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‘मैं मरना चाहती हूं, अब जीने की चाह नहीं, इच्छा मृत्यु दे दीजिए’; महिला जज ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी अनुमति

Banda Civil judge Arpita Sahu Supreme court permission to end life: उत्तर प्रदेश की बबेरू तहलील की महिला सिविल जज ने जिला जज के शोषण से परेशान होकर सुप्रीम कोर्ट से इच्छा मृत्यु की अनुमति देने की मांग की है।

Edited By : khursheed | Updated: Dec 15, 2023 09:16
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Banda Civil judge Arpita Sahu Supreme court permission to end life: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की महिला सिविल जज ने सुप्रीम कोर्ट से इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है। मामला सामने आने के बाद पूरे उत्तर प्रदेश में हड़कंप मच गया। सोशल मीडिया पर भी सनसनी फैल गई और X पर पीड़िता अर्पिता साहू का नाम ट्रेंड कर रहा है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति देने की मांग की है। महिला जज ने सुप्रीम कोर्ट को लिखे पत्र में अपने साथ हुए शोषण का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि उनके साथ किस तरह अन्याय हुआ, लेकिन इस मामले में किसी तरह की पुलिस की कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है।

बांदा की बबेरू तहसील में सिविल जज के रूप में तैनात अर्पिता साहू ने पत्र लिख कर अपनी आपबीती सुनाई कि कैसे जज और उसके साथी ने उन्हें रात में घर आने के लिए दबाव डाला। उनका शारीरिक और मानसिक रूप से शोषण किया। जब उन्होंने न्याय की मांग की तो कोई सुनवाई नहीं हुई। डेढ़ साल बाद भी मेरे साथ हुए अन्याय से किसी को भी कोई फर्क नहीं पड़ा तो मैंने अपनी जिंदगी को खत्म का करने का फैसला कर लिया हैं। मैं अब जीना नहीं चाहती। इसलिए सुप्रीम कोर्ट से इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगती हूं।

सुप्रीम कोर्ट से 8 सेकेंड में रिट याचिका खारिज 

अर्पिता साहू ने सुप्रीम कोर्ट से इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगते हुए कहा कि परेशान होकर 2022 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से भी शिकायत की, लेकिन न्याय नहीं मिला। आज तक इस मामले में किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई और न ही किसी ने परेशान होकर मुझसे पूछा कि तुम्हारे साथ क्या हुआ है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दाखिल की लेकिन बिना सुनवाई के 8 सेकेंड में मामला खारिज कर दिया गया। इसलिए अब मैं जीना नहीं चाहती हूं। एक जिंदा लाश की तरह डेढ़ साल तक न्याय के लिए चक्कर काटती रही, लेकिन मुझे आज तक इंसाफ नहीं मिला। मैं सुप्रीम कोर्ट से गारिमापूर्ण इच्छा मृत्यु की अनुमति की मांग करती हूं। मेरी जिंदगी खारिज होने दीजिए।

न्याय के लिए तरस गई हूं, अंदर से टूट गई हूं

अर्पिता ने लिखा कि मैंने न्यायिक सेवा बहुत उत्सुकता के साथ चुनी। मेरा विश्वास था कि मैं उन सभी लोगों को न्याय दिलाऊंगी, जो न्याय से वंचित हैं, लेकिन मुझे नहीं पता था कि एक दिन मुझे ही न्याय मांगना पड़ेगा। मुझे कूड़ा समझा गया, जिसके बाद मैं खुद को बहुत ही ज्यादा बेकार और मजबूर समझने लगी हूं। मैं अंदर से टूट गई हूं। मैंने लोगों को न्याय देने के बारे में सोचा, लेकिन मैं गलत निकली- मैं बहुत भोली हूं।

मैं भारत की महिलाओं से कहना चाहती हूं कि शारीरिक शोषण के साथ जीना सीख लो, यही जिदंगी की सच्चाई है। POSH एक्ट तो बस नाम का है। अगर आपका शोषण होता है और उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई है तो भूल जाइए। इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है। अगर कोई महिला सोचती है कि वह सिस्टम के खिलाफ लड़ सकती है तो जान लें कि मैं जज होकर अपने साथ हुए शोषण का न्याय नहीं पा सकती तो आप भी नहीं पा सकते हैं।

मैं आप सभी महिला को एक सलाह देना चाहती हूं कि आप एक खिलौने की तरह जीना सीख लें। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जब अर्पिता साहू अदालत में थीं तो उस दौरान उनकी बाराबंकी बार के महामंत्री रितेश मिश्रा से बहस हुई थी और उन्होंने उनकी अदालत का बहिष्कार कर दिया। तब इस मामले ने तूल पकड़ा था। बाद में जब यह मामला जिला जज के सामने पहुंचा तो उन्होंने महिला जज का अपमान किया था।

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First published on: Dec 14, 2023 10:34 PM

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