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‘ट्रंप के टैरिफ से भदोही का कार्पेट व्यापार तबाह’, राहुल गांधी को जनसंसद में बुनकरों ने बताई जमीनी हकीकत

Rahul Gandhi met Bhadohi weavers: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने जनसंसद (Jan Sansad) कार्यक्रम के दौरान उत्तरप्रदेश के भदोही के बुनकरों से मुलाकात की और कहा कि अमेरिका की भारत-विरोधी टैरिफ नीति के चलते भदोही का कार्पेट व्यापार लगभग तबाह हो गया है. राहुल गांधी ने उनकी मांगों को शीतकालीन सत्र में उठाने का वादा भी किया.

Rahul Gandhi met Bhadohi weavers: 'मैंने पहले ही कहा था - “ट्रंप के टैरिफ़ एक आर्थिक तूफ़ान बनकर आने वाले हैं, जिससे करोड़ों लोगों को नुक़सान होगा.” आज भदोही के बुनकर उसी चेतावनी की जमीनी सच्चाई बयान कर रहे हैं'. राहुल गांधी ने यह बयान जनसंसद में भदोही के बुनकरों से मुलाकात के दौरान दिया. भदोही के बुनकरों ने अपने हाथों से बनाई हुई एक सुंदर कालीन राहुल गांधी को भेंट की, जिसमें उनके हुनर, मेहनत और सदियों पुरानी कला की झलक साफ़ दिखाई देती है. बुनकरों ने राहुल गांधी को बताया कि कभी ‘कार्पेट सिटी’ कहलाने वाला भदोही आज बदहाली का शिकार है. अमेरिका की भारत-विरोधी टैरिफ़ नीति का भयंकर असर देश के कई उद्योगों पर पड़ा है, और भदोही का कार्पेट व्यापार भी उससे लगभग तबाह हो गया है.

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सरकार की बेरुखी से घटने लगा निर्यात

मुलाकात के दौरान सामने आया कि दुर्भाग्य यह है कि सरकार ने इस उद्योग को संभालने या पुनर्जीवित करने के लिए कोई ठोस क़दम नहीं उठाया. नतीजा यह है कि निर्यात लगातार घट रहा है और कारोबार बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल जैसे देशों की ओर शिफ्ट हो रहा है. यह सब प्रधानमंत्री की ही संसदीय क्षेत्र की सच्चाई है - जहां बुनकर आज कह रहे हैं “चिराग़ तले अंधेरा”, क्योंकि मोदी जी ने उनकी तकलीफों से आंखें मूंद ली हैं. सदियों पुरानी यह कला, जो उनके व्यापार का आधार है, भारत की पहचान है और लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी का साधन है, आज शोषण और सरकारी उपेक्षा का शिकार है. हालात इतने खराब हैं कि इन मेहनतकश परिवारों को सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं.

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इन्हीं छोटे उद्योगों की बात करता हूं: राहुल गांधी

बुनकरों की शिकायत सुनने के बाद राहुल गांधी कहते हैं कि यही वे छोटे उद्योग और छोटे व्यवसाय हैं जिनकी मैं लगातार बात करता हूं. जो रोज़गार पैदा करते हैं, अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं और देश को आगे बढ़ाते हैं. अब ज़रूरत है कि नीतियों और आर्थिक सहयोग के जरिए शक्ति इन लोगों के हाथों में लौटाई जाए, ताकि ये कारीगर फिर से भारत का नाम रोशन कर सकें और देश की अर्थव्यवस्था का पहिया आगे बढ़ा सकें. इससे पहले दिसंबर 2025 में ही, राहुल गांधी ने वाराणसी के एंब्रॉयडरी (कढ़ाई) कारीगरों से भी मुलाकात की थी

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