।

Author Edited By : Neeraj Updated: Mar 15, 2025 14:13

America China Tension: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों से दुनिया के कई देश परेशान हैं। खासकर, चीन के साथ अमेरिकी टेंशन बढ़ गई है। अमेरिकी टैरिफ के जवाब में चीन ने भी टैरिफ लगाया है। बात केवल यहीं तक ही सीमित नहीं है। चीन ने अपने रक्षा बजट में भी भारी इजाफा किया है, जो सीधे तौर पर ट्रंप की अपील को दरकिनार करने जैसा है। इससे आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ने की आशंका है। चीन और अमेरिका में तनाव बढ़ने का मतलब होगा, पूरी दुनिया का टेंशन में आना।

पहले से कितना इजाफा?

चीन का रक्षा बजट अब 21.35 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा, जो पिछली बार के मुकाबले ज्यादा है। पिछले साल चीन ने अपने रक्षा बजट में 7.2 प्रतिशत का इजाफा करते हुए इसे 19.90 लाख करोड़ रुपये कर दिया था। चीन लगातार अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी कर रहा है। 2021 में उसका रक्षा बजट 16.56 लाख करोड़ रुपये था और अब यह आंकड़ा 21.35 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है। चीन के मौजूदा बजट को लेकर जब सवाल उठे, तो उसने तुरंत अपने फैसले को सही करार दे डाला। चीन का कहना है कि उसे देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा में कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में बढ़ा हुआ बजट नवीनतम लड़ाकू क्षमताओं के साथ सेना के आधुनिकीकरण के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

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भारत का कितना है बजट?

चीन का रक्षा बजट में लगातार इजाफा करना केवल अमेरिका ही नहीं एशियाई देशों, खासकर भारत के लिए भी अच्छा नहीं है। इससे बाकी देशों पर भी अपने रक्षा बजट को बढ़ाने का दबाव बढ़ जाता है और दूसरी मदों में कटौती करनी पड़ती है। भारत का रक्षा बजट 6.81 लाख करोड़ रुपये है, जो चीन के मुकाबले बहुत कम है। चीन के साथ भारत के रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। दोनों देशों की सेनाएं कई मौकों पर आमने-सामने आईं हैं। गलवान घाटी हिंसा के बाद से भारत-चीन के रिश्ते काफी खराब हो गए हैं। ऐसे में चीन का रक्षा बजट में भारी इजाफा, भारत के लिए भी चिंता का विषय है।

US का रक्षा बजट कितना?

चीन का सैन्य बजट अमेरिका के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा है। अमेरिका का नवीनतम प्रस्तावित रक्षा बजट करीब 78 लाख करोड़ रुपये है। इसी तरह, रूस का रक्षा बजट 12.64 लाख करोड़ रुपये, जर्मनी का 7.5 लाख करोड़ और ब्रिटेन 7.06 लाख करोड़ रुपये है। डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ वक्त पहले रूस और चीन जैसे देशों से अपना डिफेंस बजट कम से कम 50% कम करने की अपील की थी। उनका कहना था कि इसके बाद वह भी अपने देश के रक्षा बजट में कमी लाएंगे। डोनाल्ड ट्रंप खर्चों में कटौती कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि चीन जैसे देश रक्षा बजट कम करें, जिससे अमेरिका को भी अपना बजट कम करने में कोई परेशानी न हो और एक संतुलन बना रहे। हालांकि, चीन ने अपना रक्षा खर्चा बढ़ाने का ऐलान करके ट्रंप के अपील को ठुकरा दिया है।

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अब आगे क्या होगा?

