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Pradosh Vrat: इस बार प्रदोष पर बनें ये शुभ शुभ मुहूर्त, जानिए इसका महत्व , पूजन विधि और व्रत कथा

Pradosh Vrat Puja Muhurat: प्रदोष व्रत में भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों की उपासना से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी पूजा-अर्चना भी बेहद सरल है। गुरु प्रदोष व्रत रखने से मनचाही इच्छा पूरी होती है। संतान संबंधी किसी भी मनोकामना की पूर्ति इस दिन की जा सकती है। गुरु प्रदोष व्रत रखने से शत्रु और […]

Pradosh Vrat Puja Muhurat: प्रदोष व्रत में भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों की उपासना से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी पूजा-अर्चना भी बेहद सरल है। गुरु प्रदोष व्रत रखने से मनचाही इच्छा पूरी होती है। संतान संबंधी किसी भी मनोकामना की पूर्ति इस दिन की जा सकती है। गुरु प्रदोष व्रत रखने से शत्रु और विरोधी शांत होते हैं। हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है और उनकी कृपा से तमाम मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। गुरुवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष कहा जाता है। ज्योतिषविदों का कहना है कि माघ मास के गुरु प्रदोष व्रत की महिमा और महत्व बहुत खास होता है। आइए जानते हैं कि गुरु प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और उपाय। यह भी पढ़ें: आज ही करें शिव के उपाय, सुख-संपत्ति-समृद्धि तीनों मिलेंगे

प्रदोष व्रत 2023 तिथि तथा शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Puja Muhurat)

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 19 जनवरी 2023, दिन गुरुवार को दोपहर 01 बजकर 18 मिनट पर हो रही है। इस तिथि का समापन 20 जनवरी शुक्रवार को सुबह 09 बजकर 59 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए गुरु प्रदोष व्रत 19 जनवरी को ही रखा जाएगा। गुरु प्रदोष की पूजा का शुभ समय 19 जनवरी को शाम 05 बजकर 49 मिनट से रात 08 बजकर 30 मिनट तक है। आप इस मुहूर्त में विधि पूर्वक भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।

गुरु प्रदोष व्रत पूजा विधि

गुरु प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद शिव जी के सामने दीपक प्रज्वलित कर प्रदोष व्रत का संकल्प लें।संध्या समय शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें।गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें।फिर शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग, आदि अर्पित करें। फिर विधिपूर्वक पूजन करें। यह भी पढ़ें: Shiv Puran ke Upay: बड़े-से-बड़े संकट की काट हैं प्रदोष के उपाय परन्तु रखें ये सावधानियां

प्रदोष व्रत का महत्व

मान्यता है कि गुरु प्रदोष व्रत को करने से रोग, ग्रह दोष, कष्ट, पाप आदि से मुक्ति मिलती है। साथ ही इस व्रत के पुण्य प्रभाव से नि:संतान लोगों को पुत्र भी प्राप्त होता है। भगवान शिव शंकर की कृपा से धन, धान्य, सुख, समृद्धि से जीवन परिपूर्ण रहता है।

गुरु प्रदोष व्रत कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, वृत्तासुर नाम का एक दैत्य था। इस दैत्य ने देवलोक पर आक्रमण कर दिया। जब असुरों की सेना हारने लगी तो वृत्तासुर ने विकराल रूप धारण कर लिया, जिसे देखकर देवता डर गए और देवगुरु बृहस्पति के पास पहुंचें। यह भी पढ़ें: Vastu Tips: घर में ऐसे लगाएं तुलसी तो चमक उठेगा भाग्य, सभी देवता पूरी करेंगे आपकी इच्छाएं देवगुरु बृहस्पति ने उन्हें बताया कि “वृत्तासुर पूर्व जन्म में राजा चित्ररथ था। वह भगवान शिव का परम भक्त था। एक दिन उससे कुछ भूल हो गई, जिसकी वजह से देवी पार्वती ने उसे राक्षस बनने का श्राप दे दिया। तब से वह वृत्तासुर बन गया। बृहस्पति देव ने बताया कि वो आज भी शिव जी का परम भक्त है। यदि आप सभी गुरु प्रदोष व्रत को नियमपूर्वक करें, तो वृत्तासुर को हरा सकते हैं। देवगुरु बृहस्पति के कहना मानते हुए सभी देवताओं ने गुरु प्रदोष व्रत रखकर पूजन किया और वृत्तासुर को परास्त कर दिया। पंडित सुधांशु तिवारी "ज्योतिषाचार्य" डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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