Surya Grah: वैदिक ज्योतिष शास्त्र में कुंडली का महत्व बहुत ही ज्यादा होता है। कुंडली की मदद से किसी भी व्यक्ति का भविष्य के बारे में बताया जा सकता है। सभी ग्रहों के राजा सूर्य देव को माना गया है। सूर्य देव को मान-सम्मान और पद प्रतिष्ठा के कारक ग्रह भी माना गया है। मान्यता है कि यदि कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है तो उन्हें राजा जैसा सुख की प्राप्ति होती है।
लेकिन वहीं जब कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर होती है तो व्यक्ति को हर कार्य में असफलता मिलती है। साथ ही जीवन में परेशानियां भी आने लगती हैं। तो आज इस खबर में जानेंगे कि कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होने से क्या लाभ मिलता है और इसका दुष्प्रभाव क्या होता है।
कुंडली में सूर्य का महत्व
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य देव को ग्रहों का राजा माना गया है। साथ ही सूर्य देव सिंह राशि के स्वामी ग्रह भी है। वहीं तुला राशि सूर्य देव की नीच राशि मानी गई है। कुंडली में सूर्य देव की स्थिति मजबूत होने से मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा और यश की प्राप्ति होती है। वहीं किसी महिला की कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है तो उसका पति सफलता का कदम चूमता है। इन्हीं सब कारणों से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए कई तरह के उपाय भी किए जाते हैं। क्योंकि कुंडली में जब सूर्य मजबूत होता है तो हर कार्य में सफलता भी मिलता है।
सूर्य की स्थिति मजबूत करने के उपाय
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य देव को कुंडली में मजबूत बनाने के लिए गाय का दान करना चाहिए। साथ ही दान में गुड़, सोना, गेहूं और तांबा का भी दान करना चाहिए। मान्यता है कि इन चीजों का दान करना बेहद शुभ होता है। ज्योतिषियों के अनुसार, रविवार को सोने, तांबे या चांदी की अंगूठी सूर्योदय से पहले पहनें। साथ ही अंगूठी को धारण करने से पहले गंगाजल या कच्चे दूध से धोएं, उसके बाद दाहिने हाथ की अनामिका उंगली में धारण करें। मान्यता है कि इस तरह के उपाय करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत हो जाती है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।