अमेरिका की तरफ से लगातार आ रहे टैरिफ संबंधी बयानों पर चीन ने कहा था कि हम किसी भी तरह की जंग के लिए तैयार हैं। इसके बाद रक्षा बजट में बढ़ोतरी करके बीजिंग की शी जिनपिंग सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह आर्थिक और सैन्य दोनों मोर्चों पर अमेरिका का सामना करने की क्षमता रखती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन का यह कदम डोनाल्ड ट्रंप को एक तरह चेतावनी है कि वह दबने वाला नहीं है और इससे ट्रंप का पारा चढ़ सकता है। अब इसकी संभावना बढ़ गई है कि आने वाले दिनों में अमेरिका द्वारा चीन के खिलाफ कुछ और कड़े कदम उठाए जाएं। अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेट का यह कहना कि अमेरिका भी युद्ध को तैयार है, दर्शाता है कि आगे कुछ बड़ा होने वाला है।

कहां बनते हैं सबसे ज्यादा हथियार?

वैसे, चीन के रक्षा बजट बढ़ाने से अमेरिकी कंपनियों को जरूर फायदा हो सकता है। अमेरिकी कंपनियां दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार बनाती और बेचती हैं। कुछ वक्त पहले आई स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट में कहा गया था कि हथियार बेचने वालीं टॉप 100 कंपनियों में सबसे ज्यादा 41 अमेरिका की हैं। साल 2024 में अमेरिका ने 318.7 अरब डॉलर के हथियार बेचे, जो 2023 की तुलना में 29% फीसदी ज्यादा था। ऐसे में चीन के बढ़े हुए रक्षा बजट को देखकर दूसरे देश अपने रक्षा खर्च में बढ़ोतरी करते हैं, तो उसका फायदा अमेरिका को ही मिलेगा।

भारत बढ़ाएगा खरीदारी

भारत कुछ साल पहले तक अपनी रक्षा जरूरतों के मामले में पूरी तरह बाहरी देशों पर निर्भर था, लेकिन मेक इन इंडिया पहल ने इस स्थिति में बदलाव किया है। अब भारत घर में काफी हथियार बना रहा है, जिससे आयत कम हुआ है। हालांकि, वह अब भी रूस से सबसे ज्यादा हथियार खरीदता है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान यूएस प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को ज्यादा हथियार बेचने की बात कही थी। लिहाजा, यह माना जा रहा है कि रूस इस मामले में पीछे छूट सकता है। ट्रंप की टैरिफ नीतियों के प्रभाव से बचने के लिए भारत पहले से ही कई कदम उठा रहा है। इसी कड़ी में अमेरिका से सैन्य आयात को बढ़ाने पर भी विचार किया जा सकता है।

ये हैं टॉप US कंपनियां

दुनिया को हथियार बेचने वालीं प्रमुख अमेरिकी कंपनियों में लॉकहेड मार्टिन, RTX, बोइंग, रेथियॉन, नॉर्थ्रोप ग्रूमैन, एल3हैरिस टेक्नोलॉजीज, लीडोस और जनरल डायनामिक्स शामिल हैं। दुनिया की सबसे बड़ी विमान बनाने वाली कंपनियों में शुमार बोइंग लड़ाकू विमान भी तैयार करती है।

भारत में कैसे खर्च होता है बजट?

भारत का रक्षा बजट भले ही चीन जैसे देशों के मुकाबले कम है, लेकिन वह लगातार इसमें सुधार कर रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2013 में देश का रक्षा बजट 2.53 लाख करोड़ रुपये था और अब यह 6.81 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है। भारत हथियारों के मामले में आत्मनिर्भर बन रहा है और दूसरे देशों को भी हथियार सप्लाई कर रहा है। भारत दुनिया के 85 देशों को हथियार बेच रहा है, हमारे हथियार निर्यात में 1000% की वृद्धि हुई है। भारत अपने रक्षा बजट का करीब 50% हिस्सा सैलरी और 35% हिस्सा पेंशन पर खर्च करता है। रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) पर केवल 1% और 25% नए हथियार और टेक्नोलॉजी पर खर्च किया जाता है। जबकि दूसरे देश R&D पर काफी जोर देते हैं।

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Neeraj

First published on: Mar 15, 2025 02:10 PM

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