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बांग्लादेश में भीड़ ने क्यों फूंके मीडिया हाउस, आखिर 33 साल में पहली बार ‘द डेली स्टार’ और 27 साल में ‘प्रथम आलो’ क्यों नहीं छपे?

बांग्लादेश के दो प्रमुख अखबार 'द डेली स्टार' और 'प्रथम आलो' के दफ्तरों पर हिंसक भीड़ ने हमला कर दिया.

बांग्लादेश में एक बार फिर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए.

बांग्लादेश में एक बार फिर हिंसक प्रदर्शन भड़क उठे हैं. प्रदर्शन इतने हिंसक हो गए, कि भीड़ ने अखबारों के दफ्तरों तक को नहीं छोड़ा. 33 साल में पहली बार 'द डेली स्टार' और 27 साल में पहली बार 'प्रथम आलो' अखबार शुक्रवार को नहीं छपे. इतना ही नहीं, 'प्रथम आलो' का ऑनलाइन संस्करण भी 17 घंटे बंद रहा. ढाका में हिंसक भीड़ ने अखबार के कार्यालय में घुसकर तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी की. गुरुवार रात बांग्लादेश के युवा नेता, 32 वर्षीय शरीफ उस्मान हादी की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इसके बाद ढाका में नए सिरे से प्रदर्शन भड़क उठे. देखते ही देखते यह प्रदर्शन हिंसक हो गया. हिंसा की चपेट में 'प्रथम आलो' और 'द डेली स्टार' जैसे बड़े अखबार भी आ गए.

वो खौफनाक रात

'प्रथम आलो'अखबार ने हमले की रात का ब्योरा देते हुए लिखा, 'गुरुवार को रात के करीब 11:15 बज रहे थे. करीब 30-35 हमलावरों की भीड़ शाहबाग से कारवां बाजार स्थित प्रथम आलो दफ्तर की ओर आई. भीड़ ने दफ्तर पर हमले की कोशिश की. पुलिस ने उन्हें बाहर ही रोक दिया. इसके बाद वे दफ्तर के बाहर इकट्ठा हो गए और नारेबाजी करने लगे. इस दौरान कुछ लोगों ने अखबार के दफ्तर को जलाने और उसके कर्मचारियों पर हमले की धमकियां दीं.'

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अखबार ने साथ ही यह भी लिखा कि हमलावर और लोगों को वहां बुला रहे थे. वहां मौजूद लोगों के मोबाइल फोन छीन लिए. स्थानीय व्यापारियों पर हमला कर दिया. यह सिलसिला करीब डेढ़ घंटे तक चला. इसी बीच विदेश में रहने वाले लोग सोशल मीडिया के जरिए मीडिया हाउस पर हमले के लिए उकसा रहे थे. इसके बाद हमलावरों का एक और ग्रुप आ गया.

सब फूंक डाला

इसके बाद रात करीब 12:15 बजे भीड़ ने हमला शुरू कर दिया. हमलावरों ने इमारत पर पत्थर फेंके और कांच तोड़ दिए. इसके बाद मेन गेट तोड़कर वे चार मंजिला इमारत में घुस गए. उन्होंने फर्नीचर, उपकरण और डॉक्यूमेंट्स को फेंकना शुरू कर दिया, इसके बाद उन्हें एक जगह इकट्ठा कर आग लगा दी गई. उन्होंने फायर फाइटिंग सिस्टम और सीसीटीवी कैमरे भी तोड़ दिए.

अखबार का कहना है कि जब भीड़ इकट्ठा हो रही थी और लग रहा था कि यह हमला कर सकती है. तभी सभी एजेंसियों को इस बारे में जानकारी दी गई. लेकिन जब इमारत की अलग-अलग मंजिलों से सामान फेंके जाने लगा तब कुछ पुलिस वाले जरूर वहां दिखे थे.

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तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी

हमलावरों ने 150 से अधिक कंप्यूटर, लैपटॉप और कर्मचारियों के डेस्क से कैश और निजी सामान लूट लिया. पहली, दूसरी और तीसरी मंजिल पर कुछ भी सुरक्षित नहीं बचा. लूटने के बाद हमलावरों ने इमारत को आग के हवाले कर दिया और जश्न मनाना शुरू कर दिया. करीब एक बजे आग ने भीषण रूप धारण कर लिया और पड़ोस की इमारत भी आग की चपेट में आ गई.

