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Pitru Paksha 2023: पित-पक्ष शुरू होने में अब महज 4 दिन शेष रह गए हैं। पंचांग के अनुसार, इस साल पितृ पक्ष का आरंभ 29 सितंबर यानी आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से हो रहा है। जबकि पितृ पक्ष का समापन 14 अक्टूबर को यानी आश्विन कृष्ण अमावस्या तिथि को होगा। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में कुछ बातों का कठोरता से पालन करना होता है। मान्यता है कि ऐसा ना करने पर पितर नाराज हो जाते हैं और पितरों की नाराजगी से पितृ दोष लगता है। ऐसे में कई लोगों में मन में यह बात भी चल रही होगी कि पितृ पक्ष में शारीरिक संबंध बनना चाहिए या नहीं? तो चहिए जानते हैं कि पितृ पक्ष में शारीरिक संबध बनाना सही है या गलत और इस बारे में शास्त्रीय मत क्या करता है?
पितृपक्ष में शारीरिक संबंध बनाएं या नहीं?
वैसे तो सभी जानते हैं कि स्त्री-पुरुष का एक-दूसरे के प्रति स्नेह और आकर्षण ध्रुव सत्य है। कहते हैं कि पूरी सृष्टि की रचना ही स्त्री-पुरुष के प्रेममय मिलन पर निर्भर है। ऐसे में जानकार बताते हैं कि अगर स्त्री-पुरुष अगर संभोग क्रिया धार्मिक मान्यताओं को ध्यान में रखकर करते हैं तो वह पवित्र हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या पितृपक्ष की अवधि में पति-पत्नी को शारीरिक संबंध बनाना चाहिए या नहीं? हालांकि इस संबंध में शास्त्रीय मत यह है कि स्त्री-पुरुष अगर इस दौरान संभोग क्रिया दूरी बनाकर रखें और अपनी-अपनी इंद्रियों पर संयम रखें तो बेहतर है। क्योंकि इस दौरान गर्भ धारण करने से संतान को सेहत की समस्या हमेशा बनी रहती है। कई बार तो संतान दिव्यांग भी हो जाते हैं, ऐसा धर्म-शास्त्र के जानकारों का कहना है। इस संबंध में कर्मकांड (पूजा-पाठ) के जानकार पं. धनंजय पाण्डेय ने बताया कि पितृ पक्ष के अलावा भी कई शुभ दिनों में पति-पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए।
इन शुभ दिनों में नहीं बनना चाहिए शरीरिक संबंध
धर्म-शास्त्र के जानकार पंडित धनंजय पांडेय के अनुसार, पितृ पक्ष के अलावा भी कुछ शुभ तिथियों के दौरान पति-पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए। इस तिथियों में पूर्णिमा, अमावस्या, संक्रांति, नवरात्रि के नौ दिन, चतुर्थी, अष्टमी, रविवार और विशेष व्रत के दौरान शारीरिक संबंध बनाने से परहेज करना चाहिए।
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