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Raksha Bandhan 2022: जानें कौन है भद्रा, जिसका राखी पर पड़ रहा साया

Raksha Bandhan 2022: राखी का पावन पर्व नजदीक है, लेकिन इस बार रक्षा बंधन की तारीख को लेकर में संशय की स्थिति बनी हुई। कहीं 11 अगस्त को लेकर चर्चा हो रही है तो कोई 12 अगस्त की बात कह रहा है। दरअसल रक्षा बंधन का पर्व सावन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया […]

Edited By : Pankaj Mishra | Updated: Aug 8, 2022 15:53
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Raksha Bandhan 2022: राखी का पावन पर्व नजदीक है, लेकिन इस बार रक्षा बंधन की तारीख को लेकर में संशय की स्थिति बनी हुई। कहीं 11 अगस्त को लेकर चर्चा हो रही है तो कोई 12 अगस्त की बात कह रहा है। दरअसल रक्षा बंधन का पर्व सावन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। लेकिन इस बार सुबह से शाम तक भद्रा रहेगी। भद्रा काल में राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है।

इस सावन मास की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 11 अगस्त सुबह 10 बजकर 39 मिनट पर शुरू होकर और 12 अगस्त सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक रहेगा। लेकिन 11 अगस्त को भद्रा काल सुबह से ही शुरू हो जाएगा, जो रात 08 बजकर 51 मिनट पर जाकर खत्म होगा।

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जानें- भद्रा कौन है और क्या है इसकी कथा ?

भद्रा को लेकर पुराणों में एक कथा मिलती है। उसके मुताबिक भद्रा सूर्यदेव की पुत्री और शनि की बहन हैं। कहते हैं जिस तरह से शनि का स्वभाव थोड़ा सख्त था उसी तरह भद्रा भी स्वभाव से थोड़ी कड़क मिजाज थी। भद्रा को काफी क्रोधी स्वभाव का बताया गया है। इनके स्वभाव को काबू करने के लिए ही ब्रह्माजी ने उन्हें पंचांग में विष्टि करण के रूप में जगह दी।

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दरअसल, भद्रा देवी एक समय पूरे संसार को अपना निवाला बनाने वाली थी। इसी वजह से वह सभी कार्यों में बाधा डालने लगी। इसके बाद उन्हें ब्रह्मा जी ने समझाया और उन्हें करणों में 7वें करण विष्टि के रूप में जगह दी। कहा जाता है कि भद्रा का तीनों लोकों में वास होता है। ये हर समय तीनों लोकों में विचरण करती रहती है। जहां जिस लोक में भद्रा होती है उस समय उस लोक में शुभ काम नहीं किया जाता है। इसकी वजह यह है कि भद्रा काल में किए गए काम का परिणाम शुभ नहीं होता है।

रक्षाबंधन के दिन भद्रा का पृथ्वी पर वास रहेगा इसलिए कहा जा रहा है कि भद्रा के समय रक्षाबंधन का पर्व मनाना शुभ नहीं होगा। विशेष स्थिति में भद्रा पुच्छ काल में 11 अगस्त को शाम 5 बजकर 18 मिनट से लेकर 6 बजकर 20 मिनट तक के समय भाई बहन चाहें तो राखी का पर्व त्योहार मना सकते हैं।

कुछ ज्योतिष शास्त्रियों का कहना है कि भद्रा नक्षत्र पूरे साल में तीनों लोक यानी पाताल लोक, स्वर्ग लोक और मर्त्य लोक में भ्रमण करता है। मर्त्य लोक यानी जिस लोक में जिसमें पृथ्वी है। अगर भाद्र नक्षत्र मर्त्य लोक में रहता है तो अशुभ माना जाता है। ऐसी स्थिति में भाद्र नक्षत्र होने पर कोई भी कार्य करना शुभ नहीं माना जाता है, लेकिन अगर भाद्र नक्षत्र स्वर्ग लोक में है तो वह शुभकारी माना जाता है। अगर भाद्र नक्षत्र पाताल लोक में है तो भी लाभदायक ही होता है। इन लोगों को कहना है कि 11 अगस्त को भाद्र नक्षत्र जो प्रवेश कर रहा है वह पाताल लोक में स्थित है, इसलिए उस दिन भाद्र नक्षत्र प्रवेश पर कोई खतरा नहीं है। रक्षाबंधन करने वाले या कोई भी शुभ कार्य करने वाले के लिए कोई हानि नहीं है।

 

 

 

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Pankaj Mishra

First published on: Aug 08, 2022 03:51 PM

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