जब आग फैली और पड़ोस की इमारतों तक पहुंचने लगी, तो दमकल विभाग को सूचना दी गई. अखबार के अधिकारियों ने बार-बार फायर सर्विस और दूसरी एजेंसियों के बारे में इसकी जानकारी दी. लेकिन हमलावरों ने रास्ता रोका हुआ था, जिसकी वजह से आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड के कर्मचारी वहां तक नहीं पहुंच पाए.

फायर ब्रिगेड पर भी हमला

फायर सर्विस की पहली यूनिट के पहुंचने पर हमलावरों ने उन पर हमला कर दिया. फायर ब्रिगेड की दो गाड़ियां वापस चली गईं. इसके बाद हमलावर द डेली स्टार के दफ्तर की ओर चले गए. फिर 2.30 आग बुझाने का काम शुरू किया गया. जब तक फायर ब्रिगेड कर्मचारी आग बुझाने का काम शुरू करते, अखबार का दफ्तर पूरी तरह से जलकर राख हो गया था, अंदर कुछ भी नहीं बचा था.

ढाका के अलावा कुश्तिया, खुलना और सिलहट में भी 'प्रथम आलो' अखबार के दफ्तर पर हमला किया गया और तोड़फोड़ की गई. चटगांव, बोगरा और बारिसल में भी अखबार के ऑफिस पर हमला की कोशिश की गई.

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'द डेली स्टार' के दफ्तर पर भी हमला

'द डेली स्टार' के दफ्तर में जब हमला हुआ, तब पत्रकार पहले एडिशन की डेडलाइन के लिए काम कर रहे थे. इसी दौरान एक रिपोर्टर को बार-बार कॉल आने लगी. रिपोर्टर को जानकारी मिली की पास में दूसरे अखबार के दफ्तर पर भीड़ ने हमला कर दिया और वह भीड़ आपके दफ्तर की ओर आ रही है. इसके बाद उस रिपोर्टर ने अपने ऑफिस को अलर्ट किया कि किसी भी पल भीड़ अपने ऑफिस की तरफ आ सकती है.

भीड़ के आने की खबर मिलते ही कर्मचारी सुरक्षा के लिए भागने लगे. जब तक वे लोग सेकेंड फ्लोर तक पहुंचे, हिंसक भीड़ इमारत में घुस चुकी थी और कांच और फर्नीचर तोड़ना शुरू कर दिया था. करीब 28 रिपोर्टर और कर्मचारी छत पर भाग गए और खुद को अंदर बंद कर लिया. नीचे हमलावर तोड़फोड़ कर रहे थे और ऊपर छत पर काला धुआं भर गया था.

'नहीं आ रहा था सांस'

डेली स्टार ने भी अपने दफ्तर पर हमले के उस खौफनाक पल पर लिखा, 'धुआं इतना बढ़ गया था कि सांस लेना मुश्किल हो गया. आंखें जलने लगीं. गला घुटने लगा. पत्रकार हवा के लिए छत के एक कोने से दूसरे कोने की ओर भाग रहे थे.'

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डर के मारे पत्रकार क्रेन के जरिए नीचे उतरने को तैयार नहीं थे क्योंकि नीचे भीड़ मौजूद थी. सुबह 4:30 बजे तक हमलावर दफ्तर के बाहर मौजूद थे. द डेली स्टार के ऑफिस से भी कंप्यूटर, कैमरे और कैंटीन का खाना तक लूट लिया गया.

मीडिया घरानों को निशाना क्यों बनाया गया?

'प्रथम आलो' अखबार ने कहा कि 'स्वतंत्र पत्रकारिता' की वजह से सरकार हमेशा उस पर दबाव डालती रहती है. लेकिन उसने कभी समझौता नहीं किया. अखबार ने शेख हसीना के उस बयान का भी जिक्र किया, जो उन्होंने 10 अप्रैल, 2023 को संसद में कहा था, 'प्रथम आलो अवामी लीग का दुश्मन है. प्रथम आलो लोकतंत्र का दुश्मन है.' वहीं, 'द डेली स्टार' ने इस हमले को 'बांग्लादेश में स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए सबसे काले दिनों में से एक' करार दिया है.

डेली स्टार ने लिखा है, कि भीड़ 'द डेली स्टार' और 'प्रथोम आलो' पर आरोप लगा रही थी कि इन्हीं दोनों अखबारों ने हादी की हत्या की जमीन तैयार की है. इसके साथ ही भीड़ ने दोनों अखबारों को 'शेख हसीना का मददगार' और 'भारत का पालतू' तक कहा. अखबारों के दफ्तरों के बाहर भीड़ अखबारों के खिलाफ नारेबाजी भी कर रही थी. हालांकि, अखबारों की ओर से ऐसे दावों का खंडन किया गया.


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