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यूनुस का वो एक गलत फैसला.. जिससे शुरू हुई बांग्लादेश की उल्टी गिनती, हिंदू भी भुगत रहे हैं खामियाजा

Bangladesh News: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद युनूस अपने एक फैसले को लेकर शायद खुद पछतावे में हैं. युनूस की उसी एक गलती का अंजाम पूरा बांग्लादेश भुगत रहा है और साथ में हिंदू भी. आखिर क्या था युनूस का वो फैसला, पढ़िए इस रिपोर्ट में

Credit: Social Media

बांग्लादेश में आज जो हालात हैं उसके पीछे सबसे बड़ा हाथ है अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस का. 8 अगस्त 2024 की वो तारीख, जिसके बाद बांग्लादेश की उल्टी गिनती शुरू हो गई. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कुर्सी छोड़ते ही मोहम्मद यूनुस ने एक फैसला लिया, जो उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी गिनती साबित हो रहा है. वो फैसला था जमात-ए-इस्लामी पर से बैन हटाना. मोहम्मद यूनुस ने अपने इस फैसले को लोकतांत्रिक बताकर पेश किया था. दरअसल उन्हें खुद भी ये अंदाजा नहीं था कि वो कितना बड़ा पाप करने जा रहे हैं. यूनुस की इस भूल का खामियाजा बांग्लादेश के साथ-साथ हिंदू भी भुगत रहे हैं.

क्या है जमात-ए-इस्लामी?

जमात-ए-इस्लामी एक कट्टरपंथी संगठन है, जो हिंदुओं से सख्त नफरत करता है. इसकी शुरुआत 1941 में हुई थी. पाकिस्तान से इसके अच्छे संबंध माने जाते हैं, ये ISI के हाथों की कठपुतली है. 1971 के बांग्लादेश आजादी के युद्ध में जमात-ए-इस्लामी ने पाकिस्तान का साथ दिया था, जिसमें लाखों बांग्लादेशी लोग मारे गए थे. 2013 में बांग्लादेश की कोर्ट ने जमात-ए-इस्लामी को चुनाव लड़ने से भी रोक दिया था. ये खिलाफत राष्ट्र की राजनीति करता है. इसपर से बैन हटते ही कट्टरवाद बढ़ गया और हिंदुओं पर ज्यादा हमले होने लगे. हाल ही में बांग्लादेश में जो हिंदू मारे गए, वो भी इसी का नतीजा है.

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शेख हसीना ने क्यों लगाया था बैन?

1 अगस्त 2024 को शेख हसीना की सरकार ने जमात-ए-इस्लामी और उसकी स्टूडेंट यूनिट पर रोक लगा दी थी. इसकी वजह थी स्टूडेंट कोटा के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शन, जिसमें 150 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. हसीना सरकार ने इसे टेरेरिस्ट एक्ट के तहत बैन किया, क्योंकि ये जमात-ए-इस्लामी लगातार हिंसा फैला रहा था. 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया और भारत आ गईं. इसके बाद बांग्लादेश की युनूस सरकार से ये बयान आया कि शेख हसीना ने जमात-ए-इस्लामी पर आतंकी गतिविधि का झूठा आरोप लगाया था.

जमात-ए-इस्लामी का क्या है मकसद?

ये कट्टरपंथी संगठन बांग्लादेश को शरिया कानून वाला देश बनाना चाहता है. जमात-ए-इस्लामी का स्टूडेंट ग्रुप शिबिर बेहद हिंसक है जो सांप्रदयिक दंगे भड़काता है और मासूमों को मौत के घाट उतारने से पहले जरा भी नहीं सोचता. हिंदू विरोधी इस संगठन ने 2013 में 50 से ज्यादा मंदिर तहस नहस कर दिए और 1500 से ज्यादा घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया.

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