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12 साल की बच्‍ची से अधेड़ का इश्‍क: वो क‍िताब जो 5 साल में ल‍िखी गई और 3 द‍िन में सब ब‍िक गई

Lolita Book: ये किताब 18 अगस्त 1955 में पब्लिश हुई थी, इसके लेखक व्लादीमीर नबोकोव थे, ये किताब विवादित टॉपिक 'Hebephilia' पर आधारित है। 

Author Published By : Amit Kasana Aug 18, 2024 07:00
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Lolita Book

Novel on controversial subject of hebephilia: बॉलीवुड मूवी ‘निशब्द’ में महानायक अमिताभ बच्चन ने अपने से छोटी उम्र की लड़की से ऑन स्क्रीन रोमांस किया था। उनके बेहतरीन अभिनय और उस समय इस नए सब्जेक्ट की फिल्म ने दर्शकों को अपना दीवाना बना दिया। लेकिन इतिहास में एक ऐसी किताब का नाम दर्ज है जो इस विषय पर सबसे पहले लिखी गई और अपने समय से आगे भाविष्य के इस टॉपिक को चुनने के कारण इसे कई देशों में छापने पर बैन लगा दिया गया था।

दरअसल, हम बात कर रहे हैं 20वीं सदी की सबसे चर्चित किताबों में एक है ‘लोलिता’ की। जानकारी के अनुसार यह किताब सबसे पहले 18 अगस्त 1955 में प्रकाशित हुई थी, प्रकाशित होने के 3 दिन के भीतर ही इस किताब की सभी कॉपी बिक गई थी। इसके लेखक का नाम व्लादीमीर नबोकोव था, बताया जाता है कि उन्हें इसे लिखने में 5 साल का समय लगा था। इतिहास में व्लादीमीर नबोकोव का नाम रशियन-अमेरिकन लेखक के रूप में दर्ज है। ये किताब विवादित टॉपिक ‘Hebephilia’ पर आधारित है। बता दें Hebephilia में अधेड़ उम्र का व्यक्ति 10 से 15 साल के बच्चों के प्रति शारीरिक रूप से आकर्षित होता है।

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किताब में थी एक अधेड़ की कहानी

इस किताब में एक अधेड़ आदमी हम्बर्ट और 12 साल की लड़की डोलोरस हेज के एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होने और उनके रिलेशनशिप के बारे में कहानी है। दरअसल, इस किताब में बताया गया है कि लेखक को एक बच्ची से प्यार हो जाता है और वह उसके प्यार में किन भावनाओं और परिस्थतिथियों से गुजरता है। दरअसल, उस समय के लिए लिहाज से ये किताब जिस टॉपिक पर लिखी गई वो नया था, तत्तकालीन समाज इन मुद्दों पर खुलकर बात करना सहीं नहीं सकझता था। यही वजह रही किताब लिखने जाने के कई दिन बाद तक कोई भी प्रकाशक इसे छापने को तैयार नहीं था।

पोर्न छापने वाली कंपनी ने की पब्लिश

बड़ी संख्या में प्रकाशकों के मना करने के बाद पेरिस की एक कंपनी जो उस समय पोर्नोग्राफी छापा करती थी इसे प्रकाशित करने के लिए तैयार हो गई। बताते हैं कि किताब के आने के बाद उस पर ब्रिटेन और फ्रांस में प्रतिबंध लगा दिया गया। ब्रिटेन में यह रोक 1959 तक रही, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस किताब की अब तक करीब 5 करोड़ प्रतियां छप चुकी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई चाहते थे कि इंडिया में इस किताब पर बैन लगे। उस समय लालबहादुर शास्त्री ने भी उनकी इस बात का समर्थन किया था। लेकिन ये किताब भारतीय बाजार में बेची गई थी।

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First published on: Aug 18, 2024 07:00 AM

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