Mahashivratri 2023: पूरे देश में हैं 12 ज्योतिर्लिंग, जानिए इनके बारे में
Mahashivratri 2023: पुराणों में द्वादश ज्योतिर्लिंगों का महात्म्य बताया गया है। माना जाता है कि इन सभी स्थानों पर भगवान भोलेनाथ ने स्वयं प्रकट होकर भक्तों को दर्शन दिए थे। आज भी वे यहां पर स्वयंभू शिवलिंग के रूप में विद्यमान हैं। इन्हीं स्थानों को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।
12 ज्योतिर्लिंगों के नाम (Mahashivratri 2023: List of 12 Jyotirlingas)
शास्त्रों में सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम एक श्लोक में बताए गए हैं। यह श्लोक इस प्रकार है
यह भी पढ़ें: महाशिवरात्रि पर करें ये उपाय, कर्जे से मिलेगी मुक्ति, घर की तिजोरियां भी भर जाएंगी
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। :उज्जयिन्यां महाकालमोंकारममलेश्वरम्॥1॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्।:सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥2॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।:हिमालये तु केदारं घृष्णेशं च शिवालये॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रात: पठेन्नर:।:सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥4॥
अर्थात् सौराष्ट्र (गुजरात) में सोमनाथ, शैल पर्वत पर मल्लिकार्जुन, क्षिप्रा नदी के किनारे पर महाकालेश्वर, उज्जैन में ओंकारेश्वर या अमलेश्वर, झारखंड में वैद्यनाथ, नासिक में भीमशंकर, तमिलनाडु में रामेश्वरम, दारुकवन में नागेश्वर, वाराणसी में विश्वनाथ, गोदावरी तट पर त्र्यम्बेश्वर, उत्तराखंड में केदारनाथ, तथा औरंगाबाद में घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग हैं। जो भी मनुष्य प्रात: तथा सायंकाल इन 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम स्मरण करता है, उसके पिछले सात जन्मों के पाप तुरंत ही नष्ट हो जाते हैं।
देश के इन स्थानों पर स्थापित हैं 12 ज्योतिर्लिंग
सोमनाथ
यह गुजरात के प्रभास क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर को पिछले एक हजार वर्षों में लगभग छह बार ध्वस्त एवं पुनर्निमित किया गया है। इस पर पहला हमला 1022 ईस्वी में मुस्लिम आक्रांता महमूद गजनवी ने किया था।
मल्लिकार्जुन
यह आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट पर स्थित श्रीशैल पर्वत पर स्थापित है। इस पर्वत को दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है।
महाकालेश्वर
यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर विद्यमान उज्जैन में विराजमान है।
यह भी पढ़ें: Mahashivratri 2023: इस महाशिवरात्रि पर करें यह एक उपाय, रातोंरात शिव हर लेंगे सब कष्ट
ओंकारेश्वर
यह ज्योतिर्लिंग भी मध्यप्रदेश की नर्मदा नदी में एक द्वीप पर स्थापित है। यहां ओंकारेश्वर और अमलेश्वर दो अलग-अलग लिंग हैं, परन्तु इन्हें एक ही लिंग के दो स्वरूप मान कर पूजा जाता है।
केदारनाथ
यह ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में हिमालय के केदार नामक पर्वत पर विद्यमान है।
भीमाशंकर
यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में मुंबई से पूर्व और पूना से उत्तर भीमा नदी के किनारे सह्याद्रि पर्वत पर स्थापित है। शिवपुराण की एक कथा के आधार पर भीमशंकर ज्योतिर्लिंग को असम के कामरूप जिले में गुवाहाटी के पास ब्रह्मपुर पहाड़ी पर भी स्थित बतलाया जाता है।
काशी विश्वनाथ
यह ज्योतिर्लिंग उत्तरप्रदेश में वाराणसी स्थित काशी में विराजमान हैं। उत्तर भारत में इस शिवलिंग की अत्यधिक मान्यता मानी गई है।
त्र्यम्बकेश्वर
यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में नासिक जिले में पंचवटी से 18 मील की दूरी पर ब्रह्मगिरि के निकट गोदावरी के किनारे है। इस स्थान को पवित्र नदी गोदावरी का उद्गम स्थल भी माना गया है।
यह भी पढ़ें: महाशिवरात्रि पर करें ये उपाय, कर्जे से मिलेगी मुक्ति, घर की तिजोरियां भी भर जाएंगी
वैद्यनाथ
यह स्वयंभू ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में परली ग्राम के निकट स्थापित है। यहां भगवान शिव वैद्यनाथ के रुप में प्रकट हुए थे।
नागेश्वर
यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका में स्थित है। कुछ लोगों के अनुसार हैदराबाद राज्य के अन्तर्गत औढ़ा ग्राम में स्थित शिवलिंग को भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग माना जाता है।
रामेश्वरम
यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाड जिले में विराजमान है। रामायण व अन्य पुराणों के अनुसार यहां पर भगवान राम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले शिव की पूजा की थी। इसलिए इसे रामेश्वरम् (राम के ईश्वर) नाम से भी जाना जाता है।
घृष्णेश्वर
यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में औरंगाबाद जिले के निकट स्थित एलोरी गुफाओं के पास है। घुष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग को घुसृणेश्वर भी कहा जाता है।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world
on News24. Follow News24 and Download our - News24
Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google
News.