Dhanteras 2022: धनतेरस पर तीन झाड़ू करेगा कमाल, धनों की होगी बरसात!
Dhanteras 2022: देशभर में दिवाली की तैयारी जोरों पर है और धनतेरस के साथ-साथ छोटी दिवाली है। कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। धनतेरस को धन त्रयोदशी और धन्वंतरि जयंती भी कहते हैं। पांच दिवसीय दिवाली का पहला दिन होता है। धनतेरस के दिन से दिवाली का त्योहार प्रारंभ हो जाता है।
धनतेरस के शुभ दिन सोने-चांदी और बरतन खरीदने का विधान है। लेकिन इस दिन एक और चीज जो जरुर खरीदनी चाहिए, जिसे घर लाना बेहद शुभ माना जाता है और वो है झाडू। धनतेरस के दिन झाडू खरीदने से घर में लक्ष्मी का वास बना रहता है। अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान है तो इस धनतेरस झाड़ू को जरूर खरीदे और उससे जुड़ी इन मान्यताओं का भी रखें ध्यान।
ऐसा कहा जाता है कि झाड़ू में लक्ष्मी का वास होता है इसलिए कभी भी झाड़ू को पैर से न मारें। झाड़ू को ऐसी जगह रख दें जहां उसे पैर न लगे। मंगलवार और रविवार को कभी भी झाड़ू नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा करने से आपके घर में कलह का वातावरण बन सकता है।
धनतेरस के दिन एक साथ तीन झाड़ू खरीदना भी माना जाता है। ऐसा करना एक अच्छा शगुन होता है। इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी सम संख्या में झाड़ू न खरीदें।
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दिवाली के दिन मंदिर में झाड़ू दान से घर में लक्ष्मी का निवास होता है। आप झाडू को मंदिर में सूर्योदय से पहले दान कर सकते है। लेकिन झाड़ू खरीदने से पहले आप ध्यान रखें कि दान करने वाला झाड़ू धनतेरस के दिन के पहले से खरीदना होगा।
दीवाली के आगमन की सूचना देता है यह पर्व
धनतेरस पर स्वास्थ्य के देवता भगवान धनवंतरी की पूजा भी करने का विधान है। धनतेरस पर आरोग्य के देवता धन्वंतरी की पूजा-अर्चना की जाए और दैनिक जीवन में संयम-नियम आदि का पालन किया जाए। देवी लक्ष्मी सागर मंथन से उत्पन्न हुई थीं, उसी प्रकार भगवान धन्वंतरी भी अमृत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए हैं।
देवी लक्ष्मी हालांकि की धन की देवी हैं, परन्तु उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य और लम्बी आयु भी चाहिए। यही कारण है दीपावली के पहले, यानी धनतेरस से ही दीपामालाएं सजने लगती हैं।
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भगवान धन्वंतरी का जन्म त्रयोदशी के दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धन्वंतरी का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। धन्वंतरी जब प्रकट हुए थे, तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था।
भगवान धन्वंतरी चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं-कहीं लोक मान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन खरीद्दारी करने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है।
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