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दुनिया में इन देशों की नागरिकता पाना बेहद मुश्किल, 20 से 25 साल तक करना पड़ता है इंतजार

जी हां, लोग दूसरे देश जाकर नागरिकता पाने का सपना देखते हैं, लेकिन दुनिया में कुछ ऐसे देश भी हैं जहां का नागरिक बनना लगभग नामुमकिन है. यहां की नागरिकता पाने के लिए कड़े नियमों से होकर गुजरना पड़ता है.

भारत से हर साल लाखों लोग अपनी नागरिकता छोड़ विदेश में बस जाते हैं, हाल ही में सरकार ने इसे लेकर एक आंकड़ा जारी किया. विदेश में बसने वालों की बड़ी तादाद अमीरों की होती है, लेकिन कई ऐसे लोग भी होते हैं जो दूसरे देश जाकर नागरिकता पाने का सपना देखते हैं. अगर आप सोचते हैं कि किसी दूसरे देश की नागरिकता हासिल करना बस पासपोर्ट या इन्वेस्टमेंट की बात है, तो इस खबर को जरूर ध्यान से पढ़ने की जरूरत है. जी हां, दुनिया में कुछ ऐसे देश भी हैं जहां का नागरिक बनना लगभग नामुमकिन है. यहां की नागरिकता पाने के लिए कड़े नियमों से होकर गुजरना पड़ता है.

वेटिकन सिटी


वेटिकन सिटी को नागरिकता के लिहाज से दुनिया का सबसे कठिन देश माना जाता है. यहां की नागरिकता स्थायी नहीं होती और इसे केवल कार्डिनल, पादरी या होली सी में काम करने वाले अधिकारियों को दिया जाता है. जैसे ही उनका कार्यकाल खत्म होता है, वेटिकन की नागरिकता अपने आप समाप्त हो जाती है. यानी यहां 'जन्म से नागरिक' जैसी कोई अवधारणा ही नहीं है.

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उत्तर कोरिया


अगर आप तानाशाह किम जोंग उन के देश उत्तर कोरिया जाकर बसना चाहते हैं तो ये सपना देखना छोड़ दीजिए. यहां की नागरिकता पाना लगभग असंभव है. यहां कोई पारदर्शी नेचुरलाइजेशन प्रक्रिया नहीं है और विदेशियों के लिए आवेदन का विकल्प भी नहीं होता. सिर्फ असाधारण राजनीतिक या सैन्य परिस्थितियों में ही नागरिकता दी जा सकती है. बाहरी लोगों पर सख्त निगरानी रखने वाला ये देश शायद दुनिया का सबसे बंद राजनीतिक सिस्टम रखता है.

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कतर


कतर में नागरिकता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को कम से कम 25 साल तक लगातार वहीं रहना पड़ता है. इसके साथ अरबी भाषा में एस्पर्ट और आर्थिक रूप से मजबूत साबित करना जरूरी है. लेकिन नियमों को पूरा कर लेने के बाद भी यह सुनिश्चित नहीं कि नागरिकता मिल ही जाएगी. आखिरी फैसला पूरी तरह सरकार पर निर्भर करता है.

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सऊदी अरब


सऊदी अरब में नागरिकता मिलना बेहद दुर्लभ है. यहां रहने की न्यूनतम अवधि 10 साल है, अरबी भाषा में एक्सपर्ट होने के साथ-साथ आपको स्थानीय संस्कृति से जुड़ाव दिखाना भी जरूरी है. असल में सऊदी नागरिकता के पीछे धार्मिक पहचान, खासकर इस्लाम का पालन अहम है. यही वजह है कि गैर-मुस्लिमों के लिए इसे पाना लगभग नामुमकिन माना जाता है.

कुवैत


कुवैत भी नागरिकता के मामलों में बेहद सख्त देश है. गैर-मुस्लिमों को तो आवेदन करने की अनुमति ही नहीं मिलती, जबकि मुसलमानों को भी नागरिकता के लिए कम से कम 20 साल तक वहां रहना पड़ता है. हालांकि लंबे समय तक रहने के बाद भी अधिकतर आवेदन रद्द कर दिए जाते हैं.

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स्विट्जरलैंड


स्विट्जरलैंड का मामला थोड़ा अलग है. यहां धारणा या धर्म की नहीं, बल्कि लोकल इंटीग्रेशन और जांच-पड़ताल की परीक्षा होती है. नागरिकता के लिए व्यक्ति को 10 साल तक रहना होता है, साथ ही स्थानीय समाज, भाषा और संस्कृति में पूरी तरह रच-बस जाना पड़ता है. इसके बाद नागरिकता टेस्ट पास करने पर ही मंजूरी मिलती है.


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