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Rahu in Kundali: जन्मकुंडली के अलग-अलग भावों में राहु देता है अलग-अलग फल

Rahu in Kundali: राहु ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह है और जन्मकुंडली में इसकी स्थिति व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। ज्योतिषशास्त्र में राहु को एक छायाग्रह माना जाता है। राहु नकारात्मक गुणों का प्रतीक भी माना जाता है और इसके अशुभ असर को दूर करने के लिए उपाय भी किए जाते […]

Rahu in Kundali: राहु ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह है और जन्मकुंडली में इसकी स्थिति व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। ज्योतिषशास्त्र में राहु को एक छायाग्रह माना जाता है। राहु नकारात्मक गुणों का प्रतीक भी माना जाता है और इसके अशुभ असर को दूर करने के लिए उपाय भी किए जाते हैं। जन्मकुंडली के अलग-अलग भावों में राहु अलग-अलग फल देता है। यहां हम कुछ महत्वपूर्ण भावों में राहु की स्थिति तथा उसके प्रभाव के बारे में बात करेंगे। यह भी पढ़ें: फटाफट करोड़पति बनने के लिए पूर्णिमा पर करें ये काम, किस्मत खुद रास्ता बनाएगी

जन्मकुंडली के अलग-अलग भावों में राहु देता है अलग-अलग फल (Rahu in Kundali)

लग्न भाव

यदि राहु पहले भाव में स्थित है, तो यह व्यक्ति के व्यक्तित्व और स्वाभाव पर प्रभाव डालता है। इसके कारण व्यक्ति आत्मसम्मान, संकोच, और आत्म-विश्वास में कमी महसूस कर सकता है। यदि यहां बैठा राहु अशुभ हो तो वह व्यक्ति को बर्बाद भी कर सकता है। अतः उसके लिए किसी विद्वान ज्योतिषी की सलाह से उपाय करने चाहिए।

नवम भाव

राहु (Rahu in Kundali) नवम भाव में स्थित होने पर व्यक्ति के भाग्य और धर्म संबंधी मामलों पर प्रभाव पड़ सकता है। यह भाव धार्मिक और साधारण ज्ञान को प्रभावित करता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक अनुभवों की ओर आकर्षित कर सकता है। ध्यान, पूजा, और धार्मिक कार्यों में अधिक रुचि रखने से इस प्रभाव को शांत किया जा सकता है। यह भी पढ़ें: Ekadashi Vrat: एकादशी के टोटके बना देते हैं बिगड़ी किस्मत, हर मनोकामना होती है पूरी

दशम भाव

राहु दशम भाव में स्थित होने पर, यह व्यक्ति के करियर और सार्वजनिक जीवन पर प्रभाव डाल सकता है। इससे व्यक्ति अस्थिरता, कर्मस्थल में संकट, और प्रतिस्पर्धी परिस्थितियों का सामना कर सकता है। यहां मौजूद राहु को शांत करने के लिए व्यक्ति को कर्मयोग, उचित नियोजन, और योग्यता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

बारहवां भाव

राहु द्वादश भाव (Rahu in Kundali) में स्थित होने पर, यह व्यक्ति के अन्तर्मन और चित्त को प्रभावित कर सकता है। इससे उत्पन्न होने वाले विचारों और अभिप्रेत विचारों के साथ संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। ध्यान, योगा और धारणा जैसी तकनीकों का अध्ययन करने से इस प्रभाव को कम किया जा सकता है। डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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