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बाघिन को देखते ही ‘हैवान’ बने लोग, फोड़ दी आंखें; अब डॉक्टरों को सता रहा ये डर

Kamakhya Reserve Forest : कामाख्या रिजर्व फारेस्ट से निकलकर एक शेरनी ग्रामीण क्षेत्रों में क्या पहुंची कि लोगों ने मार-मारकर उसे अंधा बना दिया। बाघिन की हालत को लेकर डॉक्टर परेशान है। पढ़ें पूरी खबर

Kamakhya Reserve Forest : बाघिन जंगल से बाहर क्या निकली, लोग हैरान रह गए। बाघिन अंधी हो गई और डॉक्टरों को डर है कि कहीं इसका जीवन नर्क ना बन जाए। मामला असम का है, यहां एक नागांव जिले के कामाख्या रिजर्व फॉरेस्ट से एक बाघिन निकलकर गांव में आ गई। तीन वर्षीय रॉयल बंगाल बाघिन पर लोगों ने हमला बोल दिया, इस हमले में बाघिन बुरी तरह घायल हो गई। टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीणों के हमले में बाघिन गंभीर रूप से घायल हो गई है और लगभग अंधी हो गई है, अब पशु चिकित्सकों को डर है कि बाघिन को अपना बाकी जीवन कैद में ही बिताना पड़ सकता है। ग्रामीणों ने पत्थरों और लाठियों से बाघिन पर इस कदर हमला बोला कि बचने के लिए उसने नदी में छलांग लगा दी। हालांकि बेहद क्रूरता से किए गए इस हमले में बाघिन किसी तरह बच निकली और 17 घंटे बाद वनकर्मियों ने उसका रेस्क्यू कर लिया। इमरजेंसी में उसे इलाज के लिए काजीरंगा में वन्यजीव पुनर्वास और संरक्षण केंद्र (सीडब्ल्यूआरसी) ले जाया गया। सीडब्ल्यूआरसी के प्रभारी डॉ. भास्कर चौधरी ने बताया कि बाघिन की दोनों आंखें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं। ऐसा लगता है कि बाईं आंख पूरी तरह खराब हो गई है। उसके सिर और अंदरूनी हिस्से में भी चोटें आई हैं। डॉ. चौधरी ने यह भी कहा कि अगर आंखों की चोटों में सुधार नहीं होता है, तो जानवर को जंगल में वापस छोड़ना असंभव होगा। एक तरफ जहां बाघिन का इलाज चल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ पुलिस ने बाघिन पर हमला करने वालों पर केस दर्ज कर लिया है और इसमें शामिल लोगों की पहचान करने की कोशिश कर रही है। यह भी पढ़ें : ट्रेन में आया हार्ट अटैक, TTE ने दिया सीपीआर और बच गई जान, सामने आया वीडियो बताया जा रहा है कि बाघिन को घायल करने वाले समूह में शामिल 9 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि जुलाई में आई बाढ़ के बाद से ही जंगली जानवर लगातार ग्रामीण इलाकों का रुख कर रहे हैं। इस बाघिन को देखने के बाद लोग भयभीत थे, हालांकि बताया ये भी जा रहा है कि इससे ग्रामीणों या उनके पशुओं को कोई खतरा नहीं था। रेंजर बिभूति मजूमदार की मानें तो बाढ़ के बाद से ही रिहायशी इलाकों की ओर आवारा बाघों की आवाजाही में वृद्धि हुई है, जिससे तनाव बढ़ गया है।


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