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जंग के बीच यूक्रेन ने काटी रूसी लाइफलाइन, कई यूरोपीय देशों में संकट

Ukraine ends Russian gas supply to Europe: रूस पिछले 40 वर्षों से जिस पाइपलाइन के जरिए यूरोपीय देशों को गैस भेज रहा था, यूक्रेन ने उसे बंद कर दिया है। इससे रूस को तो आर्थिक नुकसान होगा ही, यूरोप के कई देश भी संकट में आ गए हैं।

यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन। (File Photo)
Ukraine ends Russian gas supply to Europe: रूस के साथ जंग के बीच यूक्रेन ने पुतिन के देश को तगड़ी चोट दी है। रूस पिछले 40 वर्षों से जिस पाइपलाइन के जरिए यूरोपीय देशों को गैस सप्लाई कर रहा था, यूक्रेन ने उसे बंद कर दिया है। इससे रूस को तो घाटा होगा ही, यूरोप के कई देशों की लाइफलाइन भी संकट में आ गई है। शहरों की बिजली गुल हो सकती है। गैस की किल्लत झेलनी पड़ सकती है। यूरोप के बड़े हिस्से में गैस के दाम बढ़ सकते हैं। रूसी गैस पर यूरोप की निर्भरता रूस (पूर्व सोवियत संघ) पिछले करीब 50 वर्षों से यूरोप को गैस सप्लाई कर रहा है। एक दौर ऐसा था कि यूरोप की जरूरत की 35 फीसदी गैस रूस देता था। 2021 में रूस ने यूरोप को 152 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) गैस भेजी। इसमें से 27 फीसदी गैस यूक्रेन के रास्ते गई। इसकी पाइपलाइन रूसी शहर कुर्स्क के उरेंगॉय-पोमरी-उज़गोरोड से गुजरती है। युद्ध के बाद ये इलाका यूक्रेन के कब्जे में है। ये गैस स्लोवाकिया तक जाती, वहां से अलग-अलग पाइपलाइनों के जरिए चेक रिपब्लिक और ऑस्ट्रिया जैसे देशों तक पहुंचती। यूक्रेन ने क्यों बंद की सप्लाई? यूक्रेन ने 2019 में रूसी गैस कंपनी गैज़प्रोम से एक डील की थी। इसके तहत यूक्रेन अपनी सीमा में पाइपलाइन से रूसी गैस को यूरोप जाने दे रहा था, बदले में रूसी कंपनी उसे ट्रांजिट फीस दे रही थी। ये समझौता पांच साल के लिए था। युद्ध छिड़ने के बाद दोनों देश एकदूसरे के दुश्मन बन चुके हैं। इसके बावजूद यूक्रेन ने रूसी गैस की सप्लाई नहीं रोकी। हालांकि उसने साफ कर दिया था कि वह गैज़प्रोम से अपने समझौते को आगे नहीं बढ़ाएगा। अब नए साल के साथ समझौते की मियाद खत्म हो गई और यूक्रेन ने गैस सप्लाई रोक दी। बिजली का संकट, इमरजेंसी घोषित एक दौर था, जब यूरोप के तमाम देश रूसी गैस पर निर्भर थे। लेकिन फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद यूरोपीय देशों ने रूसी गैस पर अपनी निर्भरता घटानी शुरू कर दी थी। यूरोपीय देश अब नॉर्वे से पाइप्ड गैस और कतर व अमेरिका से एलएनजी खरीदते हैं। ऑस्ट्रिया, स्लोवाकिया और मोल्डोवा अभी तक यूक्रेन के रास्ते आने वाली रूसी गैस पर निर्भर हैं। साइबेरिया पाइपलाइन से सबसे ज्यादा गैस ऑस्ट्रिया लेता था। स्लोवाकिया भी अपनी सालाना जरूरत का करीब दो-तिहाई रूस से खरीदता था। मोल्डोवा का रूस समर्थित इलाका ट्रांसनिस्ट्रिया भी इसी गैस से अपनी जरूरतें पूरी कर रहा था। अब गैस सप्लाई रुकने पर मोल्डोवा में इमरजेंसी घोषित कर दी गई है। बिजली कटौती हो रही है। पानी गर्म करने तक पर रोक लग गई है। यूरोप पर असर, विकल्पों पर काम पूर्वी यूरोपीय देश स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फीको ने कहा है कि रूसी गैस सप्लाई रुकने से पूरे यूरोप में गैस की कीमतें बढ़ेंगी। उसे अपनी खुद की जरूरतें पूरी करने के लिए 180 मिलियन डॉलर से अधिक अतिरिक्त खर्च करने होंगे। वहीं ऑस्ट्रिया के एनर्जी रेग्युलटर ई-कंट्रोल का कहना है कि उसने अन्य विकल्पों पर काम शुरू कर दिया है, जिससे बिजली सप्लाई पर असर नहीं पड़ेगा। यूरोप के कई देश इस संकट के लिए पहले से तैयारी कर रहे थे, इसलिए उन पर बहुत अधिक संकट पड़ने के आसार नहीं हैं। चार रास्तों से यूरोप जाती थी गैस रूस मुख्य रूप से चार पाइपलाइन के जरिए यूरोप को गैस सप्लाई करता रहा है। इनमें से एक बेलारूस के रास्ते यमल से यूरोप जाती है। दूसरी नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन बाल्टिक महासागर के रास्ते जर्मनी को गैस सप्लाई करती थी। इन दोनों पाइपलाइनों को रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पहले ही बंद किया जा चुका है। अब यूक्रेन से होकर गुजरने वाली पाइपलाइन से भी सप्लाई रोक दी गई है। लेकिन चौथी पाइपलाइन अभी भी चालू है। ये तुर्कस्ट्रीम काला सागर से रास्ते गैस सप्लाई कर रही है। ये एक तरफ तुर्की और दूसरी तरफ हंगरी व सर्बिया जैसे यूरोपीय देशों तक जाती है। हालांकि पहले के मुकाबले अब इस रूट से भी गैस सप्लाई काफी कम कर दी गई है। यूक्रेन ने बताया रूस की हार यूक्रेन ने पाइपलाइन से रूसी गैस की सप्लाई रोकने का ऐलान करते हुए इसे ऐतिहासिक कदम करार दिया। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने इंस्टाग्राम पोस्ट में इसे रूस की सबसे बड़ी हार बताया। उन्होंने कहा कि रूस अपनी गैस का हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा था और अपने सहयोगियों को ब्लैकमेल कर रहा था। हमने इसे बंद कर दिया है। राष्ट्रपति जेलेंस्की चाहे जो कहें, लेकिन गैस सप्लाई रोकने की यूक्रेन को भारी कीमत चुकानी होगी। रॉयटर्स के मुताबिक, यूक्रेन को 800 मिलियन डॉलर सालाना की ट्रांजिट फीस का नुकसान होगा। वहीं गैज़प्रोम को गैस बिक्री में 5 अरब डॉलर का घाटा होगा। ये भी पढ़ें: ट्यूनीशिया में दो नावों के पलटने से 27 लोगों की मौत, 83 का रेस्क्यू; कैसे हुआ दिल दहला देने वाला हादसा?


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