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Uniform Civil Code: शादी से लेकर संपत्ति के बंटवारे तक… UCC बिल से कितना बदलाव आएगा?

Uniform Civil Code: उत्तराखंड में UCC विधेयक राज्यपाल की मंजूरी के बाद कानून बन जाएगा। आइए, जानते हैं कि इस कानून से कितना बदलाव आएगा...

उत्तराखंड में UCC बिल से कितना बदलाव आएगा?
Uniform Civil Code UCC In Uttarakhand: उत्तराखंड विधानसभा ने 7 फरवरी को समान नागरिक संहिता विधेयक, उत्तराखंड 2024  ध्वनिमत से पारित कर दिया। राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा। इसी के साथ यूसीसी को लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा। इस विधेयक से हिंदुओं और मुसलमानों के अधिकारों ( शादी, तलाक, वसीयत और संपत्ति का बंटवारा) में बड़ा बदलाव होगा। आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं... विवाह की उम्र में बदलाव यूसीसी विधेयक में हिंदुओं और मुसलमानों में पुरुषों के लिए विवाह की उम्र 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल निर्धारित की गई है। हालांकि, मुस्लिम कानून में लड़कियों की शादी की उम्र 13 साल निर्धारित की गई है। विधेयक में सभी धर्मों के लोगों को विवाह का पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया गया है। अगर विवाह का पंजीकरण नहीं होता है तो उन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा। इसके अलावा, विधेयक में पति या पत्नी के जीवित होने के बावजूद दूसरी शादी करने पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है। वसीयत के संबंध में बदलाव विधेयक में वसीयत के संबंध में नए प्रावधान किए गए हैं। इस पर प्रतिबंध नहीं है कि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति का कितना हिस्सा किसे दे, जबकि मौजूदा समय में मुस्लिम व्यक्ति वसीयत में संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा अपनी पसंद के व्यक्ति को दे सकता है। यूसीसी बिल में प्रावधान किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति बिना वसीयत किए मर जाता है तो उसके माता-पिता पहली श्रेणी के उत्तराधिकारी होंगे। उत्तराधिकारियों में बच्चे, विधवा के साथ माता और पिता भी शामिल होंगे। यानी किसी व्यक्ति की संपत्ति को उसके माता-पिता के माध्यम से उसके बच्चों और विधवा के हिस्से में कटौती करके उसे भाई-बहनों को मिल सकती है। बहुविवाह पर प्रतिबंध यूसीसी बिल में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसे गैर कानूनी घोषित किया गया है। दूसरा विवाह तभी कर सकता है, जब जीवनसाथी की मौत हो गई हो। बिल में हलाल और इद्द जैसी प्रथाओं पर भी रोक लगाई गई है। इन्हें अपराध घोषित किया गया है। हालांकि, बिल में इन प्रथाओं का स्पष्ट रूप से नाम नहीं लिया गया है। तलाक विधेयक में सभी धर्मों में पति या पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार मिला है। अगर पति- पत्नी में तलाक हो जाता है या आपसी विवाद के कारण दोनों अलग रहते हैं तो 5 साल तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता को मिलेगी। यह भी पढ़ें: ‘यूसीसी का विरोध करने वाले सच्चे मुसलमान नहीं’, सिविल कोड पर आई वक्फ बोर्ड की प्रतिक्रिया संपत्ति का अधिकार यूसीसी विधेयक में सभी धर्मों में बेटी को संपत्ति में समान अधिकार दिया गया है। विधेयक में कहा गया है कि संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं किया जाएगा। नाजायज बच्चों को भी दंपति की जैविक संतान माना जाएगा। इसके साथ ही, अगर किसी व्यक्ति की मौत  हो जाती है तो उसकी संपत्ति में पत्नी और बच्चों को समान अधिकार दिया गया है। उसके माता-पिता का भी उसकी संपत्ति में समान अधिकार होगा। किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार को संरक्षित किया गया । लिव-इन रिलेशनशिप यूसीसी बिल में लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया गया है। रजिस्ट्रार को लिव-इन का पंजीकरण कराने वाले युगल की जानकारी उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी पड़ेगी। बिल में कहा गया है कि लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस युगल का जायज बच्चा माना जाएगा। उसे भी समस्त अधिकार मिलेंगे। यह भी पढ़ें: लिव-इन रिलेशनशिप: पार्टनर के साथ उत्तराखंड जाने से पहले नए नियमों के बारे में जानना जरूरी


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