Bahraich Bhediya Terror : उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़ियों का हमला कम नहीं हो रहा है। लोग डरे-सहमे हुए हैं। अगर पिछले 2 दिन की बात करें तो भेड़ियों ने 7 बच्चों और एक महिला को अपना निवाला बनाया। वन विभाग के साथ जिला प्रशासन की टीम भेड़ियों को पकड़ने में जुटी है। इस बीच एक बड़ा सवाल उठता है कि जब भेड़िये खूंखार हो गए तो उन्हें गोली क्यों नहीं मारी जा रही है। आइए जानते हैं कि क्या है वन जीव संरक्षण कानून?
क्या है वन्य जीव संरक्षण कानून?
देश में साल 1972 में वन्य जीव की रक्षा करने के उद्देश्य से भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम बना था। इसके बाद इल कानून में साल 2003 में संशोधन हुआ और इसका नाम भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 रखा गया, जिसमें जुर्माना एवं सजा को और सख्त कर दिया गया। इसके तहत 3 साल से लेकर 7 साल तक जेल हो सकती है और पांच हजार रुपये तक जुर्माना लग सकता है।
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इन जानवरों को नहीं करते हैं शिकार
संविधान की अनुसूची एक में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम को शामिल किया गया है, जिसमें धारा 2, धारा 8, धारा 9, धारा 11, धारा 40, धारा 41, धारा 43, धारा 48, धारा 51, धारा 61 और धारा 62 के तहत सजा और जुर्माना का प्रावधान किया गया है। इस लिस्ट में सुअर से लेकर कई तरह के हिरण, भेड़िया, बंदर, भालू, चिकारा, तेंदुआ, लंगूर, लोमड़ी, डॉलफिन, कई तरह की जंगली बिल्लियों, बारहसिंगा, बड़ी गिलहरी, पेंगोलिन, गैंडा, ऊदबिलाव, रीछ और हिमालय पर पाए जाने वाले कई जानवरों के नाम शामिल हैं, जिन्हें मारा नहीं जा सकता है।
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इसलिए भेड़ियों को पकड़ने की करनी पड़ रही मशक्कत
जहां अनुसूची एक के भाग एक में कई तरह के बंदर, लंगूर, सेही, जंगली कुत्ता, गिरगिट को शामिल किया गया है तो वहीं भाग दो में कई जलीय जन्तु और सरीसृप शामिल हैं। इस कानून की वजह से ही बहराइच में आदमखोर भेड़ियों को गोली मारने का आदेश नहीं दिया जा रहा है। इसके चलते वन विभाग को भेड़ियों को जिंदा पकड़ने की मशक्कत करनी पड़ रही है।