पहलगाम हमले के बाद भारत ने कड़ा फैसला लेते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। भारत ने पाकिस्तान को एक भी बूंद पानी न देने की बात कही है। भारत के इस फैसले से पाकिस्तान में हाहाकार मच गया। उसके नेताओं ने आनन-फानन में गीदड़ भभकी वाले बयान दिए। पाकिस्तान ने कहा कि अगर पानी को रोकने या मोड़ने की कोशिश की गई तो वह इसे युद्ध की कार्रवाई मानेगा। इसके अलावा शिमला समेत सभी द्विपक्षीय समझौतों से हटने की धमकी भी दी है।
बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर 65 साल पहले 1960 में समझौता हुआ। इसके बाद दोनों देशों के बीच कई बड़े युद्ध हुए लेकिन इस संधि पर कोई असर नहीं पड़ा। ऐसे में अब पहलगाम हमले के बाद भारत ने कहा कि सिंधु जल संधि को स्थगित करने का फैसला तब तक जारी रहेगा जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय और स्थाई तौर पर सीमा पार से आतंकवाद के लिए अपना समर्थन नहीं छोड़ देता। ऐसे में आइये जानते हैं भारत के इस फैसले के बाद अब पाकिस्तान के पास क्या विकल्प बचे है?
वर्ल्ड बैंक में करेगा अपील
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि भारत की ओर से सिंधु जल संधि स्थगित किए जाने के फैसले के खिलाफ वह वर्ल्ड बैंक जाएगा। आसिफ ने कहा वह इस मामले को वर्ल्ड बैंक के सामने उठाएंगे उसकी मध्यस्थता में ही यह संधि हुई थी। इस संधि से भारत एकतरफा पीछे नहीं हट सकता। बता दें कि पाकिस्तान पहले ही जल संकट से जूझ रहा है ऐसे में अब अगर भारत उस संधि से पीछे हटा है तो उसकी मुसीबत बढ़ सकती है। पाकिस्तान के लिए यह संधि बहुत अहम है। कृषि और हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के लिए इन नदियों का पानी पाकिस्तान के लिए बहुत अहम है।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय जाने की धमकी
पाकिस्तान भारत के खिलाफ इस फैसले को लेकर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में जाने की तैयारी कर रहा है। पाकिस्तान वहां पर भारत के खिलाफ वियना कन्वेंशन लॉ ऑफ कंट्रीज के उल्लंघन के तहत कार्रवाई के लिए कह सकता है।
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यूएन में अपील करेगा पाकिस्तान
पाकिस्तान के पास तीसरा विकल्प संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का है। पाकिस्तान इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सामने भी उठा सकता है। पाकिस्तान के विधि और न्याय राज्य मंत्री अकील मलिक ने कहा कि सिंधु जल संधि को भारत एकतरफा स्थगित नहीं कर सकता है। इस संधि में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। जिससे इस संधि को भारत एकतरफा खत्म कर सके।
चौथा विकल्प कूटनीति का
पाकिस्तान के पास चौथा रास्ता कूटनीति का है। इसके लिए वह चीन, अमेरिका और खाड़ी देशों से बात कर चुका है। ईरान ने तो मध्यस्थता की बात भी कह दी है। वहीं चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने दोनों देशों को बातचीत के जरिए समाधान निकालने की अपील की है।
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