Digital Evidence Importance: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में डिजिटल एविडेंस का न्यायिक मामलों में महत्व विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया, जिसमें सेवानिवृत्त जस्टिस तलवंत सिंह ने डिजिटल एविडेंस पर चर्चा की और कहा कि न्यायिक मामलों में डिजिटल एविडेंस की भूमिका अहम है और केस में इनकी जरूरत तब और बढ़ जाती है, जब कोई विटनेस नहीं होता। सेमिनार में बताया गया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर डिजिटल एविडेंस को मान्यता देने के लिए एक बेहद खास सिस्टम तैयार किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें: UP: साइबर अपराध को रोकने के लिए हाईटेक टेक्नोलॉजी पर जोर, डिजिटल डेटा कलेक्शन लगाएगा लगाम
मुंबई हमले में कसाब के दोष सिद्ध होना बड़ा उदाहरण
सेमिनार में तलवंत सिंह ने कहा कि न्यायिक मामलों में डिजिटल एविडेंस की भूमिका बहुत अहम होती है। यह भूमिका तब और बढ़ जाती है, जब डिजिटल एविडेंस के अलावा कोई विटनेस नहीं होता है। 26/11 मुंबई आतंकी हमले के दोशी कसाब के मामले में इंटरनेट ट्रांस्क्रिप्ट्स ने दोषसिद्धि में काफी अहम भूमिका निभाई थी। वर्तमान डिजिटल एविडेंस न सिर्फ न्यायिक मामलों में जरूरी साबित हो रहे हैं, बल्कि न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और दक्षता को भी सुनिश्चित कर रहे हैं। इसलिए उत्तर प्रदेश में न्यायिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।
यह भी पढ़ें: 2017 से पहले अपराधियों को पकड़ने में लगते थे सालों, अब 24 से 48 घंटों में दबोचे जा रहे- सीएम योगी
डिजिटल साक्ष्य को मान्यता देने के लिए ढांचा तैयार
सेमिनार में तलवंत सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में प्रदेश में न्यायपालिका को तकनीकी दृष्टिकोण से मजबूत किया जा रहा है और डिजिटल एविडेंस को मान्यता देने के लिए आवश्यक ढांचा तैयार किया किया जा रहा है। इसी कड़ी में प्रदेश के न्यायालयों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और गति लाने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं का विस्तार किया गया है। इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी ने प्रदेश के न्यायिक ढांचे को और भी सशक्त बनाने के लिए कई सुधारों की घोषणा की है, ताकि न्यायिक कार्यवाही तेजी से और पारदर्शी तरीके से हो सके।
यह भी पढ़ें: नोएडा एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी होगी मजबूत, यूपी व राजस्थान रोडवेज से होगा अनुबंध
न्यायिक सुधारों के सकारात्मक परिणाम निकलेंगे
तलवंत सिंह ने कहा कि सेमिनार इसका प्रमाण है कि उत्तर प्रदेश न्यायिक सुधारों में अपने कदम तेजी से बढ़ा रहा है और भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। उन्होंने डिजिटल एविडेंस को परिभाषित करते हुए कहा कि यह वह सभी डेटा होते हैं, जो डिजिटल रूप में जन्म लेते हैं और एक जगह एकत्रित होते हैं। उन्होंने इसे बढ़ते साइबर अपराधों की चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक बताया और कहा कि अब यह लगभग हर जांच का अभिन्न हिस्सा बन गया है। चाहे मामला चोरी का हो, लूटपाट या साइबर अपराध का हो। मानना है कि वैज्ञानिक और डिजिटल एविडेंस अभियोजन की ताकत को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और दोषसिद्धि में सबसे ज्यादा मदद करते हैं।
यह भी पढ़ें: ‘हर साल 5 छात्रों को UK में पढ़ाई करने का मिलेगा मौका’, सीएम योगी ने अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर की बड़ी घोषणा
गवाही लेने में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग वैध तरीका बना
तलवंत सिंह ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के नये नियमों का उल्लेख करते हुए बताया कि यह अधिनियम डिजिटल साक्ष्य की स्वीकृति को आसान बनाता है, जिसमें वीडियो कॉलिंग के माध्यम से दर्ज मौखिक बयान और वीडियो रिकॉर्डिंग शामिल हैं। उन्होंने भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 273 का उदाहरण देते हुए बताया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग अब एक वैध तरीका बन गया है, जिसके द्वारा गवाहों के बयान दर्ज किए जा सकते हैं।
उन्होंने डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हुए कहा कि डिजिटल रिकॉर्ड (जैसे स्कैन किए गए PDF, CCTV फुटेज) और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड (जैसे Email, SMS, सर्वर लॉग्स) अलग-अलग प्रकार के होते हैं। उन्होंने भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 63 का हवाला देते हुए बताया कि डिजिटल रिकॉर्ड को प्रमाणिक बनाने के लिए यह आवश्यक है कि डिवाइस नियमित रूप से इस्तेमाल में हो, डेटा सामान्य रूप से दर्ज किया गया हो और डिवाइस की कार्यशीलता सही हो।