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Joshimath Sinking: जोशीमठ में आपदा के बाद पहली बार अपने आप धंसा मकान! मवेशियों की सुरक्षा में रातभर जा रहे लोग

Joshimath Sinking: उत्तराखंड (Uttarakhand) का जोशीमठ (Johsimath) अपनी लाचारी पर रो रहा है। जमीन धंसने के बाद आठ सौ से ज्यादा मकानों और इमारतों में खतरनाक दरारें आ चुकी हैं। प्रशासन इन इमारतों को चिह्नित करने के बाद तोड़ने का काम कर रहा है। वहीं जोशीमठ में पहली बार कुछ ऐसा हुआ कि लोगों की […]

Joshimath Sinking: उत्तराखंड (Uttarakhand) का जोशीमठ (Johsimath) अपनी लाचारी पर रो रहा है। जमीन धंसने के बाद आठ सौ से ज्यादा मकानों और इमारतों में खतरनाक दरारें आ चुकी हैं। प्रशासन इन इमारतों को चिह्नित करने के बाद तोड़ने का काम कर रहा है। वहीं जोशीमठ में पहली बार कुछ ऐसा हुआ कि लोगों की सांसे थम गई हैं। यहां एक घर अपने आप ढह गया है। और पढ़िए –Rajasthan Assembly Budget 2023: प्रभारी मंत्रियों का दौरा- जनता पूछ रही है कि अब तक उन्हें स्मार्टफोन क्यों नहीं मिला?

दरारों के बाद गिरी छत, धंस गया फर्श

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जोशीमठ के सिंहधार इलाके में एक मकान में आई दरारों (Joshimath Sinking) के बाद उसकी छत गिर गई। इतना ही नहीं मकान का फर्श भी धंसाव के कारण बैठ गया था। बताया गया है कि रविवार को मकान ढह गया। इसके बाद आसपास के आवासीय मकानों के लिए नया खतरा पैदा हो गया है।

3 जनवरी को खाली करा दिया गया था मकान

हालांकि यहां रहने वाले परिवारों को पहले ही प्रशासन ने एक सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया है। मकान मालिक दिनेश लाल को यहां से 3 जनवरी को शिफ्ट कराते हुए मकान को खाली करा दिया गया था। बताया गया है कि अभी जिस मकान में उन्होंने शरण ली है, उसमें भी दरारें आ गई हैं। और पढ़िए –Nirmal Choudhary: छात्रसंघ अध्यक्ष को पड़ा चांटा, बोले- थप्पड़ तो केजरीवाल को भी मारा गया था

सीएम ने सचिवालय में अधिकारियों के साथ की बैठक

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य सचिवालय में अधिकारियों के साथ जोशीमठ आपदा के हालातों की जानकारी के साथ राहत एवं बचाव कार्यों व वर्तमान स्थिति की समीक्षा की। बैठक में मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू भी मौजूद थे।

मवेशियों की सता रही चिंता

सिंहधार की रहने वाली विश्वेश्वरी देवी ने बताया कि उनके घर में दरारें आने के बाद प्रशासन ने उन्हें एक शिविर में शिफ्ट कर दिया है, लेकिन गौशाला धंसने के बाद भी उनके मवेशियों के लिए कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि वह दिन में किसी तरह अपनी दो गायों और दो बछड़ों की देखभाल करती है, लेकिन रात में उनके साथ कुछ हो जाने का डर सताता है। और पढ़िए –महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी छोड़ेंगे पद, PM मोदी के सामने जताई इच्छा

सामने आया दर्दनाक पहलु

इस आपदा में एक दर्दनाक पहलु भी सामने आया है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि लोग अपने मूल स्थान को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। उनका कहना है कि हम यहीं जन्मे, यहीं बड़े हुए अब हमें किसी और स्थान पर भेजा रहा है। इस घटनाक्रम को लेकर लोगों का दिल बैठा हुआ है। और पढ़िए –देश से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें


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