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हद हो गई! डॉक्‍टर ने 13 साल की बेटी से करवा दी इमरजेंसी सर्जरी, ‘लाडली’ ने कर द‍िया खोपड़ी में छेद

World News in Hindi: डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है। डॉक्टर को जान बचाने के लिए जाना जाता है, न कि जान लेने के लिए। लेकिन एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें डॉक्टर ने ऐसा लापरवाही बरती, जिससे मरीज की जिंदगी पर बन सकती थी। आइए इस मामले के बारे में जानते हैं।

World Latest News: क्‍या सच में कोई इतनी लापरवाही कर सकता है! खासतौर से अगर वो डॉक्‍टर हो और मरीज की जान बचाने की ज‍िम्‍मेदारी उस पर हो। हाल ही में एक मामला सामने आया है, जहां डॉक्‍टर ने मरीज को अपनी 'लाडली' बेटी का ख‍िलौना बना डाला। उसने एक मरीज की इमरजेंसी सर्जरी अपनी 13 साल की बेटी को करने को दे दी। उस बेटी ने मरीज की खोपड़ी खोल कर रख दी और छेद कर डाला। ऑस्ट्रिया में एक डॉक्टर की लापरवाही से मरीज की जान पर बन आई। दुर्घटना में घायल एक शख्स का ऑपरेशन किया जा रहा था। ऑस्ट्रियाई समाचार पत्र क्रोनन जितुंग के अनुसार 33 साल का व्यक्ति वानिकी में एक एक्सीडेंट के बाद एयर एंबुलेंस के जरिए दक्षिण पूर्वी ऑस्ट्रिया के ग्राज यूनिवर्सिटी अस्पताल लाया गया था। मामला इस साल जनवरी का है। बताया जा रहा है कि उसकी इमरजेंसी सर्जरी की गई। जिस सर्जन को सर्जरी करनी थी, उसने अपनी 13 साल की बेटी से मरीज की खोपड़ी में छेद करवाया। यह भी पढ़ें:बच्‍च‍ियों से दर‍िंदगी की सजा 350 साल की जेल, लेक‍िन क्‍यों 22 साल में र‍िहा हो रहा ‘दर‍िंदा’ बेटी सर्जरी के दौरान ऑपरेशन थिएटर में मौजूद रही। लेकिन इसका खुलासा अप्रैल में हुआ। तीन महीने बाद सर्जन के खिलाफ गुप्त शिकायत अस्पताल प्रबंधन और पुलिस को मिली थी। बताया जा रहा है कि उस समय सर्जरी के सफल होने का दावा किया गया था। लेकिन अब वह पेशेंट काम पर जाने में असमर्थ है। सर्जन को नौकरी से निकाल दिया गया है। मरीज को दोपहर के समय सर्जरी के लिए ले जाया गया था। खोपड़ी का ऑपरेशन सर्जन की बेटी ने किया। इसे अस्पताल प्रबंधन ने गंभीर मामला माना है। खोपड़ी में छेद करने की जरूरत खास परिस्थितियों में पड़ती है। अगर सिर पर गंभीर चोट लगी है तो मस्तिष्क में तरल पदार्थ जमा हो जाता है। जिसको निकालने के लिए खोपड़ी में छेद किया जाता है। सर्जरी का निर्णय सर्जन लेता है। आखिर इस मरीज की खोपड़ी में छेद क्यों किया गया? यह अस्पताल की ओर से नहीं बताया गया है। अब गुमनाम शिकायत मिलने के बाद 25 मई को मामले में एक्शन लिया गया है। एक न्यूरोसर्जन और सहकर्मी को बिना नोटिस दिए निकाला गया है।

हर्जाना लेने के लिए केस करेगा पीटर

इसके 2 महीने बाद 8 जुलाई को मरीज को अपने साथ हुए कांड की जानकारी लगी। रिपोर्ट के अनुसार सर्जरी के बाद 11 दिन तक मरीज को ICU में रखा गया था। मरीज का नाम पीटर फ्रीबर्गर है। जिन्होंने अब हर्जाने के लिए केस दायर करने की बात कही है। ट्रॉमा सर्जरी विशेषज्ञ मैनफ्रेड बोगनर ने बताया कि खोपड़ी में छेद करने के लिए खास तरह की ड्रिल होती है। जो किसी बच्चे को बिल्कुल नहीं थमाई जा सकती। यह गलत है। यह घटना उनके समझ से परे है। यह भी पढ़ें:हैवान बेटा…मां-बाप का सिर काटा; फिर मेज पर सजाकर रखा, पुलिस पकड़ने गई तो गाने लगा गाना यह भी पढ़ें:अंडरगारमेंट्स और 9 आपत्तिजनक चीजें, 53 सबूत; क्या संजय रॉय को फांसी से बचा पाएंगी कविता‌?


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