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सपा के पॉलिटिकल फैमिली ट्री में नए चेहरे की एंट्री, पुत्रमोह में कहीं हो ना जाए टांय-टांय फिस्स!

Uttar Pradesh Lok Sabha Election 2024: समाजवादी पार्टी का गढ़ कही जाने वाली उत्तर प्रदेश की बदायूं सीट पर सभी की नजरें टिकी हैं। शिवपाल सिंह यादव ने बदायूं की कमान बेटे को सौंपने की गुजारिश की है। ऐसे में आदित्य यादव को बदायूं से टिकट देना सपा के लिए कितना मुनासिब होगा?

Uttar Pradesh Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही सभी राजनीतिक पार्टियां अपना गढ़ मजबूत करने में जुट गई हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) की पारंपरिक सीट बदायूं का नाम भी इस फेहरिस्त में शामिल है। बदायूं को सपा का गढ़ कहा जाता है। यही वजह है कि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव दो बार बदायूं का उम्मीदवार बदल चुके हैं और अब तीसरी बार बदायूं से सपा उम्मीदवार बदलने के कयास लगाए जा रहे हैं। आदित्य यादव लड़ेंगे चुनाव समाजवादी पार्टी ने लिस्ट जारी करते हुए पहले धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया था। इस लिस्ट में दोबारा फेरबदल हुआ और अखिलेश यादव ने बदायूं की सीट चाचा शिवपाल सिंह यादव को दे दी। मगर अब शिवपाल सिंह यादव ने बेटे के लिए सीट छोड़ने का फैसला कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो शिवपाल ने बदायूं से चुनाव ना लड़ने का फैसला किया है और अब वो अपने बेटे आदित्य यादव को बदायूं से लोकसभा उम्मीदवार बनाना चाहते हैं। बीजेपी से बदायूं छीनेगी सपा? उत्तर प्रदेश की बदायूं सीट को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। सपा लगातार छह बार बदायूं से जीत हासिल कर चुकी है। 1996 के बाद बदायूं की लोकसभा सीट सपा के खेमे में रही है। मगर 2019 में बदायूं मोदी लहर की भेंट चढ़ गया और बीजेपी उम्मीदवार संघमित्रा मौर्य बदायूं से सासंद बनीं। हालांकि सपा अभी भी बदायूं को सुरक्षित सीट मानती है और 2024 के आम चुनाव में सपा मजबूत दावेदारी के साथ बदायूं को वापस लेने की जुगत में लगी है। बदायूं से जीतेंगे आदित्य यादव? शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव ने बेशक सत्ता के गलियारों में कदम नहीं रखा है। मगर वो काफी लंबे समय से पॉलिटिक्स में एक्टिव हैं। आदित्य यादव पिता के साथ अक्सर चुनावी रैलियों को संबोधित करते नजर आते हैं। यही नहीं बदायूं से शिवपाल सिंह को उम्मीदवार घोषित करने के बाद आदित्य बदायूं में भी एक्टिव हो गए हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर बदायूं के कई कार्यक्रमों की तस्वीरें भी साझा की है। ऐसे में समाजवादी पार्टी का युवा चेहरा और अखिलेश यादव के भाई होने का फायदा आदित्य को हो सकता है। अब देखना होगा कि क्या अखिलेश यादव भाई आदित्य को चुनावी मैदान में उतारने के लिए हामी भरते हैं या नया दांव खेलने की बजाए सपा पुराने चेहरों के साथ ही बदायूं पर दावा ठोकती है?  


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