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‘हम हर दिन धीरे-धीरे मरते हैं’, गाजा के एक परिवार ने बताया कैसे बरस रहे इजरायली बम

Gaza City family Says We die slowly every day: इजराइल-हमास के बीच जंग का बुधवार को 18वां दिन है। इजराइल ने गाजा सिटी पर हवाई हमले तेज कर दिए हैं।

Israel-Hams War
Israel-Hams War Updates Gaza City family Says We die slowly every day: इजराइल-हमास के बीच जंग का बुधवार को 18वां दिन है। इजराइल ने गाजा सिटी पर हवाई हमले तेज कर दिए हैं। ऐसे में आसमान से बरसते बमों के बीच 'जिंदगी' के मायने क्या हैं। इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए गाजा से ग्राउंड रिपोर्ट सामने आई है। अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, अब्दुलरहमान और उनका परिवार गाजा छोड़ने वाले कई फिलिस्तीनियों में से एक थे। कुछ ही दूरी पर एक बड़ा विस्फोट हुआ था। जिसमें 70 लोग मारे गए। अब्दुलरहमान अम्मार के साथ 5 बहनें और माता-पिता कार में थीं। अम्मार ने कहा कि उस हवाई हमले में बचना एक चमत्कार जैसा था।

गाजा सिटी पर ताजा बमबारी का वीडियो...

सड़क पर टुकड़ों में बिखरे पड़े थे शव

अम्मार ने बताया कि जिस ट्रक को टक्कर मारी गई वह करीब 10 परिवार के लोगों से भरा हुआ था। हमले के बाद हमने पूरी सड़क पर शव टुकड़ों में बिखरे हुए देखे। हमें लगा जैसे हमारे भी मरने का समय आ गया है। उसके बाद यह सूझ नहीं रहा था कि आगे बढ़ें या वापस लौट जाएं। लेकिन हम दक्षिण की ओर बढ़ते रहे और एक स्कूल में शरण ली। लेकिन परिवार को युद्ध से जिस राहत की उम्मीद थी, वह संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित स्कूल में नहीं मिली।

पूरी रात बमबारी से धमकती रही फर्श

अब्दुलरहमान की 25 वर्षीय बहन सना ने कहा कि न केवल हमें भोजन और पानी जैसी दैनिक आपूर्ति की कमी का सामना करना पड़ा, बल्कि छह महिलाओं के परिवार के रूप में गोपनीयता भी नहीं मिली। हमें 30 अजनबियों के साथ 65 वर्ग फुट की जगह में रखा गया। महिलाएं और बच्चे स्कूल के अंदर रहे, जबकि पुरुष बाहर सोये। इस दौरान गाजा पर इजराइल की बमबारी जारी रही। उस वक्त फर्श पर धमक महसूस हो रही थी। मिसाइलों के रास्ते और विस्फोटों से रोशनी से रोशन स्कूल में छिपे परिवारों की चीखों के साथ गुजर रही थीं। अब्दुलरहमान ने याद करते हुए कहा कि हम सुबह होने का इंतजार कर रहे थे।

आखिरकार परिवार को लौटना पड़ा

अम्मार परिवार गाजा के दक्षिण में भागने वाले पहले लोगों में से था। लेकिन कहीं शरण न मिलने के कारण उन्होंने वापस लौटने का निर्णय लिया। जिस दिन निकले अब्दुलरहमान और उनके परिवार को टैक्सी नहीं मिली। इसलिए वे अपने घर की ओर लगभग 6 किमी (3.7 मील) पैदल चले। अब्दुलरहमान ने कहा कि हम अपने सामान को गले लगा रहे थे और जिगजैग पैटर्न में चल रहे थे, ताकि पास के किसी भी हवाई हमले से नुकसान होने की संभावना को कम कर सकें। आखिरकार एक टैक्सी मिली और आठ लोगों का परिवार अपने कपड़ों और कुछ अन्य सामानों के साथ वाहन में चढ़ गया। वे शांति से प्रार्थना कर रहे थे और बाहर विनाश के दृश्यों, सायरन और युद्धक विमानों की आवाज के बीच घूर रहे थे। अब्दुलरहमान ने कहा कि पूरे समय बम हमारे आसपास हर जगह बरसते रहे। यह भी पढ़ें: हमास का हमदर्द बने तुर्की के राष्ट्रपति Erdogan, बोले- ‘ये आतंकी संगठन नहीं’


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