Delhi Haunted Place Agrasen Ki Baoli Unknown Fact: देश में कई भूतिया जगह हैं, लेकिन हम आपको एक ऐसी भूतिया जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जो देश की राजधानी में शहर के बीचों-बीच स्थित है, जो इतनी डरावनी है कि लोग यहां जाने से डरते हैं। इसे देखकर ही भूतिया होने का अहसास होता है। दिल्ली में कनॉट प्लेस है, जिसे बहुत बिजी प्लेस माना जाता है।
इसी प्लेस पर स्थित है, अग्रसेन की बावली। इसको आर्कियोलॉजिकल प्रोटेक्टेड साइट के रूप में जाना जाता है। दिल्ली में देखने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन अग्रसेन की बावली इन सब में सबसे अलग पुरातात्त्विक संरक्षित स्थल है। अग्रसेन की बावली को अक्षय की बावली के रूप में भी जाना जाता है। बताया जाता है कि इस बावली की लंबाई 60 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर तक है।
14वीं शताब्दी में महाराजा अग्रसेन ने बनाई बावली
यह बावली कनॉट प्लेस के पास हेली रोड पर स्थित है, जहां से जंतर-मंतर भी पास ही है। इसमें नीचे की तरफ सीढ़ीनुमा टाइप कुआं है। कहा जाता है कि इस कुएं में करीब 100 से अधिक सीढ़ियां बनी हुई हैं। लोगों का मत है कि इस बावली या बावड़ी का निर्माण महाराजा अग्रसेन ने 14वीं शताब्दी में करवाया था।
हालांकि इस विषय पर विद्वानों में एक मत नहीं है। साल 2012 में अग्रसेन की बावली के नाम पर डाक टिकट जारी किया गया था। ख़ास बात यह है कि इस बावली के स्थापत्य कला की शैली ऐसी है कि इसे देखकर कुछ इतिहासकार मानते हैं कि इसकी स्थापत्य शैली उत्तरकालीन तुगलक तथा लोदी काल की स्थापत्य शैली से मेल खाती है। इस बावली के निर्माण में लाल बलुअट पत्थर का इस्तेमाल किया गया है, ऐसा कहा जाता है।
बावली से रात को आती अजीब-अजीब सी आवाजें
बता दें कि इस बावली में कभी दिल्लीवासी तैराकी करने के लिए आते थे। यह बावली बाहर से देखने में बहुत खूबसूरत दिखती है, लेकिन इसमें नीचे उतरते ही रोमांच का अनुभव होने लगता है। ऐसा लगता है मानो हम कोई डरावना दृश्य देख रहे हैं। बताते चलें कि बावली को देखने के लिए दिल्ली से बाहर दूरदराज से भी लोग आते रहते हैं।
इस बावली को देखकर आप भी कहेंगे कि यह आर्किटेक्चर का बेहतरीन नमूना है। अग्रसेन की बावली दिल्ली की मशहूर इमारतों में से एक है। कहा जाता है कि यहां फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस बावली को लेकर कई रोचक किस्से प्रसिद्ध हैं। एक बार इस बावली में काला पानी भर गया था। इस पानी को जादुई बताया जाता है। रात को यहां अजीब-अजीब आवाजें आती हैं।
यह भी कहा जाता है कि यहां अब तो पानी नहीं है, लेकिन यहां लोगों को किसी के कदमों की आवाज सुनाई देती है, इसलिए यहां आने वाले लोगों को अंधेरा होने के बाद जाने की सलाह दी जाती है। रुकने ही नहीं दिया जाता।