अमेरिका के बाद अब चीन ने दावा किया है कि उसने मई महीने में हुए तनाव में भारत-पाकिस्तान के बीच 'मध्यस्थता' की थी. हालांकि, भारत ने तीसरे पक्ष के दखल को बार-बार खारिज किया है और साथ ही डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता के दावों का कड़ा विरोध जताया है.
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को एक संगोष्ठी में कहा कि दुनिया में इस साल संघर्षों और अस्थिरता में भारी इजाफा हुआ है. उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से इस साल सबसे ज्यादा स्थानीय युद्ध और सीमा पार संघर्ष ज्यादा भड़के हैं.
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साथ ही वांग ने कहा कि चीन ने अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को सुलझाने में एक 'न्यायपूर्ण रुख' अपनाया. वांग ने आगे कहा, 'इसी नजरिए के साथ हमने उत्तरी म्यांमार, ईरानी परमाणु मुद्दे, पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव, फिलिस्तीन और इजरायल के बीच के मुद्दों और कंबोडिया तथा थाईलैंड के बीच हालिया संघर्ष में मध्यस्थता की.'
बता दें, पाकिस्तानी आतंकियों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों पर हमला कर दिया था. इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाकर पाकिस्तान पर हमला कर दिया था. भारत ने पाकिस्तान के कई सैन्य प्रतिष्ठानों को तबाह कर दिया था.
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भारत लगातार उन दावों को खारिज करता रहा है कि किसी बाहरी शक्ति ने भारत-पाकिस्तान के तनाव को खत्म करने के लिए कोई भी मध्यस्थता की थी. भारत का कहना है कि यह तनाव दोनों देशों की सेना ने एक दूसरे से बातचीत करके खत्म किया था.
13 मई की एक प्रेस ब्रीफिंग में, विदेश मंत्रालय ने बाहरी मध्यस्थता के दावों को खारिज किया था. विदेश मंत्रालय ने दूसरे देशों की दखल को खारिज करते हुए कहा था कि 10 मई 2025 को दोपहर 15:35 बजे दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच फोन कॉल के बाद यह तनाव खत्म किया गया था.
भारत ने बार-बार कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच के मामलों में तीसरे पक्ष के दखल की कोई गुंजाइश नहीं है.