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Parshuram Jayanti: भगवान परशुराम के जीवन की ये 4 कहानियां जान कर रोमांच से भर उठेंगे आप

Parshuram Jayanti: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वैसाख माह की तृतीया अर्थात् अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। शास्त्रों में उन्हें ब्राह्मण कुल में जन्म लेने वाला तथा अत्यन्त क्रोधी बताया गया है। कहा जाता है कि उन्होंने 21 बार धरती को क्षत्रियों से […]

Parshuram Jayanti: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वैसाख माह की तृतीया अर्थात् अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। शास्त्रों में उन्हें ब्राह्मण कुल में जन्म लेने वाला तथा अत्यन्त क्रोधी बताया गया है। कहा जाता है कि उन्होंने 21 बार धरती को क्षत्रियों से रिक्त कर दिया था। भगवान परशुराम को अष्ट चिरंजीवियों में एक माना गया है। जब तक सृष्टि रहेगी, तब तक वह भी सशरीर जीवित रहेंगे। उनके जन्मपर्व को परशुराम जयंती या परशुराम जन्मोत्सव पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। जानिए उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक कथाओं के बारे में यह भी पढ़ें: Tulsi Ke Upay: तुलसी का पौधा सूख जाएं तो होता है अपशकुन, तुरंत करें ये उपाय, बचाव होगा

21 बार धरती से समस्त क्षत्रियों का नाश कर दिया था

भगवान परशुराम का स्वभाव अत्यन्त क्रोधी बताया गया है। अपने पिता की हत्या का प्रतिशोध लेने के लिए उन्होंने 21 बार धरती से समस्त क्षत्रिय कुलों का नाश कर दिया था। अंत में उन्होंने भगवान राम को अपना धनुष सौंपा और स्वयं सन्यास ले लिया।

भगवान शिव से मिला था परशु

परशुराम का वास्तविक नाम राम ही था। उन्होंने तपस्या के द्वारा भगवान शिव से परशु (फरसा) प्राप्त किया था। इस परशु को प्राप्त कर वे अजेय और अत्यन्त शक्तिशाली बन गए थे। इसी कारण उन्हें परशुराम राम भी मिला।

भगवान गणेश से किया था युद्ध

पौराणिक कथाओं के अनुसार परशुराम एक बार भगवान शिव के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे। वहां पर गणेशजी पहरा दे रहे थे। उन्होंने शिव की आज्ञा के बिना उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इस पर दोनों में युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में ही परशुराम ने अपने फरसे का प्रयोग करते हुए गणेशजी का एक दांत तोड़ दिया। इसके बाद गणेशजी का नाम एकदंत भी हो गया। यह भी पढ़ें: इस साल बदल जाएगी इन 6 राशियों की किस्मत, रुपया, पैसा, मौज-मस्ती सब मिलेगा

भगवान राम से भी युद्ध करना चाहते थे

सीता स्वयंवर के समय जब राम ने शिव धनुष तोड़ दिया था तो परशुराम उन पर अत्यधिक क्रोधित हो गए थे। वह राम और लक्ष्मण का वध करना चाहते थे। परन्तु राम द्वारा लीला दिखाए जाने पर उन्होंने राम को भगवानरूप में स्वीकार कर उन्हें अपना धनुष सौंप दिया। इसके बाद उन्होंने सन्यास ले लिया और तपस्या करने के लिए हिमालय पर्वत पर चले गए। डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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