Ram Katha: सीतावनी में आज भी विराजमान है माता सीता का मंदिर, पढ़ें दिलचस्प कहनी
सीतामाता का मंदिर
Ram Katha Mata Sita Temple Sitabani: राम सिया राम... की कड़ी में हर दिन रामचरित मानस से जुड़ी किस्सा और कहानियों को लेकर चर्चा कर रहे हैं। आज इस खबर में सीता माता के संबंध में कुछ रहस्यमयी बातें बताने वाले हैं। आइए माता सीता के बारे में जानते हैं।
कहां है माता सीता का मंदिर
इस समय पूरा देश राममय हुआ है। पूरा देश रामभक्ति में डूबा है। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम भी जोरों पर चल रहा है। 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन होने वाला है। उससे पहले आज हम आपको बताएंगे कि माता सीता का मंदिर कहा है। इस मंदिर में माता सीता लव और कुश के साथ विराजमान हैं। यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आता है। उत्तराखंड के रामनगर से 25 किलोमीटर दूर रामनगर वन प्रभाग के कोटा रेंज में आता है। यह वन सीतावनी वन के नाम से प्रचलित है। बता दें कि यह क्षेत्र आध्यात्मिक के साथ पर्यटन के क्षेत्र में भी प्रसिद्धि पा चुका है।
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सीतावनी में स्थित मंदिर को त्रेता युग का बताया जाता है। सीतावनी मंदिर वाल्मीकि समाज के लोगों के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। बता दें कि रामनगर से इसकी दूरी 25 कि.मी है। यह वन नैनीताल जिले के रामनगर तहसील में पड़ता है। सीतावनी क्षेत्र घने जंगल के बीच में स्थित है। यह कॉर्बेट से लगा हुआ क्षेत्र है। इस वन में बाघ, भालू, हाथियों के साथ कई तरह की पक्षियां भी मौजूद है। इस वन में स्थित मंदिर का क्षेत्र ऐतिहासिक होने के साथ ही पुरातत्व विभाग के अधीन है। वन विभाग के अंतर्गत आने के कारण यहां प्रवेश के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी होती है। आपको बता दें कि स्कंद पुराण में सीतेश्वर महादेव की महिमा के बारे में वर्णन किया गया है।
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स्कंद पुराण के अनुसार कौशिकी नदी, जिसे वर्तमान में कोसी नदी कहा जाता है इसके बाईं ओर शेष गिरि पर्वत है। यह सिद्ध आत्माओं और गंधर्वों का विचरण स्थल है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान राम ने देवी सीता को वनवास जाने का आदेश दिया था, उस समय माता सीता गर्भवती थीं। माता सीता ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में ही अपने जुड़वां पुत्रों को जन्म दिया था और इनका पालन-पोषण किया था। इस घटना की याद में सीतावनी में देवी सीता की प्रतिमा के साथ उनके दोनों पुत्रों को भी दिखाया गया है।
सीतेश्वर महादेव मंदिर क्यों हैं प्रसिद्ध
सीतावनी में एक कुंड भी स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि उसी कुंड में ही सीता माता अंतिम समय में समा गई थीं। उसके साथ ही आज भी सीतावनी में जल की तीन धाराएं बहती हैं। इन तीनों धाराओं को सीता-राम और लक्ष्मण धारा के नाम से जाना जाता है। बता दें कि ये तीनों धाराओं का जल गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म रहता है। मान्यता है कि इस स्थान पर माता सीता संग भगवान राम ने वैशाख मास में महादेव का पूजन किया था। इसी कारण से मंदिर को सीतेश्वर महादेव का मंदिर भी कहा जाता है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।
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