Mushaal Mullick Love Story, इस्लामाबाद: ये प्यार भी बड़ी अजीब चीज है। जाने कहां कब किसी को किसी से प्यार हो जाए…। हाल ही में एक ऐसी ही लव स्टोरी खासी चर्चा में है। ये लव स्टोरी है एक ऐसी महिला की, जो अब पाकिस्तान की कार्यवाहक सरकार में मंत्री बनने जा रही है। हर कोई जानना चाहता है कि मुशाल मलिक नामक इस महिला ने यासीन मलिक नाम के एक आतंकी को किस तरह जीवनसाथी बना लिया। जमीन और आसमान को मिलाने वाली यह प्रेम कहानी शुरू कैसे हुई। News 24 हिंदी इस अटपटी कहानी के हर रोचक पहलू से आपको रू-ब-रू करा रहा है। आइए जानें, प्रधानमंत्री की विशेष सहायक यह महिला कैसे पहली ही मुलाकात में आतंकी को दिल दे बैठी और फिर कैसे दोनों एक-दूसरे के जीवनसाथी बन गए…
बात 2005 की है, जब कश्मीर का अलगावादी नेता यासीन मलिक कश्मीर की आजादी के लिए समर्थन हासिल करने पाकिस्तान गया था। वहां अपने भाषण में उसने फैज अहमद फैज की शायरी पढ़ी, जिस पर अपनी मां के साथ मौजूद मुशाल पहली नजर में ही फिदा हो गई। उसने यासीन के पास जाकर उसके भाषण की तारीफ की। दोनों ने हाथ मिलाया। मुशाल ने यासीन का ऑटोग्राफ भी लिया।
इसके बाद यासीन मलिक ने मुशाल को कश्मीर के लिए जारी आंदोलन के लिए भी आमंत्रित किया। फिर पाकिस्तान से वापस आने से एक दिन पहले यासीन मलिक ने मुशाल की मां से फोन पर बात की। मुशाल के साथ भी बात हुई और इस 2 मिनट की दुआ-सलाम के बीच ही यासीन मलिक ने मुशाल को ‘I LOVE YOU’ कह डाला। बाद में जब हज पर दोनों की मांओं की मुलाकात हुई तो उन्होंने दोनों का रिश्ता पक्का कर दिया।
22 फरवरी 2009 को 24 साल की मुशाल ने पाकिस्तान में अपने से 19 साल बड़े यासीन मलिक से शादी कर ली। सितंबर 2009 में मुशाल पहली बार अपने पूरे परिवार के साथ कश्मीर आई। 2010 में शादी की पहली सालगिरह पर भी मुशाल भारत आई और कश्मीर में भी कुछ वक्त बिताया।
अर्श और फर्श का अंतर है दोनों में, मुशाल की फैमिली बेहद संपन्न
जहां तक दोनों की पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात है, मुशाल पाकिस्तान के एक बेहद अमीर परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उसके अर्थशास्त्री पिता एमए हुसैन मलिक कभी जर्मनी की बॉन यूनिवर्सिटी में हैड ऑफ दि डिपार्टमेंट हुआ करते। नोबेल पुरस्कार की ज्यूरी में शामिल होने वाले पहले पाकिस्तानी का रुतबा भी उनके नाम है। मुशाल की मां रेहाना हुसैन पाकिस्तान मुस्लिम लीग की महिला विंग की पूर्व महासचिव हैं। भाई वाशिंगटन में विदेश नीति के जानकार हैं। खुद मुशाल ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट हैं। इसके उलट एक साधारण परिवार से आता यासीन मलिक 1980 के दशक में भारत से पाकिस्तान चले गए पांच आतंकियों में से एक है। 1990 में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दे उसे जेल से छोड़ दिया गया, जिसके बाद से वह कश्मीर की आजादी का समर्थन करता आ रहा है।
यासीन ने कहा था-निकाहनामे से संयुक्त राष्ट्र का भाषण पढ़ना ज्यादा अच्छा
इससे भी रोचक बात एक और यह भी है कि एक बार यासीन मलिक ने बयान दिया था, ‘निकाहनामा पढ़ने से बेहतर होगा कि मैं संयुक्त राष्ट्र का कोई भाषण पढूं’। बावजूद इसके मुशाल से शादी करके यासीन ने कश्मीर में अपने करीबी अलगाववादी नेताओं को नाराज कर दिया था। अब 11 साल की बेटी का पिता यासीन मलिक टेटर फंडिंग के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है तो मां मुशाल मलिक मानवाधिकारों पर प्रधानमंत्री अनवर-उल-हक काकर की कैबिनेट में उनकी विशेष सहायक बनने जा रही हैं।