Uttar Pradesh Barabanki News : एक तरफ जहां होली पर मस्जिदें ढकी गईं और जुमे पर कुछ लोगों ने बाहर निकलने से परहेज किया तो दूसरी तरफ वहीं उत्तर प्रदेश के बाराबंकी (देवा) में इसका कोई असर तक नहीं दिखा। यहां सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर या वारिस, जय श्रीराम और हर हर बम बम के नारे हर तरफ गूंजते रहे।
देवा शरीफ की होली विश्वभर में प्रसिद्ध है, जहां न तो मस्जिद पर पर्दा और न ही जुमे का असर दिखा। यह मजार मिसाल है। रंगों का कोई मजहब नहीं होता बल्कि रंगों की खूबसूरती हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। यही वजह है कि हर साल की तरह ही इस बार भी यहां गुलाल व गुलाब से सभी धर्मों के लोगों ने एक साथ होली खेली और आपसी भाईचारे की अनोखी मिसाल पेश की।
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‘जो रब है, वही राम है’, सूफी संत हाजी वारिस अली शाह का संदेश
आपको बता दें कि सूफी संत हाजी वारिस अली शाह ने यह भी संदेश दिया कि जो रब है, वही राम है। शायद इसीलिए यह स्थान हिन्दू-मुस्लिम एकता का संदेश देता आ रहा है। इस मजार पर मुस्लिम समुदाय से कहीं ज्यादा संख्या में हिन्दू समुदाय के लोग आते हैं। कौमी एकता गेट से लोगों ने नाचते गाते गाजे बाजे के साथ जुलूस निकाला। यह जुलूस हर साल की तरह देवा कस्बे से होता हुआ दरगाह पर पहुंचा। इस बार भी जुलूस में हर धर्म के लोग शामिल हुए।
सैकड़ों साल पहले से चली आ रही होली की परंपरा
इस मौके पर देवा शरीफ में आए लोगों ने बताया कि यहां की होली खेलने की परंपरा सैकड़ों साल पहले से चली आ रही है। गुलाल और गुलाब से यहां होली खेली जाती है। होली के दिन यहां देश के कोने-कोने से सभी धर्म के लोग यहां आते हैं और एक दूसरे को रंग व गुलाल लगाकर भाईचारे की मिसाल पेश करते हैं। वहीं, देवा की वारसी होली कमेटी के अध्यक्ष शहजादे आलम वारसी ने बताया कि मजार पर होली होती आई है, इसमें सभी धर्मों के लोग शामिल हैं। होली पर कई क्विंटल गुलाल और गुलाब से यहां होली खेली जाती है।
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